मौत को भी मात दे रही वैद्य प्रदीप भंडारी की चमत्कारी दवा

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गऊ मूत्र और जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनी दवा से ठीक हो रहे कैंसर, हेपेटाईटिस गठिया, शुगर, थाइराइड , ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों के मरीज , हजारों गंभीर रोगियों को मिल चुका है नया जीवन
जगदीश चन्द्र
रामनगर। डाॅक्टरों को भगवान का दूसरा रूप भी कहा गया है। जिंदगी बचाने वाले चिकित्सक कई बार कुछ ऐसा कर जाते हैं जो समाज में एक मिसाल बन जाती है। ऐसे ही एक धरती के भगवान वैद्य प्रदीप भंडारी लाईलाज बिमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए मसीहा बनकर सामने आये हैं। कैंसर जैसे गंभीर रोगियों को प्रदीप भंडारी गऊ मूत्र और जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनने वाली ‘चमत्कारी दवा’ से नया जीवन दे चुके है। कई मरीजों को प्रदीप भंडारी ने मौत के मुंह से न सिर्फ बचाया बल्कि उन्हें सामान्य जीवन जीने लायक बनाकर उम्मीद की नई किरण जगाई हैं। एम्स और कई नामी गिरामी अस्पतालों से भी निराश होकर लौटे कई रोगी प्रदीप भंडारी की चैखट पर आकर ठीक हो चुके हैं। रामनगर निवासी प्रदीप भंडारी कोटाबाग ब्लाक के अंतर्गत पवलगढ़ गांव में पिछले नौ वर्ष से गऊ मूत्र क्रांति नाम से संस्थान चला रहे हैं। वैसे तो उनके इस संस्थान में हर मर्ज का ईलाज है लेकिन उनके पास ज्यादातर गंभीर रोगों से ग्रसित मरीज ही आते हैं। उन्होंने पिछले नौ वर्षों से गऊ मूत्र क्रांति नाम से अभियान छेड़ा है। इस अभियान के जरिये वैद्य प्रदीप भंडारी ने प्राचीन चिकित्सा पद्यति को पुनर्जीवित करने के साथ ही आयुर्वेद को एक नया आयाम दिया है। प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के गहन अध्ययन के बाद प्रदीप भंडारी गऊ मूत्र और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बनाई जाने वाली दवाओं के माध्यम से कैंसर जैसे गंभीर रोगियों को भी ठीक कर देते हैं। एम्स और दिल्ली के बड़े बड़े अस्पतालों से निराश हो चुके कई मरीजों को भी वैद्य प्रदीप भंडारी अपनी चमत्कारी दवा से ठीक कर चुके हैं। उन्होंने पिछले नौ वर्षों में अनगिनत कैंसर रोगियों को नया जीवन दिया है। कैंसर के अलावा गठिया, शुगर, मिर्गी, थाईराईड, मोटापा, मस्तिष्क रोग, हैपेटाईटिस बी और सी सहित तमाम ऐसे असाध्य रोगों को वैद्य प्रदीप भंडारी ने जड़ से खत्म करके हजारों लोगों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगाई है। वैद्य प्रदीप भंडारी की चमत्कारी दवा कलयुग में संजीवनी बूटी से कम नहीं। उनके पास कई ऐसे मरीज आये जिन्हें बड़े बड़े हास्पिटलों के चिकित्सकों ने जवाब दे दिया था। ऐसे मरीजों को भी प्रदीप भंडारी ने कुछ ही दिनों के उपचार से ठीक कर दिया। दोनों किडनियां फेल होने के बाद, हफ्ते में तीन चार डायलिसिसि का सामना कर रहे कई मरीजों को सामान्य जीवन जीने लायक बनाकर प्रदीप भंडारी ने गऊ मूत्र क्रांति अभियान को उंचाईयों तक ले जाने का काम किया है। यही कारण है कि उनके संस्थान में रोजाना उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में मरीजों का तांता लगा रहता है। उनके पास आने वाले अधिकांश मरीज या तो गंभीर रोग से पीड़ित होते हैं या फिर वह अन्य दूसरे अस्पतालों से निराश हो जाते हैं।

साधारण परिवार में जन्मे प्रदीप भंडारी का हुनर असाधारण है। 17 वर्षों के कठिन परिश्रम और शोध के बाद उन्होंने ईलाज का जो नया तरीका ईजाद किया उसकी बदौलत आज हजारों लोगों को नया जीवन मिल चुका है। प्रदीप भंडारी की प्रारम्भिक शिक्षा रामनगर में ही हुई। रामनगर डिग्री कालेज से उन्होंने राजनीति शास्त्र से एमए किया। छात्र राजनीति के साथ साथ वह राज्य आंदोलनकारी भी रहे। इसके बाद कुछ समय उन्होंने दिल्ली में भी अध्ययन किया। बाद में वह कानून की पढ़ाई करने बनारस चले गये। लेकिन पिता का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण उन्हें कानून की पढ़ाई बीच में छोड़़नी पड़ी। बचपन से ही उनकी रूचि अध्यात्म, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद की तरफ थी। पढ़ाई के दौरान उन्होंने कई बार अपने आस पास ऐसे लोगों को देखा जिनके परिवार में गंभीर रोगों के कारण घर तक बिक गये लेकिन इसके बावजूद मरीज की जान नहीं बच पाई। ऐसी घटनाओं ने प्रदीप भंडारी को प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के लिए प्रेरित किया और धीरे धीरे उनकी जिज्ञासा प्राकृतिक चिकित्सा की ओर बढ़ती चली गयी। छात्र राजनीति और राज्य आंदोलनकारी के रूप में सक्रिय भागीदारी के बावजूद उन्होंने राजनीति में जाने के बजाय चिकित्सा क्षेत्र में जाने का मन बनाया और घर छोड़कर शोध के लिए निकल पड़े। इसी बीच वह कुछ साधु संतों के संपर्क में आये और उत्तराखण्ड के कई तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया। इन्हीं दिनों वे उत्तरकाशी में नेपाल के एक तपस्वी संत के संपर्क में आये। तपस्वी संत के संपर्क में आने के बाद ही प्रदीप भंडारी का जीवन पूरी तरह बदल गया। नेपाल के तपस्वी संत ने उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा और अयुर्वेद के गूढ़ रहस्य बताये। प्रदीप भंडारी ने बताया कि उन्हें अचानक मिले ये संत बाल योगी थे। इनके साथ उन्होंने काफी समय बिताया। उन्होंने जो ज्ञान दिया वह आज लोगों का जीवन बचाने में काम आ रहा है। प्रदीप भंडारी ने बताया कि उन्हांने 17 वर्षाें तक पहाड़ों, हिमालयी क्षेत्रों की यात्रायें की और प्रकृति के रहस्यों को जाना। इसके साथ ही गऊ मूत्र के रहस्यों के बारे में भी बारीकी से जानकारी हासिल की। प्रदीप भंडारी कहते हैं कि आज वह जो कुछ भी हैं वह सब महान संतों के मार्गदर्शन और उनके आशीर्वाद से ही संभव हुआ है।
संतों की सानिध्य में जुटाये गये ज्ञान की बदौलत आज प्रदीप भंडारी गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए मसीहा बने हुए हैं। उन्हें लोग ईश्वर का रूप मानते हैं। लोग कहते हैं कि उनके पास ईलाज के लिए जो भी आता है और पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ उनकी दवा का सेवन परहेच के साथ करता है तो ऐसा रोगी मौत को भी मात दे देता है। लेकिन दवा के साथ परहेच की हिदायत पहले दी जाती है। वरना दवा सौ फीसदी काम नहीं करती। गऊ मूत्र और जड़ी बूटियों से बनी दवा के सेवन के दौरान दूध और उससे बने सभी उत्पादों के अलावा मांस, मदिरा, बादी भोजन, नीबू, आलू, चावल का भी परहेच करना होता है। मरीज को दवा लेने तक सुपाच्य भोजन ही करने की सलाह दी जाती है। इससे मरीज का रोग ठीक होने में जल्दी सार्थक परिणाम सामने आते हैं। वैद्य भंडारी के मुताबिक उपचार के दौरान सामान्य तौर पर 40 से 90 दिनों तक परहेच करना होता है। उसके बाद 95 प्रतिशत लोगों को परहेच बंद कर दिया जाता है।
गऊ मूत्र में हैं चमत्कारी गुण
रामनगर। वैद्य प्रदीप भंडारी ने गऊ मूत्र क्रांति के गूढ़ रहस्यों का पता लगाकर असंख्य लोगों को इसके दम पर लाईलाज रोगों से निजात दिलाई है। गऊ मूत्र के गुणों के बारे में वैद्य भंडारी ने बताया कि उनकी दवाओं का बेस गऊ मूत्र ही है। क्यों कि अकेले किसी भी वनस्पति में इतनी ताकत नहीं जितनी अकेले गऊ मूत्र में हैं। बगैर गऊ मूत्र को बेस बनाये कोई भी वनस्पति अपना बेहतर फल नहीं दे पाती। गऊ मूत्र में कुछ ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं जिससे वात कफ और पित्त का बैलेंस बना रहे। वैद्य भंडारी ने कहा कि गऊ मूत्र में अमोनिया होता है। उसमें से अमोनिया को हटाकर अर्क तैयार किया जाता है। उसके बाद उसमें ऐसी जड़ी बूटियां मिलाई जाती हैं जिससे उसके फल में कई गुना वृद्धा हो जाती है और यह दवा असाध्य रोगों के लिए संजीवनी का काम करती है। किडनी कैंसर, मोटापा, शुगर, बीपी, लीवर के गंभीर रोग, अनिद्रा, मस्तिष्क, हार्ट डिजिज में गऊ मूत्र से तैयार औषधि राम बाण का काम करती है। वैद्य प्रदीप भडारी ने बताया कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं। गऊ मूत्र से निर्मित दवा से जो चमत्कारिक परिणाम आये हैं वह सबके सामने हैं। उन्होंने गऊ मूत्र से ही कई ऐसे मरीजों को स्वस्थ करके दिखाया है जिन्हें अस्पतालों ने कह दिया था कि इनका समय पूरा हो चुका है। आज ऐसे लोग जीवित हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं। गऊ मूत्र में भी पहाड़ी गाय के गौ मूत्र को वैद्य भंडारी सबसे विशिष्ट बताते हैं। उनका कहना है कि पहाड़ों की गाय की नस्ल छोटी होती है वह कम खाती है और जंगल में खुद चरती है, बहता हुआ पानी पीती है। ऐसी गाय के गौ मूत्र के परिणाम असाधारण होते हैं। उन्होंने बताया कि बाजारों में प्लास्टिक की बोतलों में मिलने वाला गौ मूत्र रोगों के उपचार की दृष्टि से गुणवत्ता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता।

चमत्कारी दवा के परिणाम देख बड़े बड़े चिकित्सक हैरान
रामनगर। प्रदीप भंडारी के उपचार की तकनीक को लेकर बड़े बड़े अस्पतालों चिकित्सक हैरान हैं। जिन मरीजों को तत्काल आप्रेशन की सलाह दी गयी थी ऐसे मरीजों ने जब प्रदीप भंडारी की चमत्कारी दवा की खुराक कुछ ही दिन ली तो न सिर्फ उनका आप्रेशन टल गया बल्कि रोग भी जड़ से समाप्त हो गया। ऐसे मरीज जब दुबारा रिपोर्ट लेकर हास्पिटलों में पहुंचे तो चिकित्सक रिपोर्ट देखकर हैरान हो गये। प्रदीप भंडारी के उपचार की तकनीक से प्रभावित होकर दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों के बड़े बड़े चिकित्सक उनसे उपचार की तकनीक जानने पवलगढ़ में उनके गऊ मूत्र क्रांति संस्थान आ चुके हैं। हैरान चिकित्सक जानना चाहते हैं कि आखिर क्या तकनीक है जो असाध्य रोग भी कुछ दिनों या महीनों में जड़ से ठीक हो जाते हैं। इस बारे में वैद्य भंडारी ने कहा कि यह सब मेडिकल साइंस पढ़ने वालों की सोच से परे हैं, इसे समझने के लिए अहंकार की भावना को पूरी तरह खत्म करना होगा। इसको समझने के लिए भारतीय आध्यात्म को समझना पड़ेगा, भारतीय दर्शन और ऋषि मुनियों को समझना पड़ेगा। तब इसका परिणाम सार्थक होगा। वैद्य भंडारी ने कहा कि आयुर्वेद को समझने के लिए पहले अध्यात्म को समझना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ईश्वर के प्रति अटूट आस्था के बिना यह सब संभव नहीं।
तीन खुराक में ठीक हुए कोरोना के मरीज
रामनगर। कोरोना काल में वैद्य प्रदीप भंडारी कई कोरोना मरीजों को भी नया जीवन दे चुके है। उनकी औषधि कोरोना के रोगियों के लिए संजीवनी का काम कर रही है। पूर्व सांसद बलराज पासी के पिता योगराज पासी और दर्जा मंत्री राजेश कुमार को भी वह वह कोरोना से निजात दिला चुके हैं। इसके अलावा कई कोरोना पीड़ित मरीज उनकी खुराक से ठीक हो चुके हैं। प्रदीप भंडारी बताते हैं कि मात्र तीन डोज में ही कोरोना के मरीज ठीक हुए हैं। वैद्य भंडारी ने बताया कि कोरोना फेफड़ों में कफ के सूखने की बिमारी है और उनकी दवा पहले दिन की पहली डोज से ही कफ को बाहर निकालती है और फेफड़ां की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही आॅक्सीजन को भी बढ़ाती है और ब्लड को भी प्यूरीफाई करती है। कोरोना के बारे में वैद्य भंडारी कहते हैं कि कोरोना गंभीर रोग है, इसे हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए। कोरोना से लड़ने के लिए सबसे जरूरी चीज है मजबूत इम्यून सिस्टम। क्यों कि कोरोना कफ कारक है और कफ कारक कोई भी बिमारी आसान नहीं होती। लेकिन इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करने से इस बिमारी से आसानी से लड़ा जा सकता है। वैसे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ना शरीर के लिए हर एंगल से ठीक होती है। जिसकी इम्यूनिटी मजबूत होती है उसे दुनिया की कोई भी बिमारी नहीं लगती। उन्होंने कहा कि गऊ मूत्र और अन्य औषधियों के मिश्रण से इम्यूनिटी को मजबूत बनाना आसान है। जिस तरह से नई नई बिमारियां पनप रही हैं उसे देखते हुए आने वाले समय में सबको गऊ मूत्र की तरफ लौटना होगा औ इसे अपनाना ही होगा।
इसलिए शरीर में विष बन जाता है दूध
रामनगर। वैद्य प्रदीप भंडारी जिस तकनीक से मरीजों का उपचार करते हैं, उसमें दूध और उससे बनने वाले सभी उत्पादों का परहेच कराया जाता है। इसके बारे मंे पूछने पर वैद्य प्रदीप ने बताया कि दूध हर किसी को हजम नहीं होता। दूध दही लोगों के पाचन मंे आ रही होती तो ज्यादातर लोग इससे अस्वस्थ नहीं होते। दूध और इससे बनी चीजें तब पचती हैं जब लीवर दुरूस्त होता है और आज आम तौर पर ज्यादातर लोगों का लीवर ठीक नहीं है। जब लीवर किडनी, हार्ट, सभी सही ढंग से काम कर रहे हों तो दूध दही और इससे जुड़े सभी उत्पाद अमृत का काम करते हैं। जब ये तीनों ठीक से काम नहीं कर रहें हो तो दूध और उससे जुड़े उत्पाद शरीर में विष का काम करते हैं। इसीलिए उपचार के दौरान इनका परहेच कराया जाता है और जब शरीर में सब कुछ सामान्य हो जाता है तो इन्हें खाने की इजाजत दे दी जाती है।
गलत जीवनशैली और खान पान है रोगों की जड़
रामनगर। वर्तमान में खराब जीवन शैली और खान पान के बदलते प्रचलन को वैद्य प्रदीप भंडारी रोगों की जड़ मानते हैं। उन्होंने कहा कि जब खाने पीने के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं थे तब लोग रोटी नमक या चटनी से खाते थे तब भी सुखी थे। धीरे धीरे लोगों ने डेयरी प्रोडक्ट को बेस बनाया। इसके साथ साथ बादाम, काजू और जो हाथ आया सब खाया। दिक्कत ये है कि लोग एनर्जी शरीर में डाल तो रहे हैं लेकिन उसको पचा नहीं पा रहे हैं। एनर्जी को गेन तो किया जा रहा है लेकिन बर्न नहीं हो पा रही। यही चीज शरीर के लिए विष का कारण बन रही है। इसके अलावा आज खाद्य पदार्थों में पेस्टी साईड का बड़ी मात्रा मंे उपयोग हो रहा है। यहां तक कि गायों की नस्ल तक बिगड़ गयी है। गायों का चारा भी खराब हो गया है। खान पान में मिलावट, खराब लाइफ स्टाईल बगैर भूख के भोजन करना और भूख लगने पर चाय पीना ये स्थितियां बहुत ज्यादा खराब हैं। लोग पहले भूख लगने के लिए दवा खा रहे हैं फिर पचाने के लिए दवा खा रहे है और फिर नींद के लिए दवाई खाई जाती हैं। फिर पेट साफ करने के लिए। सब कुछ दवाओं पर निर्भर होता जा रहा है। प्रारम्भिक दौर में ये सब ठीक लगता है। धीरे धीरे यही दवायें शरीर के नाश का कारण बन जाती है।

गरीब मरीजों के निःशुल्क इलाज का उठाया है बीड़ा
रामनगर। अंधाधुंध धन-सम्पत्ति जमा करने की होड़ में शामिल चिकित्सकों के लिए प्रदीप भंडारी एक सबक हैं। खुद साधारण जीवन व्यतीत करते हुए वह लोगों को असाध्य रोगों से निजात दिलाकर गरीब मरीजों का निःशुल्क उपचार भी कर रहे हैं। प्रदीप भंडारी का कहना है कि वह नोटों से तिजोरी नहीं भरना चाहते बल्कि इस बात पर विश्वास करते हैं कि जो देने लायक है उससे ईलाज का जायज पैसा लें और जो नहीं देने लायक है उसका निःशुल्क उपचार करें। पिछले नौ वर्षों से वह गरीब जरूरतमंदों का ईलाज मुफ्त करते आ रहे हैं। आगे भी उनका यह प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि भविष्य मे आर्थिक स्थिति ठीक रही तो अनाथ, विकलांग, विधवाएं या धन के अभाव में ईलाज नहीं करा पाने वाले लोगों के लिए खुले दिल से काम करेंगे। जहां तक भी उनकी पहुंच होगी। वहां पर जो भी जरूरतमंद लोग होंगे उनकी मदद का प्रयास किया जायेगा। उनका प्रयास है कि भविष्य में एक ऐसा आश्रम स्थापित करें जिसमें रोगियों को आवास की सुविधा भी मिले उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग के माध्यम से जल्द से जल्द ठीक किया जाये।
स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या में करें सुधार
रामनगर। वर्तमान परिस्थितियों में सभी को स्वस्थ रहने के लिए अपने संदेश में वैद्य प्रदीप भंडारी ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनचर्या को ठीक करना सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि नियमित प्राणायाम करें। प्राणायाम में कुछ और ना भी कर सकें तो कम से कम सात मिनट तक अनुलोम विलोम अवश्य करें। सबसे बड़ी बात बगैर भूख लगे भोजन न करें और भयंकर नीद आने तक बिस्तर में ना जाये। सुबह उठने के बाद कम से कम आधा घंटे तक वाॅक करें या हाथ पैरों का व्यायाम करें। खाना खाने से एक घंटे पहले या एक घंटे बाद डेढ़ किमी पैदल चलें। उन्होनं कहा कि पैदल चलना आजकल लोगों ने बंद कर दिया है। जिसके चलते लोगों का ब्लड सर्कुलेशन और नशें जाम हो गयी है। एक बार ये जाम हो जाये तो इसे खोलना बहुत मुश्किल होता है। स्थिति बिगड़ने पर इसको वैद्य या हकीम भी ठीक नहीं कर सकता और अंग्रेजी दवाओं में तो इसका कोई ईलाज है ही नहीं। बगैर लाईफ स्टाइल में सुधार करे रोगों का जड़ से सफाया संभव नहीं। वैद्य भंडारी ने कहा कि रोग छोटा हो या बड़ा उनकी दवा भी पचास प्रतिशत ही असर करती हैं। पचास प्रतिशत काम अपने शरीर पर खुद ही करना होता है यानि खान पान में बदलाव और दिन चर्या में बदलाव करके। शरीर को इतना क्रियाशील बनायें कि भूख अपने आप लगे। सेहत के लिए शाकाहार सबसे बेहतर है। मांसाहारी प्रवृत्ति शरीर के लिए आगे चलकर खतरनाक साबित होती है। कोरोना फैलने की वजह भी मांसाहार ही है। कई विशेषज्ञ भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि मांसाहार लेने वाले लोगों में कोरोना का खतरा अधिक है। सुपाच्य भोजन शरीर को उर्जा देने का काम करता हैं क्यों कि सुपाच्य भोजन को पचाने में शरीर की उर्जा अधिक खर्च नहीं होती और यह बची हुई उर्जा शरीर को स्वस्थ करने में काम आती है। सुपाच्य भोजन नहीं करने पर शरीर की अधिक से अधिक उर्जा भोजन को पचाने में ही लग जाती है। जिसके चलते शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। वैद्य भंडारी ने कहा कि स्वस्थ जीवन जीना है तो लोगों को शाकाहार और योग की तरफ लौटना ही पड़ेगा। क्यों कि शरीर जितना प्रकृति से जुड़ा रहेगा उतना ही दीर्घायु जीवन होगा। कोरोना से बचाव के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए वैद्य भंडारी ने टिप्स देते हुए कहा कि सौंठ, हल्दी, शहद और गऊ मूत्र का सही मात्रा में उपयोग करके इम्यूनिटी को बहुत बेहतर बनाया जा सकता है। बशर्ते गऊ मूत्र सही हो। बाजार में प्लास्टिक की बोतल में मिलने वाला गऊ मूत्र उपयोग के लायक नहीं होता। इसके शरीर पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा गऊ मूत्र का पूरा लाभ लेने के लिए इसमें से अमोनिया को बाहर करना भी जरूरी है तभी यह शरीर को पूरा लाभ देता है। गऊ मूत्र को कांच, चीनी मिट्टी या मिट्टी के बर्तन में ही रखा जाना चाहिए।

राज्य आंदोलन में निभाई अहम भूमिका
रामनगर। वैद्य प्रदीप भंडारी छात्र राजनीति में सक्रिय रहने के साथ साथ राज्य आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने लम्बे समय तक इलेक्ट्रोनिक मीडिया में रिपोर्टिंग भी की। वह एक प्रतिष्ठित चैनल के कुमांऊ प्रभारी भी रह चुके हैं। पत्रकारिता से पहले उन्होंने उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान न सिर्फ युवाओं का नेतृत्व किया बल्कि राज्य निर्माण आंदोलन में 31 बार गिरफ्तारियां भी दी। प्रदीप भंडारी 1992 मंे छात्र संघ के सचिव रहे और छात्र महासंघ में जनरल सैकेट्री रहे। उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान युवाओं की अगुवाई भी की। प्रदीप भंडारी बताते हैं कि राज्य निर्माण के लिए वह पूरे जोश और जुनून से भरे हुए थे इसीलिए उन्हें लोग पागल और सिरफिरा भी कहते थे, वह हमेशा यही कहते थे कि आज नहीं तो कल उत्तराखण्ड बनकर रहेगा चाहे हम रहें या न रहें। राज्य आंदोलन के दौरान वह संसद कूच, मुजफ्फरनगर के साथ साथ जहां जहां भी आंदोलन चरम पर था वहां आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहे। इसी के चलते उन्हें 31 बार गिरफ्तार किया गया। प्रदीप भंडारी ने बताया कि राज्य आंदोलन के दौरान उन्होंने उत्तराखण्ड स्टूडेंट फैडरेशन में भी काम किया। इस संगठन ने भारत के तेजतर्रार छात्र संगठन बोडो छात्र संगठन, झारखण्ड स्टूडेंटस एसोसिएशन, सिख स्टूडेंट फैडेरेशन सहित तमाम छात्र संगठनों को रामनगर में 11 नवम्बर 1992 को रामनगर में आमंत्रित किया और 12 हजार छात्रों का विशाल छात्र महासम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन के बाद कभी इतना बड़ा छात्र महासम्मेलन नही हुआ।
नशा मुक्ति में भी दे रहे अहम योगदान
रामनगर। वैद्य प्रदीप भंडारी गौ मूत्र क्रांति अभियान के साथ साथ नशा मुक्ति और शाकाहार को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनके यहां आने वाले सभी मरीजों को मांसाहार छोड़ने और नशे से दूर रहने की सलाह दी जाती है। साफ तौर पर हिदायत दी जाती है कि मांसाहार और नशा छोड़े बिना रोग का उपचार संभव नहीं। यही वजह है कि उपचार के लिए आने वाले तमाम लोग नशा और मांसाहार से हमेशा के लिए तौबा कर चुके हैं।

सरकार से आज तक नहीं मिला सम्मान
रामनगर। हजारों लोगों को गंभीर बिमारियों से निजात दिलाकर मौत के मुंह से बाहर निकाल चुके वैद्य प्रदीप भंडारी उत्तराखण्ड की एक विलक्षण प्रतिभा हैं। गऊ मूत्र क्रांति के उनके अभियान से न सिर्फ गौ संरक्षण को बल मिल रहा है बल्कि लोगों का आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की ओर रूझान भी बढ़ रहा है। वैद्य प्रदीप भंडारी ने जो अभियान शुरू किया है उनका यह अभियान भविष्य में उत्तराखण्ड को एक नई पहचान दिला सकता है। उनके चिकित्सा प(ति से उपचार कराकर असाध्य रोगों से निजात पा चुके दूसरे राज्यों के लोग भी आज प्रदीप भंडारी को भगवान या मसीहा मानते हैं। पिछले नौ वर्षों में प्रदीप भंडारी ने गऊ मूत्र क्रांति अभियान को सादगी के साथ आगे बढ़ाया है, इस अभियान को उन्होनंे अभी तक अकेले अपने दम पर आगे बढ़ाया है। स्थानीय स्तर पर कई जनप्रतिनिधि, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी वैद्य प्रदीप भंडारी को उनकी असाधारण प्रतिभा के लिए सम्मानित कर चुके हैं लेकिन उत्तराखण्ड सरकार से आज तक वैद्य भंडारी को कोई सम्मान नहीं मिला है। हालाकि गौ मूत्र क्रांति से उपचार के सकारात्मक परिणाम देखकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत उनसे प्रभावित जरूर हुए है। लेकिन उन्होंने भी इस विलक्षण प्रतिभा को सम्मानित करने की जहमत नहीं उठाई हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने प्रदीप भंडारी को अपने आवास पर बुलाया था और करीब चालीस मिनट तक उनके साथ वार्ता भी की। मुख्यमंत्री ने प्रदीप भंडारी के पवलगढ स्थित गऊ मूत्र क्रांति संस्थान मं आने का आश्वासन भी दिया। यदि सरकार प्रदीप भंडारी के गऊ मूत्र क्रांति अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कुछ प्रयास करे तो यह अभियान देवभूमि उत्तराखण्ड को विश्व स्तर पर नई पहचान दिला सकता है।
जीने की उम्मीद छोड़ चुके लोगों को मिली नई उमंग
रामनगर। गौमूत्र की मदद से असाध्य रोगों का ईलाज कर रहे प्रदीप भंडारी का चमत्कारी नुस्खा असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को नई उमंग दे रहा है। उनके द्वारा पिछले कुछ समय में अनगिनत ऐसे लोगों बिमारी से छुटकारा दिलाया गया जो जिंदगी की उम्मीद छोड़ चुके थे। उमरी कला निवासी अब्दुल हसन के मुताबिक गंभीर रोग के कारण उनके गले की आवाज पूरी तरह बंद हो चुकी थी। उन्होंने कई चिकित्सकों से उपचार कराया लेकिन लाभ नहीं हुआ। वैद्य प्रदीप भंडारी की दवा से एक माह के भीतर ही उनकी आवाज खुल गयी और वह सामान्य जीवन व्यतीत करने लगे।
इसी तरह सरिता नाम की एक महिला 19 वर्ष से लीवर की समस्या से परेशान थी। दिल्ली के कई अस्पालों में उपचार कराया। लेकिन समस्या बढ़ती गयी। डाक्टर बताते थे कि लीवर में सूजन है सब कुछ किया लेकिन दर्द नहीं जाता था। एक साल से वह बिल्कुल बैड पर थी और खाने के नाम पर उन्हें सिर्फ लिक्विड दिया जाता था। वैद्य प्रदीप भंडारी की दवा से वह कुछ दिनों में ही ठीक होने लगी और अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।
रूद्रपुर निवासी अनू छाबड़ा का लीवर खराब हो गया था। पूरे शरीर में दर्द रहता था। जिसके चलते उनके लिए खड़े होना भी दुश्वार था। उन्होंने दिल्ली सर गंगाराम अस्पताल में ईलाज कराया वहां भी आराम नहीं आया। फिर कहीं से जानकारी मिलने पर वह पवलगढ़ में गौ मूत्र क्रांति संस्थान पहुंची। यहां दवा लेने के बाद वह कुछ समय में ही स्वस्थ हो गयी। उनकी मोटापे की समस्या का भी समाधान हुआ। 12 किलो वजन कम होने के साथ ही उनकी पाचन से सम्बंधित समस्या का अब पूरी तरह समाधान हो चुका है।
हल्द्वानी निवासी गोमती देवी को गले में कैंसर था। हालत इतनी खराब थी कि खांसी आने पर खून भी साथ में आता था। महज 12 दिन की दवा लेने के बाद ही उन्हें आराम मिल गया और अब वह स्वस्थ हैं। दिल्ली से आई शैलजा ने बताया कि उनके पेट में 16 एम एम की पथरी थी। जिस कारण उन्हें असहनीय दर्द होता था। वह चल फिर भी नहीं पाती थी। कुछ दिनों की दवा से ही उन्हें आराम मिल गया। देहरादून निवासी जया शर्मा ने बताया कि उनकी किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी थी। उनकी रिपोर्ट अमेरिका काठमांडू तक गयी। कहीं से कोई फर्क नहीं पड़ा। डाक्टरों ने उन्हें जवाब दे दिया था कि बिमारी ठीक नहीं हो सकती। आठ माह से वह बिस्तर पर पड़ी थी। बोल तक नहीं पाती थी। वैद्य प्रदीप भंडारी की दवा से कुछ ही दिन बाद उनकी तबियत ठीक होने लगी। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।
कोलोन कैंसर से पीड़ित कवर मलिक ने बताया कि दो वर्ष में चार आपरेशन करा चुकी थी। उसका चलना फिरना भी दुश्वार था। वैद्य जी की एक माह की दवा से अब वह खुद काम कर पाती है।
काशीपुर निवासी अजय पाहवा के मुताबिक पीलिया से उनकी हालत बुरी तरह बिगड़ गयी। दिल्ली में एक माह अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इस दौरान उनका पीलीलिया 39 तक पहुंच गया। उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट के लिए कहा था। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी कर ली थी। इसी बीच वैद्य प्रदीप भंडारी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने दिल्ली में ही दवाई मंगाई। दवा से एक दिन में उनका पीलीया 39 से 29 हो गया। उसके बाद 15 दिन में पीलिया मात्र 7.5 रह गया। आज वह पूरी तरह स्वस्थ है।
मुरादाबाद निवासी मोहम्मद तैयब की पत्नी किडनी रोग से पीडित थी उनका एम्स )षिकेश और मुरादाबाद में हुआ। लगातार डायलिसिस चल रही थी। लगातार उलटी आ रही थी और हाथ पैरों में सूजन थी। पांच दिन की दवाई से ही उसकी डायलिसिसि बंद हो गयी।
इसी तरह बिलासपुर निवासी साहब सिंह का वर्षों पुराना गठिया मात्र 1 माह की दवा से में ठीक हुआ। उन्हें चार दिन बाद ही आराम मिलना शुरू हो गया था।
गदरपुर निवासी टोनी सुखीजा की बांयी किडनी में गाठ थी। दिल्ली के तीन चार अस्पतालों में उन्होंने ईलाज कराया।लाखों रूपये ईलाज में खर्च हो चुके थे डाक्टरों ने आपरेशन करने को कहा। इसी बीच उन्होंने वैद्य जी से दवा ली कुछ दिन बाद ही उनकी गांठ ठीक होने लगी। पांच माह बाद उन्होंने अल्ट्रासाउण्ड कराया तो उसमें कुछ भी नहीं निकला। यह देखकर डाक्टर भी हैरान रह गये।
बहेड़ी निवासी अवतार सिंह की पत्नी के सिर में ट्यूमर था। वैद्य जी की दवा से सिर में दर्द कुछ दिन में ही कम हुआ। उसके बाद पूरी तरह ठीक हो गया।
गदरपुर निवासी प्रीति के यूट्रस में गंभीर समस्या थी। उनके पेट में असहनीय दर्द होता था।आस्टेलिया में उन्होंने ट्रीटमेंट कराया वहां तुरंत आपरेशन के लिए कहा गया। इसी बीच उन्हें वैद्य जी के बारे में बताया तो वह भरोसा करके वापस आ गयी। उस समय उनकी हालत इतनी खराब थी कि फ्लाइट में 12 पेन किलर खानी पड़ी। वैद्य जी की दवा खाई तो कुछ दिन में ही दर्द खत्म हो गया। आठ दिन में पूरा दर्द खत्म हो गया। अब उनकी सभी दवाईयां बंद हैं। प्रीति के मुताबिक वह पांच मिनट खड़ी नहीं हो पाती थी। पूरे दिन में आधी रोटी खाती थी। अब वह स्वस्थ जीवन जी रही हैं।
दिनेशपुर सुरेन्द्र कुमार की दोनों किडनी खराब हो गयी थी। उन्होंने बताया कि हल्द्वानी, बरेली, मुरदाबाद काशीपुर, में ईलाज कराया लेकिन आराम नहीं मिला। उनकी लगातार डायलिसिस चल रही थी। इसी बीच वैध जी की दवाई खाई और परहेच किया तो कुछ ही दिन में उन्हें आराम मिल गया।
पटवाडांगर निवासी हरीश गले में कैंसर से परेशान थे। उनके गले में गांठ थी। डाक्टरों ने बताया कि सर्जरी करानी पड़ेगी लेकिन सर्जरी के बाद उनकी आवाज या आंख की रोशनी जाने या फिर कोमा में जाने का खतरा बताया गया। वह एम्स में भी भर्ती रहे। उनका आप्रेशन होने ही वाला था कि अचानक उनकी प्लेटलेट कम हो गयी जिस कारण आप्रेशन टल गया। टेंशन के कारण उनकी शुगर 444 पहुंच गयी थी। वैद्य जी की दवा से 2 माह में उनकी शुगर खत्म हो गयी और गांठ भी कम हो गयी। अब खाना पीना सब कुछ नार्मल है।
गदरपुर निवासी नंदन सिंह मेहरा भी कैंसर से पीड़ित थे। डाक्टरों ने उन्हें थर्ड स्टेज का कैंसर बताया। उनका एम्स में ईलाज चला। उन्हें रेडियो थैरेपी कराने को कहा। लेकिन वहां रेडियो थैरेपी के लिए एक साल की वेटिंग थी। इसी बीच वह उठने बैठने लायक भी नहीं थे। लाॅकडाउन में वैद्य जी के पास आये तो यहां से कुछ दिन की दवा से ही वह ठीक होने लगे और हुआं डेढ माह में लगभग 90 प्रतिशत आराम मिल गया।
इसी तरह बेतालघाट निवासी नीरज जोशी के भाई की नाक में कैंसर सेकेंड स्टेज पर पहुंच गया। उनकी नाक से पस आता था और असहनीय दर्द होता था। सांस फूलने के कारण वह खड़े भी नहीं हो पाते थे। वैद्य प्रदीप भंडारी की दवा से तीसरे दिन में ही दर्द गायब हो गया और पस आना बंद हुआ। दस दिन में उनकी सांस फूलना भी बंद हो गयी और वह अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।
रूद्रपुर निवासी प्रमिल सिंह को मुंह का कैंसर था। जिसके चलते वह कुछ भी खा पी नहीं सकते थें और बाल भी नहीं पाते थे। उनके गले मे परमानेंट नली लगी थी उसकी से उन्हें लिक्विड दिया जाता था। वैद्य जी की दवा के कुछ दिन में ही बोलने लगे और खाना खाने लगे। दो हफ्ते की दवा से उनकी नली भी हट गयी। इसके बाद जब एम्स में जांच कराई तो उनकी रिपोर्ट नार्मल आयी।
हल्द्वानी निवासी प्रिया सांस लेने में तकलीफ से परेशान थी। वह दो कदम भी नहीं चल पाती थी। दिल्ली से ईलाज हो रहा था। कोई राहत नहीं मिली। डाक्टरों ने कहा था कि जिंदगी भर दवा खानी पड़ेगी। वैद्य जी की दवा से उन्हें 15 दिन की दवाई से ही सुधार हुआ और वह चलने फिरने लगी। तीसरे माह में हसे वह दस किमी पैदल चलने लगी। अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
काशीपुर निवासी हरनेक सिंह के मुताबिक उन्हें रीढ की हड्डी में टीवी की बिमारी थी। रीड़ की दो स्लाॅट में पस बन गया था। उन्हें हर आठ घंटे में दर्द के इंजेक्शन लगते थे। दर्द के कारण वह करवट तक नहीं बदल पाते थे। वैद्य जी की तीन डोज के बाद ही दर्द के इंजेक्शन बंद हो गये। आज पूरी तरह स्वस्थ हैं ।
रूद्रपुर निवासी लखपत राय को 1986 से शुगर थी। 1989 से वह इंसुलिन ले रहे थे। उनकी शुगर कभी कंट्रोल नहीं हुई। गौ मूत्र से बनी दवा 15 दिन खाने के बाद ही उनकी शुगर डाउन होने लगी। अब उनकी शुगर पूरी तरह नार्मल है।
हल्द्वानी निवासी शंकर भंडारी ने बताया कि उनकी बांयी छाती में गांठ हो गयी थी। डाक्टर के पास गये तो उन्होंने कहा कि गांठ से पानी निकाला जायेगा। गांठ में तेज दर्द होता था। वैद्य जी की दवा से दो दिन में ही दर्द खत्म हो गया और 15 दिन में पूरी गांठ खत्म हो गयी।
ऐसे अनगिनत मरीज हैं जिन्हें वैद्य प्रदीप भंडारी ने लाईलाईज बिमारी से छुटकारा दिलाया है। इसीलिए उन्हें लोग मसीहा मानते हैं।

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