उत्तराखंड में ‘घटाया’ गया ‘चिकित्सा सेवा शुल्क’ हर तीन वर्ष में यूजर्स चार्जेज की होगी समीक्षा
राजकीय चिकित्सालय में ओपीडी और आईपीडी पंजीकरण शुल्क तथा एंबुलेंस और बेड चार्जेज में कटौती की घोषणा, राज्य में अब यूजर्स चार्जेज में हर साल नहीं की जाएगी 10प्रतिशत की वृद्धि
देहरादून। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से दो-चार हो रहे उत्तराखंड वासियों के लिए एक राहत भरी खबर है ।राज्य के वित्त मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने सूबे के राजकीय अस्पतालों में ओपीडी और आईपीडी के पंजीकरण शुल्क में कमी के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। लिहाजा सब कुछ ठीक- ठाक रहा तो प्रदेश के राजकीय अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीज को अब ओपीडी और आईपीडी पंजीकरण के लिए भविष्य में कम शुल्क देना होगा। इतना ही नहीं मरीज को अब एंबुलेंस और बेड चार्जेज में भी रियायत दी जाएगी। राज्य के वित्त मंत्री के अनुसार चिकित्सा सेवा शुल्क में की गई यह कमी जल्द ही यह राज्य के सरकारी चिकित्सालयों में लागू होगी ,जिससे जनसामान्य पर अनावश्यक मूल्य वृद्धि का भार कम होगा ।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वित्त मंत्री डा। प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं कमजोर आर्थिक स्थितियों के कारण पर्वतीय जनपदों में आम जनमानस केवल राजकीय चिकित्सालयों पर ही निर्भर हैं। इसके चलते राज्य सरकार ने चिकित्सा सेवा शुल्क की दरों को कम किए जाने का विचार किया है। डॉ अग्रवाल के अनुसार राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी में अभी तक 13 रुपये लिया जा रहा है, जिसे अब घटकर 10 रुपये कर दिया गया हैं। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकरण शुल्क 15 रुपये से घटकर 10 रुपये तथा जिला व उप जिला चिकित्सालय में 28 रुपये से घटकर 20 रूपये कर दिया गया है। मंत्री ने आगे बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आईपीडी में अभी तक 17 रुपये लिया जा रहा है, जिसे अब 15 रुपये किया गया है। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 57 रुपये से 25 रुपये जबकि जिला व उप जिला चिकित्सालय में 134 रुपये से 50 रुपये करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। इसके अलावा विभागीय एंबुलेंस में अभी तक रोगी वाहन शुल्क जो वर्तमान में पांच किलोमीटर तक 315 रूपये न्यूनतम एवं अतिरिक्त दूरी के लिए 63 रु. प्रति किलोमीटर लिया जा रहा है, को कम करते हुए 05 किलोमीटर तक 200 रुपये न्यूनतम और अतिरिक्त दूरी के लिए 20 रु. प्रति किलोमीटर कर दिया गया है। डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रेफर करने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा मरीजों से अब पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसी तरह उप जिला अस्पताल से जिला चिकित्सालय में रेफर करने पर भी अब जिला अस्पताल द्वारा पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा ।साथ ही अब राज्य में यूजर्स चार्जेज में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि नहीं जाएगी। इसके विपरीत आम जनमानस एवं रोगियों के हित में यूजर्स चार्जेज में तीन वर्ष के बाद शासन स्तर पर समीक्षा भी की जाएगी।