मोदी सरकार का सियासी दांवः उत्तराखंड में पंजाब के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह को बनाया नया राज्यपाल
देहरादून। सैन्य बहुल प्रदेश उत्तराखंड में नये राज्यपाल के पद पर केंद्र की मोदी सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत्त गुरमीत सिंह की नियुक्ति की है। प्रदेश में दो बार नेतृत्व परिवर्तन के बाद केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार का प्रभाव बढ़ाने के लिये अब राज्यपाल को बदलने के पीछे भी सियासी रणनीति का संदेश दे रहा है। उत्तराखंड के पहले राज्यपाल सरदार सुरजीत सिंह बरनाला थे और अब राज्य के आठवें राज्यपाल के रूप में गुरमीत सिंह राज्य में सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दूसरे राज्यपाल होंगे जबकि पहली बार उत्तराखंड में सैन्य अफसर को राज्यपाल की भूमिका में रखने के पीछे भी राज्य के सैन्य बाहुल क्षेत्र की जनता को प्रभावित रखने के साथ ही चीन, नेपाल से लगे सीमांत राज्य में सेना की मौजूदगी पर उनकी नियुक्ति को केंद्र सरकार की खास रणनीति के लिये सराहनीय निर्णय बताया जा रहा है। हांलाकि इसे पूर्व भी प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता जनरल भुवन चंद्र खंडूरी भी दो बार मुख्यमंत्री पद पर सेवाये दे चुके है। अब एक बार फिर उत्तराखंड में लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह की नियुक्ति को सियासी दलों की काट का जवाब भी माना जा रहा है। ऊधमसिंह नगर जिले में सिख मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। प्रदेश की सियासत में जगह बनाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी भी पूर्व सैन्य अधिकारी को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे कर चुकी है। वहीं उत्तराखंड में आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले नए राज्यपाल की नियुक्ति को सियासी नजरिए से अहम माना जा रहा है। उत्तराखंड में सैन्य परिवार से जुड़े तकरीबन ढाई लाख पूर्व सैनिक और वीर नारियां राज्य में निवास करते हैं। सैन्य परिवारों से ताल्लुक रखने वाले मतदाताओं की तादाद कुल मतदाताओं का तकरीबन 12 फीसद मानी जाती है। इसी वजह से हर राजनीतिक दल इन्हें लुभाने में कसर नहीं छोड़ता। सेना के प्रति राज्यवासियों में लगाव की बड़ी वजह राज्य की सीमाएं दो देशों चीन और नेपाल से सटी होना भी है। चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में भी सेना की चैकसी बढ़ाई जा चुकी है। लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह सेना में उच्च पदों पर रहे हैं। इस दौरान वह चीन से जुड़े सामरिक मामलों को भी देख चुके हैं। सेना से 2016 में सेवानिवृत्त हुए। सेना में करीब 40 वर्ष की सेवा के दौरान उन्होंने चार राष्ट्रपति पुरस्कार और दो चीफ आफ आर्मी स्टाफ कमंडेशन अवार्ड भी प्राप्त किए। डिप्टी चीफ आफ आर्मी स्टाफ रहे। एडजुटेंट जनरल और 15 काप्घर््स के कमांडर,चीन मामलों से जुड़े मिलिट्री आपरेशन के निदेशक,नेशनल डिफेंस कालेज और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ से स्नातक,चेन्नई और इंदौर विश्वविद्यालयों से दो एम फिल डिग्री,चेन्नई विश्वविद्यालय से कर रहे हैं स्मार्ट पावर फार नेशनल सिक्योरिटी डायनेमिक्स विषय पर पीएचडी, सैनिक स्कूल कपूरथला, पंजाब से स्कूलिंग की उपलब्धियां हासिल की है।