जीएसपी दर्जा खत्म करने पर अमेरिका को करारा जवाब
16 उत्पादों पर इंपोर्ट टैक्स बढ़ाया गया
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बाच व्यापारिक रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं।ई कॉमर्स में विदेशी कंपनियों को लेकर नियम कड़े करने और अमेरिकी बाइक पर लगने वाले ज्यादा इंपोर्ट टैक्स के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से व्यापारित तरजीही दर्जा वापस ले लिया। हालांकि, सरकार ने इंपोर्ट टैक्स घटाकर 50 फीसदी कर दिया। इसके बावजूद ट्रंप ने कहा कि अभी भी भारत ज्यादा टैक्स वसूल कर रहा है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि मैं अमेरिका को ऐसा बैंक नहीं बनने दूंगा जिसे हर कोई लूट ले। अब भारत ने भी अमेरिका के इस कदम का जवाब देने का फैसला किया है। 16 जून से 29 अमेरिकी उत्पादों पर इंपोर्ट टैक्स कई गुना बढ़ा दिया गया है। इससे पहले सरकार इसे लागू करने की समय सीमा को कई बार बढ़ा चुकी है। इससे देश को 21-7 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। पिछले साल 21 जून को सरकार ने इन अमेरिकी वस्तुओं पर ऊंचा शुल्क लगाने का निर्णय किया था। इसकी वजह अमेरिका का भारत से आयात किए जाने वाले कुछ इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर शुल्क बढ़ाना था। इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए सरकार ने इन 29 सामानों पर शुल्क बढ़ाने का निर्णय किया था। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने उच्च शुल्क लागू करने के फैसले से अमेरिका को अवगत करा दिया है। मार्च महीने में अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले इस्पात और एल्युमिनियम उत्पादों पर इंपोर्ट टैक्स बढ़ा दिया था। इस्पात पर 25 फीसदी इंपोर्ट टैक्स और एल्युमीनियम उत्पादों पर 10 फीसदी कर दिया था। भारत इन उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक देश है। शुल्क बढ़ाने से भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादकों पर 24 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ा था। भारत हर साल अमेरिका को 1-5 अरब डॉलर के इस्पात और एल्युमीनियम उत्पाद का निर्यात करता है। अब अमेरिका से अखरोट पर आयात शुल्क 30 से बढ़ाकर 120 फीसदी की गया है। इसी तरह काबुली चना, चना और मसूर दाल पर शुल्क 70 फीसदी किया गया है जो अभी तक 30 फीसदी है। अन्य दालों पर शुल्क को 40 फीसदी किया जाएगा। सरकार ने एल्युमीनियम और इस्पात उत्पादों पर अमेरिका के उच्च शुल्क लगाने के मामले में अमेरिका को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के विवाद निपटान विभाग में भी घसीटा है। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का अमेरिका को निर्यात 47-9 अरब डॉलर था जबकि आयात 26-7 अरब डॉलर का हुआ था। इस तरह व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा था।