माणा हिमस्खलन: रेस्क्यू ऑपरेशन में देवदूत बने सेना के जवान, 46 श्रमिक जिंदा बचे, सात श्रमिकों की मौत
मुख्यमंत्री ने दिए मृतकों के शव परिजनों को सुपुर्द करने के आदेश , रेस्क्यू किए गए लोगों को हायर सेंटर रेफर करें
देहरादून (उद संवाददाता)। शुक्रवार को भारत-चीन सीमा से सटे चमोली जिले के माणा क्षेत्र में हुए भीषण हिमस्खलन के तीसरे दिन भी बचाव अभियान जारी है। वहां निर्माण कार्य कर रहे 54 मजदूर फंस गए थे। अब तक के अपडेट में रेस्क्यू टीम ने 53 लोगों श्रमिकों को रेस्क्यू कर लिया है। जिसमें से 46 लोग जिंदा हैं। तो वहीं अब श्रमिकों के मौत का आंकड़ा सात हो गया है। जबकि एक श्रमिक की अभी भी तलाश जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज प्रातः राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचकर चमोली में हुई आपदा के सर्च एवं रेस्क्यू अभियान का अपडेट लिया। मुख्यमंत्री ने घटनास्थल पर सर्च और रेस्क्यू अभियान कर रहे अधिकारियों को निर्देशित किया कि रेस्क्यू किए गए सकुशल 46 लोगों को समुचित चिकित्सा के लिए हायर सेंटर रेफर करें। उन्होंने मृतकों को समुचित औपचारिकता पूर्ण करते हुए उनके परिजनों को सुपुर्द करने के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने अब तक मिसिंग चार लोगों के सर्च और रेस्क्यू अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए। रेस्क्यू अभियान में रडार और थर्मल इमेजिंग जैसे अत्याधुनिक उपकरणों की भी मदद ली जा रही है। सेना, ITBP, वायु सेना, SDRF, BRO, आपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, पूर्ति विभाग इत्यादि सभी विभाग बेहतर समन्वय से अपना सहयोग दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने स्थानीय जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि जहां-जहां सड़क और संचार कनेक्टिविटी बाधित हो चुकी है उसको तत्काल बहाल किया जाए। आगामी 3 मार्च को मौसम विभाग के हाई अलर्ट को देखते हुए ऊंचाई वाले स्थानों पर रहने वाले लोगों को इसकी पहले से ही जानकारी देने तथा स्थानीय स्तर पर सभी तरह की पूर्व तैयारी करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन पांच ब्लॉक में विद्युत सप्लाई बाधित हो गई थी वहां पर विधुत आपूर्ति को पुनः बहाल किया जा चुका है। लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया गया है कि जहां पर भी सड़क कनेक्टिविटी बाधित हैं उसको तत्काल बहाल करें। पूर्ति विभाग को निर्देशित किया गया कि जो गांव सड़क एक्टिविटी से अभी तक जुड़ नहीं पाए हैं वहां पर पर्याप्त मात्रा में राशन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। वहीं आज प्रातः से ही सीएम समेत राज्य आपदा प्रबंधन विभाग पूरी रह से सक्रिय रहा रहा है। रेस्क्रूू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर सरकार को अपडेट देते रहे। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि मौसम ने हमारा साथ दिया है। कुल 54 बीआरओ श्रमिक लापता थे, 50 को बचा लिया गया है, और 6 लोगों की जान चली गई है। दो लोग अभी भी लापता हैं, और खोज और बचाव अभियान चल रहा है, और हमें उम्मीद है कि हम उन्हें जल्द ही ढूंढ लेंगे। आर्मी अस्पताल में भर्ती जीवित बचे लोगों में से एक मनोज भंडारी ने बताया कि यह इतना अचानक हुआ कि हमें कुछ पता ही नहीं चला। हमारे सभी कंटेनर नष्ट हो गए, क्योंकि यह एक भारी तूफान था। पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि दो लोग अभी भी लापता हैं। भारतीय सेना उसी के लिए बचाव अभियान पर है। अब सर्च ऑपरेशन में ड्रोन आधारित इंटेलिजेंट ब्यूरिड ऑब्जेक्ट डिटेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा। तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू टीम के दो कर्मी और हिमस्खलन बचाव डॉग, रॉबिन भी तैनात है। हमारे पास सेना,वायु सेना और नागरिक हेलीकॉप्टर हैं जो बचाव अभियान में लगे हैं।राहत और बचाव कार्य के लिए आभार व्यक्त किया
भारतीय सेना के जवानों ने माणा में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही के बाद वहां दबे श्रमिकों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में भारी बफबारी के बीच लोगों सकुशल बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाकर उपचार कराया। सेना आईटीबीपी समेत अन्य बाव दलों ने देवदूत बनकर बर्फ में फंसे लोगों की जान बचाई। वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे सेना के जबांज जवानों की खूब सराहना की जा रही है। वहीं रेस्क्यू ऑपरेशन में शकुशल बचे हुए श्रमिकों ने भी सरकार और सेना के राहत और बचाव कार्य के लिए आभार व्यक्त किया।