भारत में अलग-अलग चिकित्सा पद्यतियों को एक-दूसरे का पूरक बनाना चाहिए: हरदा
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि आयुर्वेद भारत का चिकित्सा शास्त्र है। इसको कोई पीछे नहीं धकेल सकता है। हमको अलग-अलग चिकित्सा पद्यति को लड़ाना नहीं, बल्कि एक-दूसरे का पूरक बनाना चाहिए।उन्होंने कहा कि यह वायरस अभी अभी आया है। जिस समय आयुर्वेद व यूनानी पद्यतियां थी, उस समय में ऐसे वायरस नहीं थे। इसलिए किसी पद्यति में ऐसे वायरस से लड़ने की विधि नहीं है, तो हमको नाराज होने की आवश्यकता नहीं है। एलोपैथी भी अभी तक इस वायरस के उपचार का फुलप्रूफ रास्ता नहीं ढूंढ पाई है। मगर जो जानें बची हैं, उन जानों को बचाने में यदि एलोपैथी का योगदान है तो आयुर्वेद, यूनानी पद्यति यहां तक होम्योपैथी में भी इम्युनिटी आदि बढ़ाने की औषधि व रस आदि देकर मानव की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया है। अपना अपना श्रेय सभी को दिया जाना चाहिए, मगर एक-दूसरे का पूरक समझ कर।