‘आल वेदर रोड’ की चैड़ाई बढ़ाई, अब पेड़-पौधे लगाओ!

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देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी ‘आॅल वैदर रोड’ परियोजना पर निर्माण कार्य चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2016 में इस परियोजना की शुरुआत की थी। कुल 11,700 करोड़ रुपए की इस परियोजना के जरिए उत्तराखंड स्थित चारों धामों को 12 महीने कनेक्टिविटी वाली सड़क से जोड़ा जाना है। इस परियोजना के तहत उत्तराखंड स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ को जोड़ने के लिए ऐसे राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कराया जा रहा है, जो सालभर तीनों सीजन में खुला रहेगा। आॅल वेदर रोड प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों की कटाई भी करनी पड़ी है। लेकिन अब इसे राज्य सरकार के अफसरों की चूक बताये या फिर परियोजना को शुरू करने की जल्दबाजी में इस बहुआयामी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना में सड़कों की चैड़ाई तक तय नहीं की गई। अब इसकी सीमित चैड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सड़क निर्माण के दौरान पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पौधरोपण कराने का निर्देश केंद्र सरकार को दे दिया है।वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को परियोजना व पर्यावरण की सुरक्षा के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है। उत्तराखंड की भौगोलिग क्षेत्र में चारधाम यात्रियों को सुगम यात्रा के लिये यह संवेदनशील प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के अधीन प्रगति पर चल रहा है। हांलाकि अब आॅल वैदर रोड की सम्भावित चैड़ाई को बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया गया है जिससे परियोजना के स्वरूप में भी परिवर्तन होने की आंशका है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के अनुसार निर्माणाधीन चारधाम यात्रा मार्ग देश को सीमांत से जोड़ता है। निर्माण के बाद सामरिक दृटिकोण से यह अत्यंत महत्वपूर्ण मार्ग होगा। रक्षा संबंधी उपकरण और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री लाने-ले जाने में इस सड़क मार्ग का इस्तेमाल किया जाएगा। इसलिए रक्षा के पहलू का भी ध्यान रखा जा रहा है। सडक निर्माण जहां हो रहा है, वह संवेदनशील क्षेत्र है, लेकिन इस सड़क मार्ग का नाम ही आॅल वेदर चारधाम यात्रा मार्ग है। यानी यह मार्ग इस तरह तैयार किया जा रहा, ताकि हर मौसम में साल के बारहों महीनों इस पर यातायात सुचारू रहे। इसकी अहमियत को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने आॅल वेदर रोड के लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था की है। इन तमाम पहलुओं का ध्यान रखते हुए यह सड़क मार्ग तैयार किया जा रहा है। निर्णय के अध्ययन के बाद सभी जरूरी तथ्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे जाएंगे। वहीं पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आॅल वेदर रोड के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड में सियासत शुरू हो गई है। इस परियोजना के तहत 900 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। अब तक 400 किलोमीटर लंबी सड़क के चैड़ीकरण का काम पूरा किया जा चुका है। एक अनुमान के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के दौरान अब तक 25 हजार पेड़ों की कटाई हो चुकी है। इससे पर्यावरणविद नाराज हैं और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणविदों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बीते मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि आॅल वेदर रोड के निर्माण में सड़क परिवहन मंत्रालय के 2018 के सर्कुलर को ही लागू किया जाए। केंद्र सरकार की ओर से साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तर्क दिया कि आॅल वेदर रोड परियोजना के अंतर्गत चीन से जुड़े सीमा क्षेत्र तक भी सड़क पहुंचनी है। ऐसे में सेना के वाहन भी इस सड़क से होकर गुजरेंगे, इसलिए चैड़ाई 5 मीटर से बढ़ाकर 7 मीटर रखने कि मंजूरी दी जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2018 के सर्कुलर के मुताबिक चलें। इधर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक मनोज रावत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग लगातार इस बात को उठा रहे थे कि आखिर सड़क की इतनी चैड़ाई की क्या जरूरत है इसके कारण जो पर्यावरणीय क्षति हुई है उसकी भरपाई कैसे हो पाएगी। राष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के समक्ष नई चुनौती खड़ी हो गई है। जबकि सामरिक दृष्टि से सरकार इस महात्वाकांक्षी परियोजना को उत्तराखंड के चारधाम यात्रा को सुगम बनाने की है लिहाजा अब सरकार के समक्ष भी परियोजना को पूरा करने की चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क की चैड़ाई ब्लैक टाॅप में 5.5 मीटर ;अधिकतम सात मीटरद्ध करने के आदेश दिए हैं। वहीं, पूर्व से जारी इस काम में पेव्ड शोल्डर के लिहाज से सड़क को दस से 12 मीटर तक चैड़ा किया जा रहा था। इसी के अनुरूप 889 किमी सड़क में से 70 फीसद की कटिंग भी की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कम चैड़ाई के हिसाब से सड़क का निर्माण किया जाना है। ऐसे में काटे जा चुके अतिरिक्त भाग को प्राकृतिक रूप से दुरुस्त भी करना होगा। दूसरी ओर, इस समय करीब 350 किमी सड़क का चैड़ीकरण कार्य पूरा किया जा चुका है। इस भाग को बदल नहीं सकते, मगर यहां से आगे का हिस्सा बाॅटलनेक के रूप में नजर आने लगेगा। ऐसे में यातायात के लिहाज से यह स्थिति खतरनाक भी हो सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ;माॅर्थद्ध के वर्ष 2018 के सर्कुलर में बताई गई चैड़ाई के हिसाब से ही परियोजना में सड़क की चैड़ाई रखने आदेश दिए हैं। मगर, मंत्रालय का ही एक ऐसा पत्र भी सामने आया है, जिसमें परियोजना को सर्कुलर से पहले शुरू होना बताया गया है। पत्र में कहा गया है कि सर्कुलर से पहले ही सड़क की चैड़ाई तय कर ली गई थी। लिहाजा, परियोजना के सामरिक महत्व को देखते हुए अतिरिक्त चैड़ाई की पैरवी की गई।

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