मनमोहन सिंह का उत्तराखंड में रहा गहरा लगावः 2018 में दून में तीन दिन ठहरे थे , हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज से की थी पढ़ाई
देहरादून(उद ब्यूरो)। देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं महान अर्थशास्त्री डा. मनमोहन सिंह का बीते गुरुवार को निधन हो गया है। पूर्व पीएम के निधन पर उत्तराखंड में सात दिन का शोक घोषित किया है। जिसे लेकर आदेश भी जारी कर दिया है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर उत्तराखंड में सात दिन का शोक रहेगा। जिसे लेकर आदेश जारी हो चुका है। इस अवधि के दौरान राज्य में जहां भी राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है। वहां ध्वज आधे झुके रहेंगे। इसके साथ ही शासकीय मनोरंजन के कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे। पूर्व पीएम डा. मनमोहन सिंह ने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। स्वतंत्र भारत के इतिहास में डा. मनमोहन सिंह ऐसे तीसरे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) की पासिंग आउट परेड (पीओपी) की सलामी ली थी। आइएमए के प्लेटिनम जुबली समारोह में 10 दिसंबर-2007 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह बतौर रिवयूइंग अफसर उपस्थित रहे थे। उनसे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ही ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पीओपी की सलामी ली थी। हिन्दू नेशनल स्कूल देहरादून के करीब 88 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक तिलक रोड निवासी ब्रह्माननंद गुप्ता को जब गुरुवार रात पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के निधन का पता चला तो वह गमगीन हो गए। उन्होंने बताया कि 10 दिसंबर- 2007 को वह स्वयं उस पीओपी में सामान्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह आइएमए देहरादून आए थे। उनसे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1948 और 1953 में दो बार पीओपी की सलामी ली थी, जबकि इंदिरा गांधी ने वर्ष 1982 में आइएमए की गोल्डन जुबली समारोह में पीओपी की सलामी ली थी।उस समय का प्रधानमंत्री का संबोधन याद करते हुए श्री गुप्ता ने बताया कि डा. सिंह ने कहा था कि सशस्त्र बलों के तकनीकी आधुनिकीकरण के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण व उपकरणों के लिए जो भी आवश्यक होगा, उसमें निवेश करने से वह पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा था कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करेगी कि सशस्त्र बलों की सेवा शर्तें ऐसी हों कि वह हमारे युवा पुरुषों और महिलाओं में से सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों को सेना में अपना करियर चुनने के लिए हमेशा आकर्षित करती रहें। डा. मनमोहन सिंह नवंबर 2018 में तीन दिवसीय दौरे पर देहरादून आये थे। वह 12 नवंबर 2018 को विशेष विमान से जौलीग्रांट हवाई अîóे पहुंचे थे। वहां से वह सीधे जौलीग्रांट स्थित स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी गए और वहीं रात्रि विश्राम किया था। अगले दिन वह यूनिवर्सिटी में डा. स्वामी राम के महासमाधि वर्षगांठ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। वर्ष-1994 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहते हुए डा. मनमोहन सिंह ने ही हिमालयन अस्पताल की ओपीडी का उद्घाटन किया था।
कांग्रेस नेताओं ने डा.मनमोहन को दी श्रद्धांजलि
देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के सलाहकार अमरजीत सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह का देहरादून से गहरा लगाव था। वह अपने सगे ताऊ स्वर्गीय गोपाल सिंह कोहली के देहरादून स्थित रेस कोर्स निवास पर अक्सर लंबे प्रवास के लिए आया करते थे। उनके चचेरे भाइयों, स्वर्गीय हरभजन सिंह कोहली और अमरजीत सिंह कोहली, से उनका विशेष स्नेह और जुड़ाव था। इसके अतिरिक्त, जौलीग्रांट हिमालयन इंस्टयूट हास्पिटल ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी राम से उनके अच्छे संबंध थे। देहरादून आने पर वह अक्सर स्वामी राम से विशेष रूप से मुलाकात किया करते थे। डा मनमोहन सिंह के चचेरे भाई अमरजीत सिंह कोहली ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से परिवार स्तब्ध है। हमारा पूरा परिवार गहरे शोक में है। उनका निधन न केवल समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे पार्टी और देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि डा मनमोहन सिंह देशवासियों और शुभचिंतकों के दिलों में हमेशा रहेंगे। डा मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र की यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि वित्त मंत्री के रूप में डा मनमोहन सिंह ने उन आर्थिक योजनाओं की उस नींव को ऊपर उठाया, जो राजीव गांधी ने रखी थी। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने हमें पांच ट्रिलियन इकोनोमी बनने का सपना दिखाया। उनके कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए। उनके निधन पर हम सब शोक संतप्त हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जाना राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के लिए गहरी क्षति है। जिसे भर पाना असंभव प्रतीत होता है।
हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज से की थी पढ़ाई
हल्द्वानी। डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया और देश को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई। उनकी नीतियों और दृष्टिकोण ने भारत को 1991 के आर्थिक संकट से उबारने में मदद की और देश को आर्थिक प्रगति की दिशा में अग्रसर किया। मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत अब ;पाकिस्तानद्ध पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था, और उनका संबंध उत्तराखंड के हल्द्वानी से भी था, स्व पूर्व प्रधान मंत्री डा मनमोहन सिंह ने अपने बाल्यकाल के तीन साल हल्द्वानी में गुजारे थे, उनकी कक्षा छह से 8वीं तक की पढ़ाई मोती राम बाबू राम इंटर कॉलेज हल्द्वानी में हुई थी। हल्द्वानी में पढ़ाई करने का खुलासा स्वयं डा मनमोहन सिंह ने दिवंगत कांग्रेस नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश के सम्मुख किया था। उसके बाद जब मनमोहन सिंह नैनीताल में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में आए थे तब उन्हें स्कूल की तरफ से उनकी टी.सी की प्रति भेंट की गई थी। उल्लेखनीय है पूर्व विधायक स्व. डा. इंदिरा हृदयेश, एम बी एजुकेशनल ट्रस्ट की अध्यक्ष रही थी। डा मनमोहन सिंह ने ये भी बताया था कि उनके पिता पंजाब नेशनल बैंक में क्लर्क थे और उनकी पोस्टिंग 1948 के आसपास हल्द्वानी में हुई थी। उनके द्वारा अपनी धुंधली यादों में बताया गया था कि वो दिवंगत कांग्रेस के नेता रहे सरदार जय सिंह के घर में दो मंजिले पर किराए पर रहे थे। इस बारे में जब खोज हुई तो जानकारी मिली थी कि सरदार जय सिंह का पुराना मकान भोटिया पड़ाव इलाके में था। एमबी इंटर कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार, यह हल्द्वानी शहर का सबसे पुराना इंटर कॉलेज है. 13 अक्टूबर 1908 को इसकी स्थापना हुई थी. इस इंटर कॉलेज से पढ़ चुके कई छात्र आज बड़े-बड़े पदों पर हैं. इस स्घ्कूल ने देश को एक से बढ़कर एक डॉक्टर, शिक्षक, जज और राजनेता दिए हैं। भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल ;2004-2014द्ध अत्यधिक चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उनके नेतृत्व में भारत ने कई महत्वपूर्ण विकासात्मक मील के पत्थर हासिल किए। उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधार और विदेश नीति ने भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला। मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व और उनका शांत, विनम्र स्वभाव हमेशा लोगों को प्रेरित करता रहेगा। उनका निधन एक युग के अंत का प्रतीक है और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।