नैनीताल हाईकोर्ट की कड़ी फटकार: क्या जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे मरने लगेंगे, तब सरकार की तैयारियां होंगी?
हाईकोर्ट ने कहा: खबरें आती हैं कि पहाड़ों में गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस नहीं मिलती है और पालकी से ले जाना पड़ता है नैनीताल। उत्तराखंड में कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर की तैयारियों पर हुई सुनवाई के दौरान आज हाईकोर्ट में उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई है। इतना ही नहीं मुख्य न्यायाधीश ने पहाड़ी जनपदों में एंबुलेश की पर्याप्त सुविधा के दावो पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए तीरथ सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा क्या जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे मरने लगेंगे, तब सरकार की तैयारियां होंगी? बच्चों के लिए कितने वार्ड बनाए हैं आपने अब तक? बुधवार को उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने आज कोरोना की तैयारियों को लेकर स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को कड़ी फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चैहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सचिदानंद डबराल, अनू पंत, रवीन्द्र जुगरान, डीके जोशी व अन्य की अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव के तीसरी लहर को लेकर बच्चों के लिए तीन महीने तक विटामिन सी और जिंक आदि की दवाएं देने की दलील पर तीखी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप बच्चों को ये दवा कब खरीद कर देंगे? जब तीसरी लहर आ जाएगी, तब दवाएँ खरीदने की प्रकिया पूरी करेंगे। जिस जीओ को अगले हफ्ते या 30 जून तक जारी करने की बात कह रहे हैं वो जीओ कल क्यों नहीं जारी हो सकता। आज शाम तक जारी क्यों नहीं हो सकता? हाई कोर्ट ने कहा कि देहरादून में तीसरी लहर से लड़ने को बच्चों के लिए आपके पास 10 वेंटिलेटर हैं, बताइए 80 बच्चे क्रिटिकल हो गए तो 70 बच्चों को मरने के लिए छोड़ देंगे? कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट में आपने माना है कि रुद्रप्रयाग में 11 वेंटिलेटर हैं जिसमें नौ खराब हैं। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कोर्ट ने सिर्फ जिला अस्पतालों की डिटेल माँगी थी हमारे पास मेडिकल काॅलेजों व निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर-आईसीयू के और इंतजाम हैं। कोर्ट ने कहा आपको जानकारी देने से किसने रोका है।स्वास्थ्य सचिव ने कहा अगली सुनवाई के दौरान बता पाएंगे कितने वार्ड तैयार हो पाएंगे। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हम बच्चों को मेडिकल काॅलेजों में ट्रीटमेंट देंगे जो माॅडरेट और माइल्ड केस होंगे उन्हीं को जिला अस्पतालों में उपचार के लिए रखेंगे। हाईकोर्ट ने कहा टाइमÚेम के साथ तैयारियों का स्तर बताइये। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल में डेल्टा प्लस वैरियंट केस आ चुके आपकी तैयारियाँ कहाँ पहुँची। चीफ जस्टिस ने कहा आप तैयारियों को लेकर समय बताएँ कब तक क्या करेंगे? आपके पास पाँच मेडिकल काॅलेज हैं तो बाकी जिलों के बच्चों का क्या होगा? कोर्ट ने एफिडेविट का पेज 41 पढ़ने को कहकर बच्चों को होने वाली सिवियरिटी पढ़ लेने को कहा। चीफ जस्टिस ने कहा मान लीजिए मेरे बच्चे को एक्यूट रेसपेरिटरी डिजिज है और चमोली में रहता हूँ बताइए कहां लेकर जाऊंगा। कोर्ट ने कहा आपका पर्याप्त एम्बुलेंस का दावा झूठा है। दिल्ली-फरीदाबाद में एंबुलेंस नहीं मिली और आप कहते हैं आपके पास उत्तराखंड में पर्याप्त एम्बुलेंस हैं। आप पर्याप्त एंबुलेंस की बात करते हैं लेकिन खबरें आती हैं कि पहाड़ों में गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस नहीं मिलती है और पालकी से ले जाना पड़ता है। हमें मूर्ख बनाना बंद करिए हकीकत हमें पता है। हेल्थ सेक्रेटरी अमित नेगी ने कहा कि अगले एफिडेविट में तीसरी लहर को लेकर तैयारियों की पूरी जानकारी देंगे। हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को कहा कि डेल्टा प्लस वैरियंट के मूल खतरे को आप समझ नहीं पाए। उसमें आक्सीजन युक्त एंबुलेंस की सबसे ज्यादा दरकार है। चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य में 0-18 आयु के बच्चे कितने हैं। आक्सीजन युक्त कितनी एंबुलेंस हैं उसकी जानकारी अगली सुनवाई 28 जून को बताएं। चीफ जस्टिस ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव अगली सुनवाई में जानकारी देंगे कि राज्य में बच्चों के लिए कितने आईसीयू, बेड, आक्सीजन कंसंट्रेटर और एम्बुलेंस हैं इसकी जानकारी दें। ब्लैक फंगस को लेकर भी कोर्ट ने सरकार की तैयारियों को लेकर फटकार लगाई। अधिवक्ता और याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली ने कहा कि राज्य सरकार जो मेडिकल उपकरण खरीद भी ले रही है तो उनको आॅपरेट करने वाले नहीं होने से मरीजों को पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है।