बदरी विशाल के दर्शन कर लौटे मोदी

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बदरीनाथ/देहरादून। केदारनाथ स्थित ध्यान गुफा में करीब 17 घंटे से ज्यादा समय व्यतीत करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार की सुबह गुफा से बाहर निकले। इसके बाद उन्होंने केदारनाथ में पूजा अर्चना की। केदारनाथ में पूजा अर्चना के बाद वह बदरीनाथ धाम पहुंचे। जहां भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना की। इसके बाद प्रधानमंत्री सिंह द्वार से बाहर आए। बद्रीनाथ में पीएम मोदी करीब डेढ़ घंटे तक रूके यहां मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने उन्हें स्मृति चिह्न के साथ ही माणा के जन जाति के लोगों के जरिए बनाई गई ऊन की शॉल भेंट की। इसके बाद वह मंदिर समिति के गेस्ट हाउस में गए। यहां उन्होंने मंदिर समिति के पदाधिकारियों के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात की। बदरीनाथ मंदिर से जैसे ही प्रधानमंत्री बाहर निकले तो उपस्थित लोगों ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिये। इस पर पीएम ने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया। मंदिर समिति के गेस्ट हाउस में कुछ देर रुकने के बाद वह जौलीग्रांट के लिए रवाना हुए। जोलीग्रांट एयरपोर्ट पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उनका स्वागत किया। इसके बाद पीएम मोदी दोपहर 12.55 पर विशेष विमान से दिल्ली के लिए रवाना हुए। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बीच सातवें एवं अंतिम चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी उत्तराखंड पहुंचे। यहां केदारनाथ धाम में वह पूरी तरह से आध्यात्मिक और भक्ति भावना में डूबे हुए नजर आए। इस दौरान उन्होंने गर्भगृह में रुद्राभिषेक किया तो मंदिर की परिक्रमा भी की।  दोपहर बाद करीब दो बजे वह साधना के लिए एकांत स्थल की तरफ गए।  मंदिर से 1.5 किलोमीटर दूर ध्यान गुफा में उन्होंने रात बिताई। इससे पहले उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया था।

मैं भगवान से मांगने नहीं आयाः नरेन्द्र मोदी

देहरादून/केदारनाथ। केदारनाथ में पूजा के बाद जब पीएम मंदिर से बाहर निकले तो पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। बाबा भोले से चुनाव में जीत की मन्नत के सवाल पर पीएम ने कहा कि मैं भगवान से कभी मांगता नहीं हूं। मांगना मेरी प्रवृति नहीं है। भगवान ने मांगने नहीं, देने योग्य बनाया है। ईश्वर ने देने योग्य जो क्षमता दी उसे समाज और देवता को देना चाहिए। समाज देवता और अध्यात्म मिलकर बना है। उन्होंने कहा कि मई व जून में चुनाव कड़ी परीक्षा रहती है। साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग का भी आभार जताया कि आचार संहिता के कारण उन्हें दो दिन आध्यात्मिक भूमि में आने का सौभाग्य मिला। पीएम मोदी ने कहा कि कल से ध्यान गुफा में बाहरी दुनियां से अलग भगवान की शरण में रहा। गुफा में एक छेद ऐसा है, जिससे भगवान केदारनाथ मंदिर के दर्शन होते रहते हैं। इस दौरान मैं बाहरी वातावरण से अलग था।  पीएम मोदी ने कहा कि कपाट खुलने से दो माह पहले ही यात्रा व्यवस्थाओं की तैयारी शुरू हो जाती है। इसमें सैकड़ों लोग जुटते हैं। जो विकट परिस्थितियों में कष्ट उठाकर कार्य करते हैं। इसकी जानकारी भी देश की जनता को होनी चाहिए। ताकि लोग भी इस कार्य से जुड़ें।  पीएम मोदी ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब से ही आपदा के बाद केदारनाथ के लिए कुछ करना चाहते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें यह सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि यहां बर्फबारी के कारण तीन माह तक निर्माण कार्यों में दिक्कत आती है। इसके बावजूद निरंतर काम चले। यहां के लिए मास्टर प्लान बनाया गया। मैं खुद कार्यों को रिव्यू करता हूं। वीडियो कांफ्रेसिंग से भी यहां की जानकारी लेता रहता हूं। उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश यही रहती है कि यहां क्या अच्छा कर सकते हैं। इसके लिए मुझे अच्छी टीम भी मिली है। यहां के लिए प्रकृति, पर्यावण और पर्यटन ही मेरा मिशन है।

पीएम ने प्राकृतिक सौंदर्य का लिया आनन्द

केदारनाथ। प्रधानमंत्री मोदी रविवार की सुबह ध्यान गुफा से बाहर आए और उन्होंने गुनगुनी धूप का आनंद लिया। इस दौरान उन्होंने योग भी किया। इसके बाद वह केदारनाथ मंदिर के लिए पूजा अर्चना केे लिए पैदल चल दिए।  इस दौरान प्रधानमंत्री ने प्रकृति के सौंदर्य का भी भरपूर आनंद लिया। ध्यान गुफा  से मंदिर तक के करीब डेढ़ किलोमीटर के रास्ते पर वह कई स्थान पर रुके। उन्होंने आसपास की पहाड़ियों को निहारा। एक स्थान पर प्राकृतिक स्रोत से उन्होंने पानी भी पिया। साथ ही वह रास्ते में एक बैंच  पर भी बैठे। केदारनाथ में पीएम की सुबह की पूजा की तैयारी के लिए मंदिर में यात्रियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। केदारनाथ धाम पहुंचकर पीएम ने मंदिर में पूजा के लिए प्रवेश किया। यहां उन्होंने भगवान भोले की पूजा अर्चना की। गृभगृह में पूजा के बाद वह बाहर आए और भगवान नंदी की पूजा के साथ ही मंदिर परिसर की परिक्रमा की।

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