किसानों को मनाने में जुटी मोदी सरकार,मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर खाया

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40 किसान संगठन और केन्द्र सरकार की सातवें दौर की बातचीत जारी
नई दिल्ली(दर्पण ब्यूरो)। दिल्ली के अलग अलग बाॅर्डर पर जारी किसान आंदोलन का आज 35वां दिन है। कृषि कानून के मसले पर बुधवार को एक बार फिर किसान संगठनों और भारत सरकार के बीच बातचीत शुरू हुई। विज्ञान भवन में हो रही इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए 40 किसान संगठन पहुंचे हैं। जबकि सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल बैठक में शामिल हैं।विज्ञान भवन में वार्ता के बीच मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर खाया। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी प्लेट लेकर लाइन में दिखे। बता दें कि आज किसान-सरकार के बीच 7वें दौर की बातचीत चल रही है  किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कानून वापस होने चाहिए। इससे पहले किसान यूनियन के मंजीत सिंह ने कहा कि अगर सरकार चाहती है कि आंदोलन खत्म हो, तो उन्हें तीनों कानून वापस लेने चाहिए। पीएम कहते हैं कि सरकार किसानों के साथ है, तो उन्हें हमारी मांग माननी चाहिए। किसान संगठनों का कहना है कि उन्हें कोई संशोधन नहीं चाहिए बल्कि कानून वापस होने चाहिए। सरकार से बातचीत से पहले किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि हमें उम्मीद है सरकार को कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ होगा। हमारा रुख सरकार की वजह से अड़ियल हुआ है, ये किसान सिर्फ कारोबारियों के फायदे वाला है। हमारी ओर से अब 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी की जा रही है। कृषि कानून के मसले पर दोनों पक्षों में होने वाली ये सातवें राउंड की बातचीत है। केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश का कहना है कि उन्हें उम्मीद है आज ही किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा। सरकार किसानों के साथ खुले मन से बात कर रही है, जो भी सुझाव आएंगे उसपर विचार किया जाएगा। कृषि कानून को लेकर लगातार कांग्रेस केंद्र सरकार को घेर रही है। ऐसे में राजनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि वो एक किसान परिवार में पैदा हुए हैं, ऐसे में वो राहुल गांधी से अधिक खेती के बारे में जानते हैं। कृषि कानूनों को किसानों की भलाई के लिए लाया गया है। किसान आंदोलन में शामिल किसानों पर खालिस्तानी समर्थक होने का आरोप लगने पर राजनाथ सिंह ने कहा कि किसानों पर इस तरह का आरोप नहीं लगना चाहिए। हम किसानों का सम्मान करते हैं, वो हमारे अन्नदाता हैं। बीते दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पीयूष गोयल के बीच लंबे दौर की बातचीत हुई, जिसमें किसानों संग मुलाकात की रणनीति बनाई गई। किसानों की ओर से सरकार के साथ चर्चा करने से पहले ही एक जवाब भेजा गया था। जिसमें किसानों ने कहा था कि वो अपने निश्चित चार मुद्दों पर ही चर्चा करना चाहते हैं, जिनमें कृषि कानून के वापसी के तरीके, बिजली बिल से जुड़े कानून की वापसी, एनसीआर में प्रदूषण को लेकर बिल पर चर्चा और पक्की एमएसपी पर बात करेंगे। सरकार के साथ बातचीत से पहले किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी तो प्रदर्शन खत्म नहीं होगा। सरकार को कानून वापस लेना ही पड़ेगा, संशोधन पर बात नहीं बनेगी। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैट ने कहा है कि आज गाजियाबाद बाॅर्डर पर महापंचायत होगी जिसमें आगे की रणनीति तय होगी। उन्होंने ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को भी बंद करने की धमकी भी दी। राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार से बात नहीं बनती है तो ईस्टर्न पेरीफेरल और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को बंद कर दिल्ली में आना और जाना पूरी तरह से बंद किया जाएगा। अब इस आंदोलन का प्रमोशन होगा। जिस तरह सिपाही भर्ती होता है फिर हेड कांस्टेबल बनता है, उसी तरह इस आंदोलन का भी अब प्रमोशन होगा। यानी, आंदोलन का दायरा अब बढ़ता रहेगा।

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