उत्तराखंड में नये प्रीपेड मीटर लगाने पर सियासी घमासानः आखिर गरीब लोगों के पहले से लगे मीटर क्यों हटाए जा रहे हैं ?

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नेता प्रतिपक्ष यश्पाल आर्य ने खोला मार्चा: विभिन्न राज्यो में टोटेक्स’ मॉडल का हो रहा विरोध
हल्द्वानी। उत्तराखंड में नये प्रीपेड मीटर लगाने पर सियासी घमासान छिड़ गया है। नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की ओर से उपभोक्ताओं के घरों बिजली के स्मार्ट मीटर लगाए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने से पहले सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर पहले से लगे मीटर क्यों हटाए जा रहे हैं, उसमें क्या त्रुटि है और स्मार्ट मीटर में क्या खूबी है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के दबाव में निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाना चाहती है। मीडिया को जारी बयान में आर्य ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से स्मार्ट मीटर के विरोध की खबरें आ रही हैं। जिन राज्यों में जहां स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, वहां उपभोक्ताओं की शिकायत का अंबार है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि उत्तराखंड में जल्द पुराने बिजली मीटर के बदले स्मार्ट मीटर लगाये जाएँगे।स्मार्ट मीटर लगाने से पहले सरकार को यह स्पष्ट करना और बताना चाहिए कि आखिर पहले से लगा मीटर क्यों हटाया जा रहा है उसमें क्या त्रुटि है और स्मार्ट मीटर में क्या खूबी है। अगर पहले से लगाये गये मीटर में कोई त्रुटि नहीं है, तो उसे आखिर क्यों हटाया जा रहा है
देश के विभिन्न हिस्सों से स्मार्ट मीटर के विरोध की ख़बरें आ रही हैं। विभिन्न राज्यो में जहां स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, वहाँ उपभोक्ताओं की शिकायत का अंबार है कि स्मार्ट मीटर में खपत से ज्यादा बिजली बिल आ रहा है। उपभोक्ता बिजली बिल के बीच पिस रहे और त्राहिमाम कर रहे हैं। सरकारें भी उपभोक्ताओं के समस्या का समाधान नहीं निकाल पा रही है। उपभोक्ता को नहीं पता कि स्मार्ट मीटर के पीछे कौन है, किसकी कंपनी है, इसकी प्रमाणिकता क्या है और क्यों केंद्र इसे लगाने के लिए राज्यों पर शर्तें थोप रहा है। विभिन्न राज्यो में टोटेक्स’ मॉडल का विरोध हो रहा है इसके तहत उपभोक्ता से 93 महीने तक मीटर की लागत, मीटर के डेटा प्रबंधन, क्लाउट स्टोरेज सिस्टम से लेकर साइबर सुरक्षा और रखरखाव का ख़र्चा तक किश्तों में वसूला जाएगा। इस काम के लिए किसी एजेंसी को निश्चित समय के लिए ठेका दिया जाएगा।
केंद्र सरकार का दबाव है कि टोटेक्स योजना के तहत स्मार्ट मीटर लगाने ही होंगे अन्यथा केंद्र राज्य को बिजली छेत्र में सुधार और विकास के लिए फंड नहीं देगी।सोचनीय है अभी मीटर लगाने के लिए राज्य से दादागिरी की जा रही है, फिर मीटर लग जाएगा तो उपभोक्ता के साथ दादागिरी होगी। क्या जनता को पता है कि इस मीटर के डेटा का राजनीतिक इस्तेमाल किस तरह से होगा? इस डेटा से बिजली क्षेत्र में किस तरह का सुधार आएगा? जिन राज्यों में अभी तक स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे है गरीब लोगों के लिए बिजली बिल चुकाना मुश्किल साबित हो रहा है। बगैर कोई सूचना के बिजली काट दी जाती है। लोगों को बिजली के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाना चाहती है।कांग्रेस की माँग है इस निर्णय को लागू करने से पहले जनभावनाओ को समझना होगा और जिस प्रकार अन्य राज्य में इसका विरोध हो रहा है और एक बीजेपी के प्रिय निजी घराने को लाभ पहुँचाने के लिए ये योजना सरकार लागू करने जा रही है इस योजना का पुरज़ोर विरोध किया जाएगा ।
स्मार्ट मीटर प्रदेश की अर्थिकी के लिए जरूरी: खजान दास
भाजपा ने बिजली के स्मार्ट मीटर को उपभोक्ताओं और प्रदेश की आर्थिकी के लिए जरूरी बताया। भाजपा प्रवक्ता और विधायक खजान दास ने नेता प्रतिपक्ष के आरोपों को झूठ एवं राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि कांग्रेस को विद्युत चोरी रुकने या लोगों को अच्छी सुविधाएं मिलने मे कोई रुचि नहीं है। उन्होंने कहा कि सीएम पुष्कर धामी आम जनमानस की जरूरतों को लेकर हमेशा गंभीर एवं संवेदनशील रहते हैं। यही वजह है कि हाल ही में उन्होंने उपभोक्ताओं को फ्री बिजली की सौगात दी है । उन्होंने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्हें सरकार से नवीनतम जानकारी लेना चाहिए ।

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