गली मौहल्लों में संचालित हो रहे अवैध क्लीनिक आम लोगों का जीवन खतरे में डाल रहे !

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रूद्रपुर । गली मौहल्लों में संचालित हो रहे अवैध क्लीनिक आम जनता के लिए निरंतर खतरा बने हुए हैं। लेकिन प्रशासन एवं सम्बधित विभागीय अधिकारी इस ओर गंभीरता से कार्य करते नहीं दिखाई दे रहे हैं। उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर जब कभी भी सम्बधित विभागीय व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से संचालित हो रहे क्लीनिकों के विरू( औचक छापामारी अभियान चलाया जाता है महज खानापूर्ति ही साबित होता है। क्योंकि ऐसे चलाये जाने वाले अभियान महज चन्द अवैध क्लीनिकों पर छापामारी तक ही सीमित रहते हैं। जबकि महानगर क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में नियमों के विपरीत अवैध क्लीनिक संचालित किये जा रहे हैं। विशेष कर सम्पूर्ण ट्रांजिट कैम्प क्षेत्र, रम्पुरा, सुभाष कालोनी, पहाड़गंज, भूतबंगला, रेशमबाड़ी, खेड़ा, आदर्श इंदिरा बंगाली कालोनी, सिंह कालोनी, आदर्श कालोनी सहित तमाम ऐसी आवासीय कालोनियां हैं जहां दर्जनों की संख्या में अवैध क्लीनिक खुले हुए हैं। ऐसा भी नहीं कि विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को इसकी कोई जानकारी न हो। परंतु उनके खिलाफ निरंतर ठोस कानूनी कार्रवाई न करने से इनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। पूर्व में ऐसे क्लीनिकों में झोलाछाप डाक्टरों द्वारा किये गये उपचार से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। परंतु अधिकारी वर्ग इससे कोई भी सबक नहीं ले रहा है। उनकी नींद तभी खुलती है जब किसी बढ़ी घटना के घटित होने पर उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के कार्रवाई करने के निर्देश प्राप्त होते हैं। झोलाछाप चिकित्सकों के विरूद्ध कार्रवाई निरंतर क्यों नहीं की जाती? आखिर इसके पीछे कौन सी मजबूरियां है? इसका सही उत्तर सम्बधित विभागीय अधिकारी ही दे सकते हैं। इतना ही नहीं कई ऐसे मेडिकल स्टोर भी हैं जहां जरूरतमंद लोगों को डिस्पेंसरी की सुविधा भी दी जा रही हैं। जैसे ग्लूकोज चढ़ाना, मरहम पट्टी करना, खांसी, बुखार, जुकाम की जांच कर मौके पर ही दवा देना, इंजेक्शन लगाना आदि उपचार शामिल हैं। जिसके एवज में रोगियों से जमकर इच्छाानुसार रूपये वसूले जाते हैं। गौरतलब बात तो यह भी है कि गली मौहल्लों में खोले गये अवैध क्लीनिक को संचालित करने वालों में अधिकांश झोलाछाप डाक्टर उत्तराखण्ड के मूल निवासी नहीं हैं। अवैध क्लीनिक की आड़ में यदि नशे का अवैध कारोबार भी संचालित हो रहा हो तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। अवैध क्लीनिकों के संचालकों द्वारा अनेक बार उपचार कराने आये रोगियों को एक्सपायरी डेट की दवायें रेपर हटाकर मनमाने दामों पर खिलाई जा रही हैं। जिसका सीधा प्रभाव रोगियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। यदा कदा जब कभी भी अधिकारियों द्वारा निर्रीक्षण अभियान चलाया जाता है तो ऐसे क्लीनिक संचालक जानकारी मिलते ही क्लीनिक बंद कर नदारद हो जाते हैं। संभवतः ऐसे अवैध क्लीनिक के संचालकों द्वारा मोबाईल पर ग्रुप बनाया गया है जिसके माध्यम से छापे की सूचना तत्काल सभी तक पहुंच जाती है और सभी अपने क्लीनिक बंद कर मौके से रफूचक्कर हो जाते हैं। इसके समाधान के लिए प्रशासनिक व विभागीय अधिकारियों को उस भवन स्वामी के विरूद्ध भी नियमानुसार कार्रवाई करनी होगी जिनके द्वारा अपने भवनों में झोलाछाप चिकित्सकों को क्लीनिक खोलने की सहमति दी गई हो। आम जनता के जीवन को खतरे में डालने में इनकी भी समान भागीदारी मानी जाये। सिर्फ किरायेदार का सत्यापन करा देने से ही ऐसे भवन स्वामियों को समाज के प्रति उनकी जिम्मेवारियों से मुक्त न किया जाये। यदि प्रशासनिक व विभागीय अधिकारी ईमानदारी से सम्पूर्ण महानगर की सभी आवासीय कालोनियों की हर गली का गुप्त सर्वे कराये तो निश्चित रूप से नियमों के विपरीत संचालित हो रहे अवैध क्लीनिकों की लम्बी सूची तैयार हो सकती है। जिनकी जांच कर कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिये। ऐसा न होने पर झोलाछाप डाक्टर के उपचार से किसी भी मरीज की मौत होने पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संबधित विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी।

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