धार्मिक जगत में सबसे सक्रिय और बेबाक संत थे महंत नरेन्द्र गिरी,फर्जी बाबाओं के खिलाफ उठाई आवाज
अखाड़ों की कमान और कुंभ के आयोजन में निभाई अहम भूमिका
देहरादून/हरिद्वार(दर्पण ब्यूरो)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरी की मृत्यु से उत्तराखंड में भी शोक की लहर व्याप्त हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके निधन पर दुख जताया। सीएम धामी ने अपने संदेश में कहा कि उनके असामयिक निधन की खबर से स्तब्ध हूं। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें अपने चरणों में स्थान प्रदान करें और उनके शिष्य व स्नेही जनों को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति प्रदान करें। आपको बता दें, श्रीमहंत नरेंद्र गिरी श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के श्री महंत थे।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के निधन से संत समाज में शोक की लहर दौड़ पड़ी। उनके निधन पर संत समाज के साथ ही सीएम पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज समेत तमाम हस्तियों ने दुख जताया। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरी महाराज के देवलोकगमन की दुखद सूचना मिली। सनातन धर्म के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले मंहत नरेंद्र गिरी का समाज कल्याण के लिए दिए गए योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। भगवान उनके अनुयायियों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि जी महाराज सनातन धर्म-संस्कृति, राष्ट्र, समाज और धर्म रक्षा के मुद्दे पर हमेशा मुखर रहते थे। वह हर मुद्दे पर अपनी अलग और स्पष्ट राय रखते थे और उसे व्यक्त करने में भी हिचकिचाते नहीं थे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि जनहित के मुद्दों पर धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर अपनी बेबाक राय रखते थे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की वर्ष 2016 में उज्जैन कुंभ के दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कमान संभाली थी। वर्ष 2019 में प्रयागराज अर्धकुंभ को संपन्न कराने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। यह उनके ही कौशल का ही परिणाम था कि कुंभ की तर्ज पर हुए प्रयागराज अर्धकुंभ की गूंज अब तक दुनिया के हर कोने में हो रही है। इसके बाद इस वर्ष हरिद्वार कुंभ के लिए उन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था और उन्होंने बिना जोर-दबाव में आए कुंभ का सफल समापन कराया। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि को समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव का नजदीकी माना जाता था। लेकिन, सनातन धर्म संस्कृति को लेकर उनका किसी से कोई समझौता न था। अपने इसी विचार के कारण वह जितने मुलायम सिंह यादव के नजदीकी थे, उतने ही करीबी वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के भी रहे। इन दिनों वह उनके साथ वर्ष 2025 में होने वाले प्रयागराज कुंभ की रूपरेखा तैयार कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने एक ओर जहां तीन तलाक और लव जिहाद के मुद्दों पर पूरी मजबूती के साथ अपनी बात रखी, वहीं महाराष्ट्र में जूना अखाड़े के साधुओं की हत्या के मामले को भी जोर-शोर से उठाया। पशु बलि और फर्जी संत व अखाड़ों को लेकर भी उन्होंने कभी कोई दबाव नहीं सहा। यही वजह रही कि कोरोना काल में भी, जब संत समाज और अखाड़ा परिषद के एक धड़े की ओर से 2021 में हरिद्वार कुंभ को टालने की आवाज उठाई जा रही थी, उन्होंने न सिर्फ उसका विरोध किया, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में भी दिव्य और भव्य तरीके से कुंभ संपन्न कराने में अहम भूमिका निभायी। यह उनके प्रबंधन, सोच और अखाड़ा परिषद पर पकड़ का ही नतीजा था कि जिस वक्त कुंभ के दौरान कोरोना की दूसरी लहर ने जोर पकड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुंभ को प्रतीकात्मक रूप से संपन्न किए जाने की जरूरत बताई तो उन्होंने बैरागी अखाड़ों के विरोध के बावजूद इसमें अहम भूमिका निभाई।