उत्तराखंड को मिला हैट्रिक गिफ्टः मोदी मंत्रीमंडल में शामिल हुए सांसद अजय टम्टा,अल्मोड़ा से जीत की हैट्रिक लगाकर बनाया नया रिकार्ड

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सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पीएम नरेंद्र मोदी और मंत्रीमंडल के सदस्यों को दी बधाई
देहरादून/ अल्मोड़ा(उद संवाददाता)। लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार पांच कमल खिलाने वाले उत्तराखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देकर बड़ा तोहफा दिया है। अल्मोड़ा- पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते अनुभवी अजय टम्टा मोदी कैबिनेट में हिस्सा बने हैं। रविववार को शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने राज्यमंत्री पद की शपथ ली है । केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में पद व गोपनीयता की शपथ लेने के बाद सांसद अजय टम्टा ने कहा कि इस महनीय दायित्व के लिए यशस्वी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, भाजपा के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री जेपी नडडा जी, माननीय केंद्रीय गृहमंत्री आदरणीय श्री अमित शाह जी एवं माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के प्रति हृदय से धन्यवाद और आभार।मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूँ कि भारत की जनता की सेवा के इस दायित्व का एकनिष्ठ भाव और पूरे समर्पण के साथ निर्वहन करूँगा। निश्चित ही यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के सक्षम नेतृत्व में भारत विकास के पथ पर अविराम गतिशील रहेगा व विकसित भारत का संकल्प भी अवश्य सिद्ध होगा। यह हम सभी साथ मिलकर सुनिश्चित करेंगे। सीएम धामी ने कैबिनेट एवं राज्य मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी माननीयों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी सम्मानित सदस्य विकसित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे। केंद्र में मंत्री बनाए जाने की सबसे अधिक संभावनाएं गढ़वाल संसदीय सीट से चुने गए अनिल बलूनी की थी। रक्षा राज्यमंत्री राजनाथ सिंह ने तो चुनाव प्रचार में उन्हें मंत्री बनाने के संकेत भी दिए थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने कैबिनेट के लिए टम्टा को चुना है। कुमाऊं मंडल की अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते अनुभवी अजय टम्टा को मोदी कैबिनेट में हिस्सा बने हैं । 2014 में जब टम्टा पहली बार निचले सदन के लिए चुने गए थे, तो उन्हें मोदी मंत्रिमंडल कपड़ा राज्यमंत्री बनाया गया था। सियासी जानकारों का मानना है कि अजय टम्टा को कैबिनेट में स्थान देकर केंद्रीय नेतृत्व ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने का प्रयास किया। टम्टा को सुरक्षित सीट का प्रतिनिधित्व करने का भी लाभ मिला। जानकारों के मुताबिक, टम्टा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नजदीकी का भी लाभ मिला। धामी भी टम्टा के संसदीय क्षेत्र की चंपावत विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकसभा चुनाव प्रचार में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऋषिकेश आए थे, तो उन्होंने देवभूमि के लोगों से पांच कमल मांगे थे। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, टम्टा को क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का लाभ मिला। वर्तमान में कुमाऊं क्षेत्र से पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं और क्षत्रिय हैं। उनके मंत्रिमंडल में कुमाऊं से दो कैबिनेट मंत्री हैं। गढ़वाल से भाजपा की कमान ब्राह्मण चेहरे महेंद्र भट्ट के हाथों में हैं। भट्ट अब राज्यसभा सदस्य भी हैं। ओबीसी का प्रतिनिधित्व राज्यसभा सदस्य कल्पना सैनी और वैश्य समाज का राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल करते हैं। दोनों ही सांसद गढ़वाल मंडल से हैं। धामी मंत्रिमंडल में सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत गढ़वाल मंडल का प्रतिनिधित्व करते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण भी गढ़वाल से ही हैं। इस लिहाज से केंद्रीय नेतृत्व ने कुमाऊं मंडल के दलित चेहरे को मौका दिया। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले अजट टम्टा चौथे नेता बने हैं। इससे पहले यह रिकार्ड कांग्रेस के जंग बहादुर बिष्ट, पूर्व सीएम हरीश रावत और भाजपा के बची सिंह रावत के नाम दर्ज था। लोकसभा चुनाव में अजय की लगातार तीसरी जीत ने उनका कद बढ़ाने का काम किया है और वह एक कुशल राजनीतिज्ञ की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए अजय टम्टा ने 23 वर्ष की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। अब 52 वर्ष की उम्र में ऐसा राजनीतिक मुकाम हासिल किया, इसकी हर तरफ चर्चा है। अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में उन्होंने नौ बार चुनाव लड़ा और छह में जीत दर्ज कर अपने को राजनीति में स्थापित किया। वर्ष 1996 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। इसी वर्ष वह जिला पंचायत उपाध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1999 से 2000 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहे और तब उन्होंने सबसे कम उम्र का जिपं अध्यक्ष बनने का रिकार्ड बनाया। 2002 में सोमेश्वर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। 2007 में भाजपा के टिकट पर फिर से विस का चुनाव लड़ा और देहरादून पहुंचे। 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत की दहलीज तक पहुंचने से चूक गए। 2012 में सोमेश्वर सीट से ही विधानसभा तक का सफर तय किया। पार्टी ने वर्ष 2014 में उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा इस पर वह खरे उतरे। 2019 के लोकसभा चुनाव में रिकार्ड मतों से लगातार दूरी जीत दर्ज की। 20024 के चुनाव में भी परिणाम उनके और पार्टी के पक्ष में आए हैं और इस सीट पर वह जीत की हैट्रिक लगाने वाले तीसरे सांसद बने हैं।




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