जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में पेड़ कटान घोटाले की सीबीआई जांच शुरू
पूर्व डीएफओ किशनचंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा के घर मारे छापे
देहरादून(उद संवाददाता)। सीबीआई ने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में निर्माण घोटाले के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने के आदेश दिए थे। मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआई ने शुक्रवार को हरिद्वार में पूर्व डीएफओ किशनचंद के घर और देहरादून में पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा के घर छापे भी मारे। इस दौरान वहां से बहुत से दस्तावेज सीबीआई ने कब्जे में लिए हैं। सीबीआई इस प्रकरण में और लोगों को भी नामजद कर सकती है। पिछले दिनों पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत का नाम भी इस प्रकरण में सामने आया था। विश्व प्रसि( जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज के 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी का निर्माण होना था। वर्ष 2019 में इसका निर्माण कार्य बिना वित्तीय स्वीकृति के शुरू कर दिया गया। पेड़ काटने और अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया था। इस दौरान अनियमितताएं सामने आईं। पता चला कि इन सब कार्यों में अधिकारियों ने ठेकेदारों की मिलीभगत से 215 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए। इस मामले में पिछले साल विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच के बाद विजिलेंस ने पिछले साल ही पहले बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्रतार किया था। इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्रतार कर लिया गया। विजिलेंस इस प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की
धाराओं में चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी थी। विजिलेंस ने 30 अगस्त को पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के परिवार से संबंधित देहरादून स्थित एक शिक्षण संस्थान और रायवाला के एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। यहां से सरकारी जनरेटर बरामद किए गए थे। हरक सिंह का नाम आने से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में भी तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इसी बीच हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में सीबीआई से जांच कराने के आदेश दिए। सीबीआई ने विजिलेंस से जांच संबंधी दस्तावेज हासिल किए और अब इसमें मुकदमा दर्ज कर लिया। शुरुआती जांच में पूर्व डीएफओ किशनचंद और पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा को आरोपी बनाया है। इन दोनों पूर्व अधिकारियों के घर पर छापे भी मारे गए हैं। गौरतलब है कि पाखरो रेंज में 215 करोड़ के कार्यों की समीक्षा के दौरान पता चला था कि टाइगर सफारी के नाम पर खर्च हुआ पैसा दूसरे काम के लिए था। इसे कमीशन और अन्य लालच में ठेकेदारों को आवंटित कर दिया। गड़बड़ी करने वाले अधिकारी इस बात को लेकर भी आश्वस्त थे कि उन्हें जो पैसा बाद में मिलेगा, उसे उसी मद में जमा कर दिया जाएगा। जिस जगहों पर सड़क, भवन और अन्य निर्माण कार्य हुए वह कोर सेंसिटिव जोन में आता है, यहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य नहीं हो सकते हैं। कालागढ़ रेंज के पूर्व डीएफओ किशनचंद ने निदेशक के आदेश को भी दरकिनार कर दिया था। बिना वित्तीय स्वीकृति के निर्माण कार्य की जानकारी मिलते ही कार्बेट पार्क के निदेशक ने रोक लगाने के निर्देश दिए थे। विजिलेंस की जांच में सामने आया कि पेड़ों का कटान भी बड़े पैमाने पर हुआ है। शासन ने निर्माण कार्य में आड़े आ रहे 163 पेड़ काटने की अनुमति दी थी, लेकिन वनाधिकारियों ने जेब भरने के लिए 163 के बजाय 6200 पेड़ों पर आरी चला दी थी।