लाॅकडाउन के चलते फूलों की खेती हुई चौपट

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गदरपुर(उद संवाददाता)। कोरोनावायरस जैसी महामारी के संक्रमण से बचाने के लिए सरकार द्वारा 21 दिनों तक घोषित लाॅक डाउन के चलते क्षेत्र में फूलों की खेती करने वाले किसानों को जबरदस्त आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्षेत्र में कई ऐसे फूल उत्पादक किसान हैं जिनके खेतों में खड़ी फूलों की फसल बर्बाद होती जा रही है, जिन की सुध लेने वाला कोई नहीं है। गदरपुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत निकटवर्ती ग्राम मकरंदपुर के एक युवा किसान ने 5 एकड़ भूमि को ठेके पर लेकर उसमें गेंदे के फूल लगाए थे। गेंदे के फूलों की भरपूर खेती होने के बावजूद युवा किसान को जब फूलों की खेती का वाजिब दाम मिलने का समय आया तो लाॅक डाउन घोषित हो गया जिसके चलते परिवहन सेवा बंद हो गई और फूलों को बाहर भेजने का कोई भी साधन मुहैया नहीं हो पाने के कारण उनको अपने फूलों को तोड़कर गîक्कों में फेंकने के लिए विवश होना पड़ा, जिसमें उनको हजारों रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। कुछ ऐसा ही गांव के युवा किसान वीरू हालदार साथ भी हुआ है जिन्होंने कोलकाता से फूलों की पौध मंगा कर फूलों की खेती की थी। फूलों की भरपूर पैदावार होने से वीरू हल्लार काफी प्रफुल्लित थे लेकिन जब फूलों की बिक्री का वक्त आया तो उनके सभी सपने चकनाचूर हो गए क्योंकि लाॅक डाउन के चलते उनको फूलों को बाहर भेजना था लेकिन सीमाओं के सील होने के कारण उनके फूल खेतों में ही मुरझाने लग गए। क्षेत्र के फूल उत्पादक किसानों द्वारा अपने फूलों को काशीपुर, हल्द्वानी, रुद्रपुर और बरेली की मंडियों में भेजा जाता था। कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते प्रशासन द्वारा शादी विवाह एवं अन्य धार्मिक आयोजनों में रोक लगा दी गई जिससे फूलों की डिमांड कम होती चली गई उसके बाद लाॅक डाउन घोषित होने पर फूलों की बाहरी स्थानों पर परिवहन की व्यवस्था न होने से फूलों की खेती बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है जिससे फूल उत्पादकों को लाखों रुपए की क्षति होने का अनुमान है। फूल उत्पादक किसानों का मानना है कि अगर 14 अप्रैल के बाद लाॅक डाउन खुल जाता है तो उनके द्वारा फूलों को मंडियों में भेज कर उनमें लगाई गई कुछ लागत को हासिल किया जा सकता है, जिससे उनका और उनके परिवार का पालन-पोषण हो सकता है, अगर ऐसा नहीं होता है तो उनको अपने परिवार का पालन पोषण तक करना मुश्किल हो जाएगा, साथ ही फूलों की खेती करने के लिए उनके द्वारा बैंक आदि से जो ऋण लिया गया है उसको अदा करने में भी उनको काफी असुविधा का सामना करना पड़ेगा। इस संबंध में जब स्थानीय तहसील प्रशासन से संपर्क किया गया तो बताया गया कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को परिवहन आदि में किसी प्रकार की छूट नहीं दी जा सकती है ना ही फसल को नुकसान होने पर मुआवजा आदि दिए जाने का प्रावधान है, क्योंकि फूलों की खेती को कच्ची फसलों के रूप में गिना जाता है। ऐसे में फूल उत्पादक किसान अपनी फूलों की फसल को लेकर चिंतित बने हुए हैं और शासन प्रशासन से उम्मीद लगाए हुए हैं कि वह है उनकी समस्या को गंभीरता से लेकर उन को होने वाले नुकसान का समुचित मुआवजा दिलाने का प्रयास करें।

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