अब सुधरेगी स्कूलों की व्यवस्थायें,1063 परिसरों में चल रहे स्कूलों के एकीकरण की तैयारी शुरू

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देहरादून। सरकार ने एक ही परिसर में संचालित हो रहे विभिन्न राजकीय विद्यालयों के एकीकरण की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। कम छात्र संख्या वाले जूनियर हाईस्कूलों का हाईस्कूल में विलय कर दिया जाएगा। एक से अधिक विद्यालय वाले ऐसे परिसरों की संख्या 1063 है, जहां प्राइमरी/जूनियर या हाईस्कूल व इंटर कालेज हैं। स्कूलों में कम छात्र होने के बाद भी ज्यादा संख्या दिखाये जाने के मामले में शिक्षा विभाग ने व्यापक पड़ताल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए प्रत्येक जनपद के लिए दो अधिकारी नामित किये जाएंगे। शिक्षा मंत्री ने निर्देश दिये हैं कि पूरे ब्यौरे के साथ मार्च अंतिम सप्ताह तक यह रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच जाएगी। माना जा रहा है कि सरकार ने 10 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को छात्र संख्या बढ़ाकर जबरन चलाने की शिकायतों पर यह निर्णय लिया है। सोमवार को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय द्वारा ली गयी शिक्षा विभाग की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिये गये। सचिवालय सभागार में हुई बैठक में ऐसे परिसरों में तैनात शिक्षकों के आहरण-वितरण अधिकारी के संदर्भ में सम्यक विचारोपरांत एकीकरण के प्रस्ताव मांगने के साथ ही शिक्षकों के समायोजन के लिए समिति का गठन करने का निर्देश दिया गया। शिक्षा मंत्री ने एक ही स्थान में चल रहे प्राथमिक विद्यालयों, जूनियर हाई स्कूलों एवं हाईस्कूलों को संविलियन किये जाने के संबंध में की जा रही कार्यवाही की समीक्षा करते हुए जूनियर हाईस्कूलों को कम छात्र संख्या पर हाईस्कूल में संविलियन करने का प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये। उनका कहना था कि इससे दूर क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों को हाईस्कूल तक शिक्षा अध्ययन के लिइ दूर नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जहां छात्र संख्या काफी न्यूनतम हो, ऐसे जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों को ही वहीं संचालित हाईस्कूल विद्यालय में संविलियन किया जाए। बैठक में एनसीआरटी की पुस्तकों के टेण्डर पर भी बात हुई। पांडेय ने टेंडर में कम से कम 50 लाख की संख्या में पुस्तक प्रकाशन की शर्त को शामिल करने के निर्देश दिये। ताकि छात्रों को एनसीआरटी की पुस्तकों की कमी न हो। उन्होंने निजी स्कूलों द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन की अद्यतन रिपोर्ट पर भी विस्तार जानकारी ली। उन्होंने राज्य सरकार के अधीनस्थ संचालित राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों को कॉन्वेंट के समकक्ष बनाने के लिए सचिव शिक्षा को निर्देश दिये। शिक्षा मंत्री ने गेस्ट टीचरों को अवकाश के दिनों में भी आवश्यक तानुसार पढ़ाने का कार्य में लगाने के निर्देश दिये। इसके साथ ही चारधाम के आस-पास अवस्थित संस्कृत विद्यालयों में चार वेद की शिक्षा दिलाने पर र्चचा की तथा इस कार्य में निरूशुल्क प्रशिक्षण में ऋषिकेश परमार्थ निकेतन द्वारा आवश्यक सहयोग प्राप्त होने की जानकारी दी। उन्होंने स्वामी चिदानन्द द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यरत वैज्ञानिकों द्वारा जल संरक्षण में भी सहयोग दिये जाने की जानकारी दी। उन्होंने शिक्षा सचिव को परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय कार्यशाला आयोजन में सहयोग देने के निर्देश दिये जिनमें राज्य सरकार के अधीनस्थ 95 खण्ड शिक्षा अधिकारी सन्दर्भ अधिकारी के रूप में प्रतिभाग करेंगे तथा प्राप्त प्रशिक्षण से अपने-अपने विकासखण्ड के विद्यालयों में जनजागरूकता करेंगे। उन्होंने बताया कि परमार्थ निकेतन द्वारा कार्यशाला में निरूशुल्क जल संरक्षण, प्रशिक्षण तथा इस अवधि में निःशुल्क रहने तथा भोजन की व्यवस्था की जायेगी। इस अवसर पर सचिव शिक्षा भूपेन्द्र कौर औलख, सचिव (प्रभारी) संस्कृत इंदुधर बौड़ाई, महानिदेशक शिक्षा सुश्री ज्योति यादव, अपर निदेशक महानिदेशालय वंदना गब्र्याल, अपर निदेशक बेसिक वीरेन्द्र सिंह रावत, अपर निदेशक माध्यमिक रामकृष्ण उनियाल, अपर निदेशक सीमेट शशि बाला चैधरी, अजय नौडियाल, संयुक्त निदेशक माध्यमिक भूपेन्द्र नेगी सहित
शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

सर्दियों में निजी स्कूलों के खुलने का समय साढ़े आठ के बजाय साढ़े नौ करने के लिए शासन को प्रस्ताव
देहरादून। शिक्षा मंत्री ने निर्देश दिये हैं कि सर्दियों में निजी स्कूलों के खुलने का समय साढ़े आठ के बजाय साढ़े नौ करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाए। इस संबंध में कई अभिभावकों की ओर से शिक्षा मंत्री के पास शिकायत आयी है कि सर्दियों की वजह से बच्चों को होने वाली दिक्कतों को समय बदलकर दूर किया जा सकता है। बैठक में यह भी विचार किया गया कि 10वीं व 12वीं के बच्चों को सीबीएसई की तरह कम्पार्टमेंट या पूरक परीक्षा के माध्यम से आगे बढ़ाया जाए। अब तक परिषदीय परीक्षाओं में कृपांक देकर पास करने का विकल्प बना हुआ है। कोई भी छात्र किसी एक विषय में पांच अंकों से फेल होने की स्थिति में उसे कृपांक देकर पास मान लिया जाता है। विद्यालयी शिक्षा परिषद को इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजने को कहा गया है।

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