जनप्रतिनिधियों के छल कपट की भेंट चढ़ा रूद्रपुर का गांधी पार्क

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रूद्रपुर की स्थापना के साथ अस्तित्व में आया गाँधी पार्क सौतेले व्यवहार के चलते खोता जा रहा है अपना अस्तित्व
रुद्रपुर। शहर का सिरमौर कहलाने वाला गांधी पार्क आज जनप्रतिनिधियों के कपट की भेंट चढ़ चुका हैं। रुद्रपुर की स्थापना के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य को तंदुरुस्त रखने और बच्चों के मनोरंजन के लिए शहर में विशाल गांधी पार्क बनाया गया था। जहां प्रतिदिन सुबह शाम शहरवासी ही नहीं बल्कि रुद्रपुर में आने वाले सैकड़ों लोग आते थे। स्कूल के बच्चे और युवा यहां आकर विभिन्न प्रकार के खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा को निखारने का काम करते थे। सिडकुल की स्थापना के बाद तो यहां लोगों का रैला ही लगने लगा। लोगों की भीड़ के बाद शहर के एकमात्र विशाल पार्क के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर और बढ़ गई लेकिन उन्होंने अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बजाए इस ओर ध्यान देना ही बंद कर दिया। नगर निगम का चुनाव हो या विधानसभा और लोकसभा का, हर एक चुनाव में शहर के एकमात्र विशाल पार्क के सौंदर्यीकरण और इसको हाईटेक बनाने के वादे किए जाते रहे लेकिन जनप्रतिनिधियों के छल और कपट के चलते आज गांधी पार्क अपना वजूद खोने के कगार पर खड़ा हुआ है। पहले नगर पालिका और अब नगर निगम ने गांधी पार्क के सौंदर्यी करण के नाम पर करोड़ों रुपए की बंदरबांट अवश्य की गई की गई मगर गांधी पार्क की स्थिति मे कभी भी सुधार नजर नहीं आया। गांधी पार्क शहर के सबसे बड़े पार्क में गिना जाता था। पूर्व में करोड़ों रूपये इस पार्क के सौंदर्यीकरण के नाम पर खर्च किये गये लेकिन देखभाल और रख रखाव के अभाव में पूरा पार्क बदहाली के कगार पर पहुंच गया। शहर के बीच स्थित यह पार्क नगर निगम के लिए जहां मोटी कमाई का साधन है लेकिन इसके सौंदर्यीकरण और रख रखाव के लिए न तो जनप्रतिनिधि गंभीर हैं और न ही नगर निगम। हालत यह है कि पार्क में जगह जगह गड्ढे बने हुए हैं। शाम के समय यह पार्क नशेड़ियों का अड्डा बना रहता है वहीं दिन भर यह वाहनों की पार्किंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। साफ सफाई नहीं होने के कारण लोग यहां आने से कतराने लगे हैं। एक समय था जब इस पार्क में बड़ी संख्या में लोग सुबह शाम टहलने के लिए आते थे। लेकिन सौंदर्यीकरण के अभाव में पार्क की रौनक ही गायब हो गयी है।

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