उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में तीन हजार करोड़ का भ्रष्टचार..सीईओ ने खरीदी लक्जरी कार,बोर्ड में भेड़, चारा खरीद में नियमों की अनदेखी

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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका गांधी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजा पत्र
देहरादून। उत्तराखंड में भ्रष्टचार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। पहले श्रम एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड में अनियमित्तायें मिलने के बाद अब पशुपालन विभाग द्वारा संचालित भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में तीन हजार करोड़ की योजना में लिप्त अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है। पूर्व केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी ने उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को लिखी चिट्ठी मे तीन हजार करोड़ का प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के साथ ही उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में अनियमितताओं का मामला तूल पकड़ गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका गांधी ने इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भेजा है। सांसद गांधी ने पत्र की प्रति प्रधानमंत्री को भी भेजी है। पत्र में बोर्ड के सीईओ पर गंभीर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाने के साथ ही पशुपालन विभाग के सचिव की भूमिका को भी कठघरे में खड़ा किया गया है। साथ ही कहा गया है कि सीबीसीआइडी, सीबीआइ और ईडी की जांच के लिहाज से यह प्रकरण एकदम सही है। पत्र में यह सुझाव भी दिया गया है कि विश्व बैंक से ऋण के रूप में मिली तीन हजार करोड़ की राशि से चल रही भेड़ एवं ऊन विकास योजना को तत्काल बंद कर दिया जाना चाहिए।पीपुल फॉर एनिमल्स की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर बोर्ड में भेड़, चारा व वाहन खरीद में नियमों की अनदेखी और वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया था। उन्होंने प्रकरण की जांच की मांग को लेकर मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका गांधी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मोर्चा खोला है। सांसद गांधी ने पत्र में बोर्ड के सीईओ पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पत्र के अनुसार बोर्ड के सीईओ ने 13 लाख रुपये प्रति लक्जरी कार के हिसाब से कई कार खरीदने के साथ ही नोएडा में घर खरीदा है। यह भी आरोप लगाया गया है कि जिला बजट से चारा खरीद में भारी अनियमितता बरती गई। चारे की खरीद तय दरों से कहीं अधिक दरों पर की गई। पत्र में कहा गया है कि बोर्ड में कुछ लोग बगैर पद सृजन के प्रतिनियुक्ति पर रखे गए हैं। यही नहीं, ढाई लाख रुपये प्रतिमाह के वेतन पर बोर्ड में कंसल्टेंट रखा गया है, यह वेतन कंसल्टेंट के तय वेतन से कहीं अधिक है। इसकी स्वीकृति भी नहीं ली गई है। पत्र में आस्ट्रेलिया से मंगाई गई भेड़ों को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि वहां से उम्रदराज भेड़ों को यहां लाया गया। इसकी जांच किसी भी पशुचिकित्सक से कराई जा सकती है। पत्र में कहा गया है कि बोर्ड में बड़ी वित्तीय अनियमितता की गई है। लिहाजा, इसकी जांच कराई जानी आवश्यक है।

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