जान है तो जहान है!! छूट मिलने की उम्मीद

लॉकडाउन में फसें मजदूरों और किरायेदारों पर आर्थिक संकट गहराया

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उत्तराखंड में 11 हॉटस्पॉट,कुल 5266 सैंपल का टेस्ट , 21554 लोगों की स्क्रीनिंगः डीजी हैल्थ.‘कोरोना मुक्त’ जनपदों में सशर्त राहत संभव,पुलिस द्वारा क्वारंटाईन सेटर में रखे लोगों को भी करना पड़ रहा मुश्किलों का सामना
ऊधमसिंहनगर।
जान है तो जहान भी है–कोरोना महामारी संक्रमण की रोकथाम के लिये 22 मार्च को जनता कफ्रर्यू ‘जहां हैं वहीं रहे’ और फिर 25 मार्च से तीन सप्ताह का देशव्यापी लॉकडाउन ‘कोई रोड पर ना निकले’ की घोषणा के बाद 14 अप्रैल को तीसरी बार स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए ‘जान है तो जहान है’ का मंत्र देते हुए लॉकडाउन में सशर्त छूट देते हुए इसे तीन मई तक आगे बढ़ाने का ऐलान किया था। अब लॉकडाउन की अवधि को दो सप्ताह का वक्त पूरा हो गया है तो एक बार फिर देशवासियों के समक्ष लॉकडाउन खोलने या फिर और आगे बढ़ाने की रणनीति को लेकर उत्सुकता बढ़ गई हैं। हांलाकि देशवासी लगातार लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के लिये कभी थाली तो कभी दीया जलाकर सरकार को समर्थन भी कर रहे है। वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन में पिछले एक माह से अपने घरों में कैद लोगों का सब्र जवाब देने लगा है। सोशल मीडिया के जरिये विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार से राज्यों में फंसे लोगों कोे छूट देने की अपील शुरू कर दी है। ग्रीन कैटेगरी के जनपदों में पहले छूट देने और फिर तीन मई तक पुनः लॉक रखने के आदेश को औचित्यहीन कदम बताया जा रहा है। उत्तराखंड के ग्रीन जोन घोषित पर्वतीय जनपदों में भी आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की उम्मीद भी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि तीन मई को सम्पूर्ण लॉकडाउन पार्ट टू की अवधि पूर्ण होने के बाद केंद्र सरकार कोरोना मुक्त जनपदों में लॉकडाउन खोलेने की सशर्त अनुमति दे सकती है। इतना ही नहीं ऐसे जिलों में जहां अब तक कोई कोरोना का मरीज नहीं मिला है वहां सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए समान्य गतिविधियों को शुरू किया जा सकता है। लोगों तक जरूरत की वस्तुओं को पुहंचाने के लिये आ रही समस्याओं पर भी सरकार ने चिंता व्यक्त की है। वहीं किसानों को राहत देते हुए फसल काटने एवं बिक्री केंद्रो में जाने की सशर्त छूट दे दी गई है। देश में विभिन्न राज्यों में फसे मजदूरों और छात्रें को अपने गृहजनपदों में भेजने की कार्ययोजना बनायी जा रही है। उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड समे अन्य राज्यों ने भी अपने राज्यों में फंसे लोगों को वापस भेजने की अनुमति दी है। इतना ही नहीं एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने वाले लोगों की अनिवार्य रूप से स्क्रीनिग की जा रही है। ऐसे लोगों को अगले 14 दिन के लिये होम क्वारंटाईन में रहना होगा जबकि सोशल डिस्टेंस की पूर्ण रूप से पालन करना होगा। वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में भी हजारों की संख्या में निवास कर रहे किरायेदारो के समक्ष रोजगार और स्वास्थ्य सुरक्षा का संकट बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि पर्वतीय जिलों के हजारों परिवार मैदानी जिलो में निवास कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण यहां व्यापार एवं अन्य गविधियों बंद है ऐसे में कर्मचारी एवं मजदूर वर्ग के परविारों के समक्ष समस्यायें बढ़ती जा रही है। मैदानी जनपदों में अब मकान मालिको और किरायेदारों के समक्ष अमसमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। इतना ही नहीं किरायेदार सरकार द्वारा दी जा रही आपदा राहत सामग्री मिलने से वंचित रहे गये है। मकान का किराया देने के लिये भले ही सरकार एवं जिला प्रशासन ने मकान मालिको से एक माह की छूट देने के दिशा निर्दश जारी किये थे लेकिन अब उसकी समयअवधि भी पूर्ण हो रही है। इतना ही नहीं रोगार ठप होने से कई ऐसे भी परिवार है जो किराया और स्कूल की फीस देने में असमर्थ हो गये है। जबकि मजबूरन उन्हें अपने गृहजनपदों में जाने की नौबत आ रही है। यही स्थिति अब मकान मालिकों पर भी आर्थिक नुकसान का संकट बढ़ रहा है। दो माह का किराया देना होगा जो लॉकडाउन खोलने के बाद ही संभव हो सकता है। हांलाकि जरूरतमंदों में सिर्फ स्वास्थ्य संबंधित कार्यों के की मदद के लिये सरकार ने कुछ गाईडलाईन जारी की है लेकिन अब इंटर डिस्टक सेक्टर की बजाय इंटर डिस्ट्रिक आवागम को बढ़ाने की दिशा में कार्ययोजना बनाने जरूरत महशूस की जा रही है। उत्तराखंड में आईसोलेट किये गये लोगो की जांच कराने की गति को बढ़ाने के साथ ही अब क्वारंटाईन सेंटर में रखे गये लोगों को भी घर भेजने की अनुमति दी गई है। इधर सोशल मीडिया पर भी लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोलेने के सुझाव दिये जा रहे है। इस दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के अलावा मास्क पहनने और सोसल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराने के लिये जारी की गई गाईडलाईन को पुलिस प्रशासन को सख्ती से लागू कराना होगा। गत दिवस मुख्यमंत्रियो से हुई वीडियो कांफेंसिंग के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को लेकर राज्यों की स्थिति की जानकारी ली है। वहीं कई राज्यों ने अपने राज्यों में कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए लॉकडाउन बढ़ाने की अपील भी की है। जबकि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों को कोरोना मुक्त रखने के लिये बनायी गई कार्यायोजना के साथ ही लॉकडाउन खोलने के बाद आर्थिक गतिविधियों एवं राज्यों में फंसे लोगों की जानकारी साझा की है। गौरतलब है कि लॉकडाउन में देशभर के लोग अलग अलग राज्यों में फंसे है। जबकि नेपाल के भी हजारों मजदूर उत्तराखंड में रूके हुए है। जिला प्रशासन पिछले एक माह से आपदा राहत शिविर में रोके गये इन मजदूरों की देखरेख कर रहा है। जबकि पिछले दिनों दिल्ली के आनंद बिहार एवं मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भारी तादात में श्रमिकों की भीड़ उमड़ गई थी। भीड़ लगने की वजह से कोरोना वारयस संक्रमण फैलने की भी आशंका बढ़ गई। इतना ही नहीं लॉकडाउन के बावजूद कई मजदूर पैदल ही अपने गांव लॉटने लगे। कई राज्यों में उन्हे पुलिस ने रोका है और उन्होंने क्वारंटाईन सेटर में रखा गया है।वहीं क्वारंटाईन सेटर में कुछ तनामग्रस्त लोगों की आत्महत्या करने के मामले भी सामने आये है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इनमें से कई ऐसे किरायेदार मजदूर हैं जो अपने घर जाना चाहते है। मजदूरों की माने तो वह अपने घर जाकर भी सोशल डिस्टेंस व सरकार की गाईडलाईन का पालन कर सकते है। जबकि कुछ ऐसे भी परिवार है जो बच्चों को पढ़ाने के लिये बाहरी राज्यों में गये है। गर्मियों की छुटिटयों में अधिकांश परिवार अपने गृहजनपदों में जाते हैं। स्कूल दो माह से बंद है जबकि आगे भी स्कूल खोलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में स्कूली बच्चे भीे मानसिक तनाव में आ गये है। माना जा रहा है कि लॉकडाउन पार्ट टू के बाद विभिन्न राज्यों में फंसे लोगों को आवागमन की सशर्त अनुमति मिल सकती है। बहरहाल अब आगामी तीन मई को पूर्ण हो रहे लॉकडउन पार्ट टू को लेकर केंद्र सरकार की गाइर्डलाईन व पीएम के नये संदेश पर सभी देशवासियों की निगाहे टिकी हुई है।
उत्तराखंड में 11 हॉटस्पॉट,कुल 5266 सैंपल का टेस्ट , 21554 लोगों की स्क्रीनिंगः डीजी हैल्थ
कोरोना के िऽलाफ जंग में उत्तराखड की स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर है। यहां अब तक किसी भी कोरोना पॉजिटिव मरीज की मृत्यु नहीं हुई है। प्रदेश में अब तक हर तीन में दो मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। उत्तराखड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। मार्च अंत तक प्रदेशभर में सात लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई थी। जमातियों व उनके संपर्क में आए लोगों के कारण एकाएक हालात बदल गए। प्रदेश के सात पर्वतीय जिलों में अब तक कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। जनपद पौड़ी कोरोना मुत्तफ़ हो चुका है, जबकि ऊधमसिंहनगर व अल्मोड़ा भी इसी ओर अग्रसर हैं। अल्मोड़ा में जहां 22 दिन से कोरोना को कोई नया मामला नहीं आया है, ऊधमसिंहनगर में 25 दिन से कोई पॉजीटिव केस नहीं है। इन दोनों जगह एक्टिव केस भी शून्य हैं, बल्कि अब हरिद्वार व नैनीताल की स्थिति भी नियंत्रण में आती दिऽ रही है। हरिद्वार में वर्तमान 9में सिर्फ तीन और नैनीताल के अभी तीन मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। उत्तराखंड में कोरोना के मामले बढ़े हैं, लेकिन इस बीच एक अच्छी ऽबर यह भी है कि इस बीमारी से ठीक होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में प्रदेश में कोरोना के मरीजों का रिकवरी रेट 64-7 प्रतिशत है। उत्तराखंड में 28 अप्रैल के स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक कोरोना के 54 मामले सामने आए हैं, जिनमें 33 ठीक हो चुके हैं। फिलहाल 21 एक्टिव केस हैं, जिनका विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है। अभी तक जितने भी सैंपलों की जांच की गई है, उनमें 1-03 प्रतिशत ही पॉजिटिव आए हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ- अमिता उप्रेती ने बताया कि प्रदेश में कोरोना की रोकथाम के लिये स्वास्थ्य विभाग संवेदनशीलता से काम कर रहा है। उत्तराखंड में अन्य राज्यों की अपेक्षा स्थिति बेहतर हो गई है। राज्य में 13 जिलों में तीन जिले रेड जोन में है यहां कुल 11 हॉटस्पॉट जोन है। देहरादून जिले में कुल 29 में से 15 मरीज ठीक हुए हैं। इनमें एक सेना की महिला डॉक्टर भी है। दून अस्पताल में भर्ती कानपुर निवासी दो जमाती भी डिस्चार्ज कर दिए गए हैं। वहीं, हरिद्वार मेला अस्पताल में भर्ती हाथरस का मजदूर और जमाती के संपर्क में आई महिला भी स्वस्थ हो गई है। उन्होनें बताया कि प्रदेश से अब तक कुल 5266 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। जिनमें 5212 की रिपोर्ट निगेटिव और 54 की पॉजिटिव आई है। 284 सैंपल की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। प्रदेश की स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती के अनुसार उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए कोरोना को लेकर अधिग्रहित किए अस्पतालों में सुविधाओं में इजाफा कर दिया गया है। सरकार ने इन अस्पतालों में आईसीयू, वेंटिलेटर के साथ अन्य उपकरण व मशीनें स्थापित कर दी हैं। जिला अस्पताल अल्मोड़ा मेंचार आईसीयू, दो वेंटीलेटर, चार मल्टी मल्टीपैरामॉनीटर, एक डिजिटल एक्सरे, दस थर्मल स्कैनर, बागेश्वर जिला अस्पताल में पांच आईसीयू, दो वेंटीलेटर, पांच मल्टीपैरामॉनीटर, 15 थर्मल स्कैनर, चमोली में चार आईसीयू, पांच वेंटीलेटर, चार मल्टीपैरामॉनीटर, पांच थर्मल स्कैनर, रुद्रप्रयाग में पांच आईसीयू बेड, तीन वेंटीलेटर, आधाा दर्जन मल्टीपैरामॉनीटर, पांच थर्मल स्कैनर, मेला अस्पताल हरिद्वार में आठ आईसीयू बेड, आधाा दर्जन वेंटीलेटर, आठ मल्टीपैरामॉनीटर,एक डिजिटल एक्सरे, तीन थर्मल स्कैनर, बीडी पांडे जिला अस्पताल नैनीताल में चार आईसीयू, दो वेंटीलेटर, चार मल्टीपैरामॉनीटर, एक डिजिटल एक्सरे, दो थर्मल स्कैनर की सुविधाा उपलब्धा करा दी गई है। इन अस्पतालों में हृदयाघात के मामलों के लिए डिफिब्रिलेटर, चार से छह ऑक्सीजन सिलेंडर तथा चार से छह सिरिंज पम्प की व्यवस्था भी कर दी गयी है। वहीं हाईकोर्ट के दिशा निर्देश के बाद राज्य सरकार ने टेस्टिंग और स्वास्थ्स सुविधायें बढ़ाने की तैयारी तेज कर दी है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना मरीजों के लिये जिला अस्पताल रूद्रपुर में जल्द वेंटिलेटर यूनिट स्थापित होगी। इसमें सुविधाएं बढ़ाने के लिए हिदुस्तान लीवर लिमिटेड लाइफकेयर की टीम ने जिला अस्पताल का जायजा लिया। साथ ही यूनिट में आने वाले खर्च का आगणन भी किया। यूनिट में आइसीयू की तरह पूरी सुविधाएं होगी। राज्य में अब तक कोरोना पॉजिटिव के 52 केस मिले हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्य के पांच अस्पतालों में कोविड यूनिट स्थापित कर रही है। इनमें रुद्रपुर के जवाहर लाल नेहरु अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। प्रत्येक यूनिट में 10-10 वेंटिलेटर के साथ इसे संचालित करने के लिए एक्सपर्ट के साथ स्टाफ भी चाहिए। वर्तमान में अस्पताल में वेंटिलेटर चलाने के लिए दो चिकित्सक डॉक्टर यदुराज भट्ट व डॉक्टर नागेंद्र चौधरी हैं जो एनेस्थिसिया के हैं। 11 स्टाफ नर्स हैं, जिन्हें वेंटिलेटर पर मरीजों की देखभाल के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। जबकि प्रत्येक वेंटिलेटर के लिए तीन-तीन स्टाफ नर्स की जरूरत होगी। यूनिट में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सिविल इंजीनियर के कुमार, सहायक इंजीनियर जी विजय, बायोमेडिकल इंजीनियर एम कथिक ने रविवार को अस्पताल का निरीक्षण किया। यूनिट में आने वाले खर्च का आगणन तैयार किया। बताया गया कि मई के अंतिम सप्ताह या जून में यूनिट मेडिकल सुविधाओं से पूरी तरह सुसज्जित हो जाएगी। जिससे कोरोना के मरीजों का यहीं पर इलाज किया जा सकेगा।
एन-एस- बघरी(नरदा)

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