बिग ब्रेकिंग…डिबेट में पहंचे मनीष सिसौदिया ताकते रह गये,चतुर कौशिक की सियासी गुगली
देहरादून (दर्पण ब्यूरो )। आखिरकार सोशल मीडिया पर भी सियासी जंग शुरु हो चुकी है।आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया उत्तराखंड के सियासी मंच पर सुबह 11 बजे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत खुली बहस के लिये पहुंच गये है। दिल्ली के डिप्टी सीएम सुबह आईआरडीटी ऑडिटोरियम पहुंचे। बकायदा ऑडिटोरियम में उनकी फोटो लगाई गई है और साथ ही उनके नाम की नेम प्लेट भी रखी गई है लेकिन अभी तक वो वहां नहीं पहुंचे। इतना ही नहीं रोजगार, बिजली,पानी,शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े विकास कार्यों पर इस खुली बहस में उत्तराखंड के सियासी हालात को भांपने के लिये पहली बार आयोजित इस खुली चर्चा में मौजूदा सत्तासीन भाजपा के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बच गई है। हांलाकि प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार के सबसे प्रभावशाली नेता की इस सियासी गुगली को राजनीतिक बाजीगरी भी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि जिस प्रकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार के विकास माॅडल पर मनीष सिसौदिया ने चुनौती दे डाली है तो वहीं भाजपा ने उत्तराखंड में त्रिवेंद्र माॅडल को जीरो टाॅलरेंस के साथ ही विकास का माॅडल स्थापित करने दावा करते हुए खुली चर्चा करने की चुनौती दी है। बहरहाल मदन कौशिक और मनीष सिसौदिया की इस खुली सियासी बहस के बीच प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार के साथ ही अन्य सियासी दल भी चैकन्ने हो गर्ये है। आगामी 2022 के चुनाव से पहले जिस प्रकार आप पार्टी के नेताओं ने आम जनता से जुड़े मुद्दो पर खुली बहस के लिये मजबूर कर दिया है उससे अब सियासी दलों के नेताओं में बेचैनी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि आम आमी पार्टी की उत्तराखंड में बढ़ती सक्रियता के बाद भाजपा हाईकमान ने भी नेताओं से सप्मर्क तेज कर दिया है। दिल्ली के आप नेता की खुली चुनौती पेश करने के बाद अब भाजपा सरकार ने चिट्ठी के बदले चिटठी से जवाब पेश करते हुए आप पार्टी पर पलटवार किया है। मदन कौशिक ने मनीष सिसौदिया के पत्र का जवाब पत्र से दिया है। मदन कौशिक ने लंबी-चौड़ी चिट्ठी दिल्ली के डिप्टी सीएम को भेजी है। इसके बाद एक बार फिर उम्मीद की जा रही है कि मनीष सिसौदिया जरुर उत्तराखंड के मंत्री मदन कौशिक के पत्र का जवाब देंगे। इसमे विपक्ष भी लुत्फ उठा रहा है। जनता भाजपा और आप की जंग को सोशल मीडिया पर देख रही है। देखिए मदन कौशिक ने पत्र मे लिखा “”आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी,उप मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार नव वर्ष पर आप की शुभकामनाएं प्राप्त हुई। आपको भी अनंत मंगलकारी शुभकामनाएं। हालांकि आपने शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उस न्यूनतम मर्यादा का पालन नहीं किया जो ऐसे अवसर पर की जाती है। शुभकामना.पत्र में व्यंग्यात्मक भाषा का इस्तेमाल करना आपके राजनीतिक संस्कारों से जुड़ा हुआ मामला भी है। इस पर ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। आपने कथित दिल्ली मॉडल को सामने रखते हुए उत्तराखंड मॉडल के साथ सार्वजनिक बहस का निमंत्रण दिया है। उत्तराखंड भाजपा और उत्तराखंड सरकार आपके इस निमंत्रण का स्वागत करती है।उससे पूर्व कुछ बिंदुओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। श्री अन्ना हजारे द्वारा खड़े किए गए भ्रष्टाचार विरोधी जिस आंदोलन से आम आदमी पार्टी का उदय हुआ आज आपकी पार्टी उन मूल्यों से बहुत दूर आ गई है। खुद अन्ना हजारे आपकी पार्टी और सरकार की गतिविधियों को खारिज कर चुके हैं। और इतना ही नहीं उस समय के सभी प्रमुख नेताओं को बाहर निकाल कर आप यह साबित कर चुके हैं कि आपकी पार्टी एक व्यक्ति पर आधारित है जिसका कोई राजनीतिक दर्शन नहीं है। आप उस ईमानदारी और मूल्यबोध से बहुत दूर हो चुके हैं जो अन्ना आंदोलन के दौरान बढ़.चढ़कर प्रचारित की गई थी।आम आदमी पार्टी की सरकार के सात साल में दिल्ली की जनता देख चुकी है कि आप सेलर ऑफ होप हैं। आप उम्मीदों और सपनों को बेचने वाले व्यापारी की तरह व्यवहार करते हैं। जहां तक उत्तराखंड की बात है तो यहां हर साल करोड़ों पर्यटक आते हैं। उत्तराखंड को आप जैसे टूरिस्ट पॉलीटिशियन का स्वागत करने में भी कोई हिचक नहीं है। और जो सार्वजनिक चर्चा अथवा बहस का प्रश्न है राजनीति एक गंभीर विषय है। यह किसी थिएटर का शो नहीं है। आपको यह स्मरण कराना चाहता हूं कि उत्तराखंड की धरती सच्चे आंदोलनों की धरती है। उत्तराखंड का हर व्यक्ति विकास केंद्रित राजनीति और उसके गंभीर पहलुओं से अच्छी तरह वाकिफ है। आम आदमी पार्टी के विषय में पूरा देश जानता है कि आपका पूरा नेतृत्व एक पलायनवादी मानसिकता का शिकार है। कभी आप दिल्ली छोड़कर यूपी चले जाते हैं। कभी आपके नेता पंजाब में मुख्यमंत्री बनने पहुंच जाते हैं और अब उन्हें उत्तराखंड आने का शौक लगा है। उत्तराखंड कि धरती हमेशा ही मेहमानों का स्वागत करती है लेकिन यह उम्मीद भी करती है कि मेहमान किसी उतावलेपन का शिकार ना हो। आपके व्यवहार और आपकी टिप्पणियों में एक गहरी हताशा और राजनीतिक जल्दबाजी साफ दिखाई देती है।जैसा कि मैंने कहा कि उत्तराखंड की जनता राजनीतिक रूप से बहुत ही परिपक्व और अनुभवी है इसलिए वह किसी मौसमी व्यक्ति के बरगलाने में नहीं आएगी। जहां तक डिबेट का प्रश्न है उत्तराखंड भाजपा का कोई नेता अथवा मंत्री ही नहीं पार्टी का छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी आपके साथ मजबूती के साथ मुद्दा आधारित राजनीतिक बहस कर सकता है। आपने शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी रोजगार समग्र विकास जैसे बिंदुओं को सामने रखकर दिल्ली मॉडल की चर्चा की है। यहां कुछ बातें आपके सामने रखना उचित होगा। आपकी सरकार ने दिल्ली में 400 नई लाइब्रेरी खोलने की घोषणा की थी इनमें अभी तक एक चैथाई भी नहीं खुल पाई हैं। दिल्ली में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है जबकि आपकी सरकार बच्चों से उनके अभिभावकों और परिजनों के मोबाइल नंबर आदि ब्यौरा भरवाने में व्यस्त है ताकि इन सूचनाओं का राजनीतिक उपयोग किया जा सके। ऐसा किया जाना चिंताजनक है। आम आदमी पार्टी सरकार को बताना चाहिए कि बीते 7 साल में आप ने दिल्ली में कितने डिग्री कॉलेज कितनी नई यूनिवर्सिटी और कितने मेडिकल कॉलेज शुरू किए हैं आपके पास जो भी आंकड़े हों उन आंकड़ों की तुलना उत्तराखंड से कर लीजिएगा तो आपको सही उत्तर मिल जाएगा कि आपका शिक्षा का मॉडल कितना झूठा है। यह चिंता की बात है कि देश की राजधानी दिल्ली को आपकी सरकार की लापरवाही के कारण कोरोना के समय में बेहद बुरा दौर देखा है। जैसे ही दिल्ली में कोरोना का फैलाव आरंभ हुआ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खुद को आइसोलेट कर लिया। यह नेतृत्व का साफ.साफ पलायन था। यदि देश के माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी ने दिल्ली को बचाने के लिए व्यक्तिगत रूप से पहल न की होती तो आज राजधानी की स्थिति बहुत बदतर होती। आपको इस बात पर चिंता करनी चाहिए कि दिल्ली में कोरोना फिर से चिंताजनक रूप से फैल रहा है जबकि मेडिकल सुविधाओं की स्थिति खराब है। आपने जिन मोहल्ला क्लीनिको का जमकर प्रचार किया उन पर अब ताले लग चुके हैं। फिर भी आप बढ़-चढ़कर दावे कर रहे हैं।बीते कई महीनों में प्रदूषण के मामले में दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में एक रहा है। जबकि आपकी सरकार इसका ठीकरा देश के किसानों के सिर पर फोड़ रही है। दिल्ली के प्रदूषण की स्थिति पर माननीय सुप्रीम कोर्ट को निर्देश देने पड़े हैं उन निर्देशों का अनुपालन भी आज तक सुनिश्चित नहीं हो पाया है। आपको उत्तराखंड की चिंता करने से पहले दिल्ली के करोड़ों लोगों की जिंदगी की चिंता करनी चाहिए जो आप पर विश्वास करके धोखा खा चुके हैं। मुझे यह बात कहने में कोई संकोच नहीं है कि आपको सत्ता का बहुत गहरा लालच है। सत्ता के इसी लालच में आपने दिल्ली के लोगों को ठगा है। अब आप उत्तराखंड को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यहां आपकी कोशिश सफल नहीं होगी। दिल्ली में झुग्गी.झोपड़ियों की स्थिति और उन में रह रहे लाखों लोगों की जिंदगी का सच किसी से नहीं छिपा हुआ है। इस मामले में आपको उत्तराखंड सरकार से सबक लेना चाहिए।दिल्ली की ज्यादातर कॉलोनियों में एक.दो घंटे पानी की सप्लाई करके आप झूठी वाहवाही लूट रहे हैं कि पूरी दिल्ली को निशुल्क पानी दे दिया गया है। आप खुद अपने आंकड़े उठाकर देखिए कि दिल्ली में बेरोजगारी की स्थिति बेहद चिंताजनक है जबकि दिल्ली देश का सबसे ज्यादा आर्थिक सुविधा संपन्न राज्य है। इस राज्य को रसातल में पहुंचाने में आपकी सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। आप यदि राजनीतिक रूप से ईमानदार हैं तो फिर आपको शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी और रोजगार के मुद्दों पर आंकड़ों तथ्यों तथा प्रमाणों सहित बहस करनी चाहिए। पूरा देश जानता है कि आपकी पार्टी के प्राय सभी नेता देश के सम्मानित लोगों पर कई तरह के झूठे आरोप लगाते रहे हैं और बाद में कोर्ट में माफी मांग कर पीछा छुड़ाने की कोशिश करते रहे हैं।उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड भाजपा सच्चे मन से नए साल पर आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती है। साथ ही यह आशा भी करती है कि आप राजनीति को पूर्ण गंभीरता से लेंगे और इसको माध्यम बनाकर लोगों को धोखा देने की गतिविधियों में लिप्त होने से बचेंगे।आपको एक विनम्र सुझाव भी देना चाहता हूँ कि जो भी पत्र आपके हस्ताक्षर से निर्गत किया जाए उस पर तारीख और तथ्यों को ठीक से देखा जाना चाहिए। आपने वर्ष 2021 की बजाय 2020 की शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। आपने अपने पत्र में कथित दिल्ली मॉडल पर चर्चा के लिए जो तारीख निर्धारित की है वह तारीख भी 01 वर्ष पहले बीत चुकी है। इसी से पता चलता है कि आप तथ्यों को लेकर गंभीर नहीं हैं।दिल्ली सरकार के माननीय उप मुख्यमंत्री होने के नाते आपके लेटर हैड पर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह सुसज्जित है इसलिए भी तिथियों के मामले में अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता है। मेरी सलाह है कि किसी भी गंभीर मुद्दे पर बात करने से पूर्व उसकी समुचित तैयारी अवश्य करनी चाहिए ताकि ऐसी तथ्यात्मक चूक ना हो कि आप 2021 में वर्ष 2020 की शुभकामनाएं भेजते हुए दिखाई दें। फिर भी, मेरी तरफ से आपको और आपके परिवार को वर्ष 2021 की अनंत अशेष शुभकामनाएं।
आपका ,मदन कौशिक