उत्तराखंड में चुनाव से पहले ही चढ़ने लगा भगवा रंगः भाजपा की सियासी सेंधमारी से कांग्रेस अचंभित!

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भाजपा के ज्वाइनिंग अभियान में अब तक 12000 से ज्यादा लोग शामिल,संपर्क में भी कई नेता
उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के कामकाज से उत्साहित

देहरादून(उद संवाददाता)। उत्तराखंड कांग्रेस में इस्तीफों का दौर खत्म ही नहीं हो रहा है। रविवार को कांग्रेस को दो बड़े झटके लगे। टिहरी से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके विरष्ठ नेता धन सिंह नेगी और बदरीनाथ विधायक व पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी ने पार्टी छोड़ दी। वहीं तीन दिन में आठ बड़े नेताओं के इस्तीफे से पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है। उधर राजेंद्र भंडारी ने दिल्ली में भाजपा ज्वाइन कर ली है। सीएम पुष्कर सिंह धामी, मंत्री पीयूष गोयल , पौड़ी सीट से उम्मीदवार अनिल बलूनी और उत्तराखंड भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। उत्तराखंड में चुनाव से पहले ही भाजपा ने मोदी मैजिक का डंका बजाना शुरू कर दिया है। गढ़वाल मंडल की दो लोकसभा सीटों पर भाजपा ने विपक्षी दल कांग्रेस में बड़ी सेंधमारी कर कई नेताओं और पूर्व विधायकों को अपने पाले में शामिल कर कड़ी चुनौती पेश की है। भाजपा के इस दांव से कांग्रेस की सियासी जमीन खिसक चुकी है। सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर भी तेज हो गया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस मुक्त अभियान की रणनीति से गढ़वाल कांग्रेस मुक्त हो रहा है। टिहरी गढ़वाल में दो पूर्व विधायकों के भाजपा में शामिल होने के झटके के बाद बदरीनाथ सीट के विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। विधायक के इस्तीफे से कांग्रेस स्तब्ध है और भाजपा गढ़वाल संसदीय सीट के कांग्रेस मुक्त होने से उत्साहित है। गढ़वाल सीट में 14 विधानसभा सीटों में बदरीनाथ ही अकेली कांग्रेस के पास थी। तीन बार के विधायक भंडारी चमोली जिले की राजनीति में प्रभाव रखते हैं। जिला पंचायत सीट पर उनके परिवार का राज रहा है। अध्यक्ष पद पर उनकी पत्नी रजनी भंडारी काबिज हैं। हालांकि टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर भंडारी और सत्तारूढ़ भाजपा में काफी कड़वाहट रही है। अब भाजपा में उनके आने के बाद मिठास घुलनी तय है। भंडारी ने तब भी कांग्रेस नहीं छोड़ी थी, जब सतपाल महाराज भाजपा में गए थे और उनका बेहद करीबी होने के नाते सियासी हलकों में भंडारी के भी कांग्रेस को अलविदा कहने की चर्चाएं गर्म थीं। 2022 का चुनाव कांग्रेस से लड़े। भंडारी को कांग्रेस से तोड़ लेने और भाजपा में जोड़ लेने अभियान में जुटे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कहते हैं, भंडारी से लंबी मंत्रणा हुई और वह भाजपा की विचारधारा से जुड़ने को तैयार हुए। बता दें कि भट्ट को बदरीनाथ सीट से भंडारी ने ही हराया था। भट्ट राज्यसभा में पहुंच चुके हैं। इसलिए बदरीनाथ सीट पर भंडारी ही पार्टी के अगले उम्मीदवार होंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने मुताबिक जो भी विधायक अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में आएगा उसे पार्टी उपचुनाव में उम्मीदवार बनाएगी। लिहाजा बदरीनाथ उपचुनाव में भंडारी का भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ना तय है।गढ़वाल के साथ-साथ भाजपा ने टिहरी लोस सीट पर भी ऐसा अभियान छेड़ दिया है। गंगोत्री में कांग्रेस के पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण व पुरोला के पूर्व विधायक मालचंद भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं। टिहरी जिले के एक और कांग्रेस विधायक को पार्टी में शामिल कराने की चर्चाएं काफी समय से गर्म है। सीएम पुष्कर सिंह धामी शनिवार को अचानक दिल्ली पहुंचे। उनके दिल्ली दौरे का राज कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद खुला। नई दिल्ली में पार्टी प्रभारी दुष्यंत गौतम व अन्य केंद्रीय नेताओं से सीएम ने चुनाव प्रचार के लिए मार्गदर्शन लिया। सोमवार को उनकी वापसी होगी। भाजपा ने ज्वाइनिंग अभियान के तहत दूसरे दलों के अभी तक 12000 से अधिक लोगों को पार्टी में शामिल कराया है। सभी लोकसभा क्षेत्रों से लोग भाजपा में शामिल हुए। पार्टी अध्यक्ष भट्ट के मुताबिक कई बड़े नाम आने वाले दिनों में भाजपा में शामिल होंगे। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के कामकाज के तौर तरीकों का रंग कांग्रेसियों पर भी चढ़ने लगा है। यही वजह है कि लगातार कांग्रेस के नेताओं की भाजपा में एंट्री हो रही है। लोस चुनाव का एलान होने से पहले सीएम धामी सभी 13 जिलों में प्रवास कर चुके हैं। इन जनसंपर्क यात्राओं के दौरान उनकी सभाओं में उमड़ी भीड़ ने विरोधियों को जमीनी सच्चाई से असहज कर दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चमोली और उत्तरकाशी में सीएम के दौरे दौरान कांग्रेस में सेंध लगाने की जो व्यूह रचना तैयार हुई थी, वह कांग्रेस के एक वर्तमान विधायक व दो पूर्व विधायकों के भाजपा में शामिल होने के रूप में चरितार्थ हुई। अभी और कांग्रेस नेताओं के पार्टी में शामिल होने की संभावना जताई जा रही हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की करीबी लक्ष्मी राणा और हरक की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं भी कांग्रेस छोड़ चुकी हैं। इन दोनों के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं हैं। हालांकि पार्टी में एक वर्ग इसके पक्ष में नहीं है। सीबीआई जांच में फंसे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं। पार्टी सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलते ही हरक भाजपा में होंगे हालांकि पार्टी में एक बड़ा वर्ग नहीं चाहता कि हरक की भाजपा में वापसी हो। बता दें कि शुक्रवार को ही गंगोत्री के पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण और पुरोला के पूर्व विधायक मालचंद ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। फिर शनिवार को पार्टी का चर्चित चेहरा माने जाने वाली नेता कांगेस नेता हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं ने इस्तीफा दे दिया। पौड़ी से कांग्रेस के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केसर सिंह नेगी ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। तो वहीं, विकासखंड कोट के पूर्व प्रमुख व कांग्रेस के पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नवल किशोर ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। इसके अलावा पौड़ी ब्लॉक प्रमुख दीपक कुकसाल ने भी कांग्रेस छोड़ दी।

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