जमरानी बांध के बनने से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पेयजल की जरूरतें होंगी पूरी

0

नैनीताल। जमरानी बांध बनने से सालाना 63.4 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। एक अनुमान के मुताबिक इससे सालाना आय करीब 30 करोड़ तक हो सकती है। इसका जिम्मा उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड ;यूजेवीएनएलद्ध को सौंपा गया है। यूजेवीएनएल यहां 120 करोड़ की लागत से 14 मेगावाट का विद्युत उत्पादन प्लांट लगाएगा। इसके तहत चार टर्बाइन और पावर हाउस बनाया जाना प्रस्तावित है। यह बिजली नेशनल ग्रिड को जाएगी। उत्तराखंड को इस ऊर्जा का 12 प्रतिशत अंश रॉयल्टी के रूप में मिलेगा। इससे राज्य को मुफ्त बिजली मिलने के साथ ही बिजली की निर्बाध आपूर्ति भी की जा सकेगी। जमरानी बांध परियोजना के निर्माण की कवायद 1975 से चल रही है। पिछले एक साल से इसके निर्माण को लेकर प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ी है। 10 जून 2022 को भारत सरकार के जल शत्तिफ मंत्रालय से योजना में निवेश की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। 18 अत्तफूबर 2022 को जल शत्तिफ मंत्रालय ने स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में परियोजना को संस्तुति दी। 16 नवंबर 2022 को उत्तराखंड कैबिनेट ने पुनर्वास नीति को मंजूरी दी थी। 25 मार्च 2023 को पीआईबी की मंजूरी मिली थी। सिंचाई विभाग ने पुनर्वास योजना भी तैयार कर ली है। इसका अंतिम प्रकाशन किया जाना है। जमरानी बांध परियोजना से उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश की लाखों की आबादी को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही खेतों की प्यास भी बुझेगी। जमरानी बांध से नहरों के जरिये यूपी के बरेली और रामपुर जिले तक पानी पहुंचना है। इसके लिए यूपी सरकार बांध के निर्माण में 600 करोड़ रुपये का सहयोग करेगी। यह धनराशि बांध और नहरों के निर्माण के साथ ही प्रभावितों के पुनर्वास पर खर्च किए जाएंगे। परियोजना के निर्माण में यूपी सरकार का 600 करोड़ रुपया अंश निर्धारित किया गया है जबकि शेष खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी। जमरानी बांध परियोजना से यूपी और उत्तराखंड की कुल 150302 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसमें उत्तराखंड की 34720 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश की 115582 हेक्टेयर भूमि शामिल है। उत्तरप्रदेश की सिंचाई के लिए 61 मिलियन क्यूबिक मीटर और उत्तराखंड की सिंचाई के लिए 38.6 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।सिंचाई विभाग के अनुसार इसके लिए 300 करोड़ से अधिक की लागत से नहरों का पुनर्निर्माण किया जाना है। इसके लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। यूपी के रामपुर और बरेली के लिए पानी गौलावार फीडर से होकर जाएगा। इसके लिए काठगोदाम से सेंचुरी पेपर मिल ;लालकुआंद्ध तक 16 किलोमीटर लंबी गौलावार फीडर का चौड़ीकरण कार्य किया जाएगा। इस कार्य में 100 करोड़ से अधिक खर्च होने का अनुमान है। गौलावार फीडर की क्षमता को डेढ़ गुना किया जाना प्रस्तावित है। अभी गौलावार फीडर की क्षमता 15 क्यूमेक है, जिसे बढ़ाकर 24 क्यूमेक किया जाएगा। यूपी के बरेली जिले की सिंचाई और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने के लिए पाहा फीडर से पानी पहुंचाया जाना है। इसके लिए सेंचुरी पेपर मिल से नगला तक साढ़े आठ किलोमीटर लंबी नहर का पुनर्निर्माण किया जाएगा। इसकी क्षमता बढ़ाकर डेढ़ गुना की जाएगी। नगला से किच्छा बैराज होते हुए बरेली जिले के लिए पानी की निकासी की जाएगी।गौला नदी हल्द्वानी, किच्छा होते हुए बरेली जिले की ओर जाती है। जमरानी बांध बनने के बाद रामपुर जिले में पानी देने के लिए टांडा के जंगलों से होते हुए नहर का निर्माण किया जाएगा। यहां जंगलों के बीच हरिपुरा फीडर पहले से बना है जो जर्जर हालत में है। इसे पुनः सक्रिय करने के लिए इसका पुनर्निर्माण किया जाएगा। लगभग 18 किमी लंबे फीडर को हरिपुरा जलाशय तक ले जाया जाएगा। जलाशय के बाद यह नहर रामपुर जिले के लिए निकलेगी।साल 2021 में किच्छा बैराज क्षतिग्रस्त हो गया था। बैराज को ठीक करने की जिम्मेदारी यूपी सरकार की है। बरेली तक जमरानी बांध से पानी पहुंचाने के लिए इस बैराज को ठीक किया जाना जरूरी है। परियोजना को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। सिंचाई के साथ हल्द्वानी शहर को वर्ष 2055 तक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था है। परियोजना से हर साल 63 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होगी। मछली पालन और वाटर स्पोर्टघ््स के जरिये भी राजस्व सरकार को मिलेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.