पूर्व सांसद बलराज पासी के पिता योगराज पासी का निधन,क्षेत्र में शोक की लहर
बाजपुर(उद संवाददाता)। पूर्व सांसद बलराज पासी के पिता एवं पूर्व पालिकाध्यक्ष योगराज पासी का निधन हो गया। उनके निधन से क्षेत्रमें शोक की लहर दौड़ गयी। सैकड़ों लोगों ने बुधवार को नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। दिवंगत योगराज पासी लोकतंत्र सेनानी, उत्तरा खंड राज्य आंदोलन कारी के साथ साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रह चुके थे। उनके निधन का समाचार सुनकर घर में शोक व्यक्त करने वालों का तांता लग गया। उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोगों ने पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। दोपहर बाद गमगमीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार हुआ। भाजपा के वयोवृद्ध नेता योगराज पासी का जन्म ननकाना साहिब ,ग्राम घोड़ा चक, ;वर्तमान में पाकिस्तानद्ध में हुआ था। कक्षा 4 तक की पढ़ाई गांव के प्राथमिक विद्यालय जबकि आगे की चक नंबर-सात में हुई। इस बीच आजादी की लड़ाई को लेकर बच्चे अक्सर तिरंगे के साथ प्रदर्शन करते थे। संघ प्रचारक रामनाथ की प्रेरणा से महज 11 साल की उम्र में वे संघ कार्यकर्ता बन गये थे। 3 जून 1947 को बंटवारे के चलते उनका गांव पाकिस्तान में चला गया। खून- खराबे के बीच अपने पिता जयराम व अन्य परिजनों के साथ पैदल काफिले के माध्यम से अमृतसर आ गए। पढ़ाई आदि करने तथा वहां कोई रोजगार नहीं मिलने पर मेरठ आ गए। यहां रिक्शा चलाकर अपने जीवन का निर्वहन किया, लेकिन संघ का कार्य करते रहे। स्थिति सुधरने पर 60 के दशक में तराई में आ गए। जून 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली लोकसभा सीट से इंदिरा गांधी की जीत को अवैध करार दे दिया। जिसके बाद देश में आंतरिक आपातकाल थोप दिया गया। जिस समय इमरजेंसी का एलान हुआ वे बरेली में अपना इलाज करा रहे थे। संघ के आदेश पर रात में अपने यहां से स्टेंसिल मशीन से पंपलेट बनाते और सुबह ट्रेनों, बसों में गोपाल कोच्छड़ आदि बांट आते थे। गुप्तचर विभाग उन्हें बीमार जान कुछ दिन शांत रहा। लेकिन फिर वाल्मीकि जयंती के दिन अचानक विजयपाल सिंह दरोगा व दो-तीन सिपाही दुकान पर पहुंचे और नाम पूछने के साथ ही पीटते हुए थाने ले गए। अगले दिन डीआइआर के तहत आरोपी बनाते हुए जेल में बंद कर दिया गया। तीन माह 22 दिन बाद उन्हें जमानत मिल गई। बाहर आए तो उनके साथ जेल में बंद अल्मोड़ा के संघ प्रचारक सुरेश पांडेय ने एक पत्रदेकर किसी को देने की बात कही। घर आकर पत्रदेने चल पड़े। अल्मोड़ा पहुंचकर जिस व्यत्तिफ से उन्होंने पता पूछा, वह सीआइडी का दारोगा निकला। किसी तरह बचकर निकल आए। अपनी डीआइआर की तारी ख पर जुलाई 1976 में नैनीताल कोर्ट पंहुचते ही राष्ट्र विरोधी गतिविधियां संचालित करने के आरोप में बंद कर दिया गया और अगले ही दिन मीसा लगाने की जानकारी दी गई। 1977 में आम चुनाव की घोषणा हो गई और सभी जेल बंदियों को रिहा कर दिया गया।
नेत्रदान कर अमर हुए योगराज पासी
बाजपुर। पूर्व सांसद बलराज पासी के पिता योगराज पासी के निधन के पश्चात दु ख की इस घडी में परिवार ने सामाजिक हितों को सर्वाेपरि र खते हुए पिता की इच्छानुसार दिवंगत पिता के नेत्रदान हेतु क्षेत्रकी प्रमु ख नेत्रदान संस्था सोचो डिÚेंट संस्था से संपर्क किया। तत्पश्चात सी एल गुप्ता आई बैंक की टीम द्वारा सफलता पूर्वक नेत्रदान लिए। अब ऐसी पुण्यात्मा जिसने समाज सेवा को जीवन भर सर्वाेपरि र खा राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई। नगर एवं क्षेत्रके विकास के लिए पालिका अध्यक्ष के रूप में नगर को नए आयाम दिए। जाते जाते वह अपने नेत्रदान के लिए इच्छा जाहिर कर गए। अब भले ही वह इस दुनिया में न रहें लेकिन उनकी आ खों से किन्ही दो लोगों को रोशनी मिलेगी और वो इस रंगबिरंगी दुनिया को दे ख पाएंगे। इस अवसर पर नेत्रदान के क्षेत्रमें अग्रणी संस्था सोचो डिफरेंट के संस्थापक विकास भुसरी, संदीप चावला,प्रतीक अरोरा,अनुराग मुंजाल ने योगराज पासी के चरणों में अपने श्रद्धा के सुमन अर्पित किए।