उत्तराखंड में कांग्रेस को मिली करारी हार: अगर अल्मोड़ा से यशपाल आर्य, टिहरी से प्रीतम सिंह और हरिद्वार से हरीश रावत, हरक सिंह रावत को टिकट दिया जाता तो…
प्रदेश अध्यक्ष ने बताई उत्तराखंड की पांचों सीटों पर कांग्रेस की हार की वजह
देहरादून। उत्तराखंड में चुनाव के नतीजे आने के बाद हार और जीत का गणित तय करने को लेकर सियासी दलों के नेताओं का मंथन शुरू हो गया है। विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने चुनाव नतीजों में हुई कांग्रेस की करारी हार को स्वीकार करते हुए इसे लोकतंत्र में जनता का जनादेश को सर्वोपरी करार दिया है। उत्तराखंड में भाजपा ने पांचों सीटों पर लगातार तीसरी बार जीत का परचम फहराकर इतिहास रच दिया। 2024 में कांग्रेस पार्टी को हार मिलने का एक बड़ा कारण टिकट बटवारा भी माना जा रहा है। चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस के बड़े नेताओं ने खुद को किनारा कर लिया यहां तक की चुनाव ना लड़ने को लेकर अपनी बात रखने नेता दिल्ली तक पहुंचे। जब परिणाम के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा से टिकट बंटवारे से जुड़ा सवाल पूछा गया तो करन माहरा ने कहा कि वो इस बात को मानते हैं कि प्रदेश में और बेहतर प्रत्याशी के रूप में बड़े चेहरों को टिकट दिया जा सकता था। उन्होंने कहा कि अगर अल्मोड़ा से यशपाल आर्य, टिहरी से प्रीतम सिंह और हरिद्वार से हरीश रावत, हरक सिंह रावत को टिकट दिया जाता तो इन तीनों सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल होती। इतना ही नहीं गढ़वाल लोकसभा सीट पर भी इन चेहरों के उतारने से कांग्रेस प्रत्याशी को फायदा मिलता। उन्होंने कहा की वो हाईकमान को राजी नहीं कर पाए उसकी जिम्मेदारी उनकी है ।
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को मिली करारी हार ने जहां एक बार फिर उत्तराखंड में कांग्रेस को सियासी जमीन वापस तलाशने को लेकर मंथन शुरू करने के लिए मजबूर कर दिया है। तो वहीं कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर ये है कि 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार का अंतर काम हुआ है। हार को लेकर जब करन माहरा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि किस कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। अल्मोड़ा लोकसभा सीट की पर बीजेपी प्रत्याशी अजय टम्टा को 444651 वोट (63.03%) हासिल हुए थे। जबकि कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को 211665 वोट (30.48%) मिले थे। जीत का अंतर 232986 वोटों का था। गढ़वाल लोकसभा सीट की बात करें तो बीजेपी प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत को 506980 वोट (68.25%) मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूरी को 204311 वोट (27.51%) मिले थे। जीत का अंतर 302669 का था। बात करें हरिद्वार लोकसभा सीट की तो भाजपा उम्मीदवार रमेश पोखरियाल निशंक को 665674 वोट (52.37%) मिले थे। कांग्रेस उम्मीवार अंब्रिश कुमार को 406945 वोट (32.02%) मिले थे। जीत का अंतर 258729 था। वहीं नैनीताल लोकसभा सीट की बात करें तो बीजेपी के अजय भट्ट को 772195 वोट (61.35%) मिले थे। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को 433099 वोट (34.41%) मिले थे। जीत का अंतर 339096 वोटों का था। टिहरी लोकसभा सीट पर बीजेपी की माला राज्य लक्ष्मी शाह को 565333 वोट (64.53%) मिले थे। जबकि कांग्रेस के प्रीतम सिंह को 264747 वोट (30.22%) थे। जीत का अंतर 300586 वोटों का था।
नैनीताल सीट पर अजय भट्ट (भाजपा) को 61% यानी 7,72,671 वोट मिले हैं। प्रकाश जोशी (इंडियन नेशनल कांग्रेस) को 34.6% यानी 4,38,123 वोट मिले हैं। जीत का अंतर 334548 वोटों का है। हरिद्वार सीट पर त्रिवेंद्र रावत (भाजपा) को 50.2% यानी 6,53,808 मिले हैं। वीरेंद्र रावत (इंडियन नेशनल कांग्रेस) को 37.6% यानी 4,89,752 वोट मिले हैं। जीत का अंतर 164056 वोटों का है।
अल्मोड़ा सीट की बात करें तो अजय टम्टा (भाजपा) को 64.2% यानी 4,29,167 वोट मिले। प्रदीप टम्टा (इंडियन नेशनल कांग्रेस) को 29.2% यानी 1,95,070 वोट मिले। जीत का अंतर 234097 वोटों का है। गढ़वाल लोकसभा सीट पर अनिल बलूनी (भाजपा) को 58.6% यानी 4,32,159 वोट मिले। गणेश गोदियाल (इंडियन नेशनल कांग्रेस) को 36.4% यानी 2,68,656 वोट मिले। जीत का अंतर 163503 वोटों का है। इसके साथ ही बात अगर टिहरी लोकसभा की करें तो माला राज्य लक्ष्मी शाह (भाजपा) को 53.7% यानी 4,62,603 वोट मिले हैं। जबकि जोत सिंह गुनसोला (इंडियन नेशनल कांग्रेस) को 22.1% यानी 1,90,110 वोट मिले हैं और बॉबी पंवार (निर्दलीय) को 19.5% यानी 1,68,081 वोट मिले हैं। जीत का अतंर 272493 वोटों का है।