सिख समाज का देश के विकास में अहम योगदानः मंजीत

सिख पंजाबी महासम्मेलन में पहुंचे हजारों लोग

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रूद्रपुर,(उद संवाददाता)। देश के चहुंमुखी विकास में सिख समाज का अहम योगदान रहा है। यह बात दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान मंजीत सिंह ने आज सिख संगठन उत्तर प्रदेश उत्तराखंड द्वारा गांधीपार्क में आयोजित सिख पंजाबी महासम्मेलन में अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि आजादी से पूर्व सिख समाज ने हिन्दुओं की रक्षा के लिए कुर्बानियां दीं जिन्हें आज भी याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के पश्चात पाकिस्तान एवं पंजाब प्रांत से हजारों परिवार उत्तर प्रदेश एवं तराई क्षेत्र में रहने लगे और उन्होंने इस क्षेत्र में कृषि, उद्योग व अन्य क्षेत्रें में विकास के लिए अहम योगदान दिया। उन्होंने बताया कि सिख समाज ने अपने कठिन परिश्रम से हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनायी है। लेकिन दुःख का विषय है कि आज यह समाज निरन्तर उपेक्षित हो रहा है। सिख समाज की जनसंख्या जहां उत्तर प्रदेश में लगभग 35लाख है तोा वहीं उत्तराखंड राज्य में 10 लाख की आबादी है जबकि आजादी के समय देश में सिख समाज की संख्या कुल आबादी का दो प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है सिख समाज के लोगों की सरकारी संस्थाओं व  राजनीतिक स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि सिख समाज का अधिकांश हिस्सा कृषि से जुड़ा हुआ है। किसान निरन्तर कर्ज के बोझ के नीचे दब रहा है। उसे फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाता। उन्होंने बताया कि सिख समाज ने तराई क्षेत्र को जंगलों से आबाद कर उपजाऊ बनाने के लायक बनाया। अपने सम्बोधन में राष्ट्रीय किसान नेता वीएम सिंह ने कहा कि पंजाबी संस्कृति की रक्षा करना हम सबका प्रथम दायित्व है। पंजाबी बोली को विकसित करने के लिए सिख बाहुल्य जनपदों की सरकारी स्कूलों में हिन्दी व संस्कृत की तरह गुरमुखी भाषा को भी स्वैच्छिक विषय के रूप में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिख समाज की रायसिख बिरादरी अत्यंत गरीब एवं बेरोजगार है। इस समाज को पंजाब में अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है। उसी तरह यहां भी इस समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाये। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा व राज्यसभा में आनन्द मैरिज एक्ट को पास किया गया जिसे देश के कई राज्यों में लागू भी किया गया है परन्तु उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में इस एक्ट को अभी तक लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि तराई क्षेत्र मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है। यहां पंजाबी विश्वविद्यालय की स्थापना भी की जाये। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से प्रतिदिन भारी संख्या में सिख समाज के लोग श्री दरबार साहिब अमृतसर एवं राधास्वामी सत्संग डेरा व्यास जाते हैं। केंद्र सरकार को काठगोदाम से अमृतसर के लिए नियमित रेलसेवा प्रारम्भ करनी चाहिए। कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, लखीमपुर के पाल सिंह, हरदोई के जिलाध्यक्ष बलकार सिंह, मंजीत सिंह, विधायक राजकुमार ठुकराल, तजिंदर सिंह विर्क, जसवीर सिंह विर्क, संतोख सिंह रंधावा, निर्मल सिंह हंसपाल सहित कई वक्ताओं ने सम्बोधित किया। इस मौके पर वीरेंद्र सामंती, साहब सिंह विर्क, मान सिंह, प्रेम सिंह सहोता, सतपाल ठुकराल, लवली लाम्बा, हरेंद्र लाडी, लक्की खरबंदा, मंजीत सिंह, सतवंत सिंह, वीर सिंह, हरजिंदर सिंह, सेवा सिंह, कर्म सिंह, बलविंदर सिंह, राजपाल सिंह, राम सिंह, सलविंदर सिंह, सुरेंद्र सिंह, राजेंद्रपाल सिंह, जरनैल सिंह, कांवल सिंह, संतोख सिंह, अंग्रेज सिंह,अमनदीप सिंह व लखविंदर सिंह सहित उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रें से आये हजारों लोग मौजूद थे।
डॉग स्कवायड और बम निरोधक दस्ता रहा मुस्तैद
रूद्रपुर। आयोजित महासम्मेलन के दौरान गांधी पार्क परिसर के भीतर एवं बाहरी क्षेत्र में बम डिस्पोजल स्कावायर्ड एवं डॉग स्कवायड भी पूरी तरह से सक्रिय रहा। प्रातः स्कवायर्ड के एसआई विजय शंकर यादव की अगुवाई में एसआई वी सुखवीर सिंह रावत, हेका- चंद्र शेखर उपाध्याय, का- प्रेम सिंह,ध्यान सिंह, विजय जोशी व दीपक कुमार ने डॉग रॉक्सी के साथ गांधी पार्क परिसर का बारीकी से निरीक्षण किया। साथ ही संदिग्ध वस्तुओं को भी देखा। टीम ने सम्पूर्ण गांधी पार्क परिसर के साथ ही मंच, महाराजा रणजीत सिंह पार्क व पार्क के चारों ओर प्रतिष्ठनों व अन्य स्थानों पर निरीक्षण किया। वहीं पुलिस एवं पीएसी के भारी संख्या में जवान भी आयोजन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था के लिये तैनात रहे।
गांधी पार्क में दिनभर चलता रहा लंगर
रूद्रपुर। सिख समाज द्वारा आयोजित महासम्मेलन के दौरान गांधी पार्क में नगर के दूर दराज क्षेत्रें से आये लोगों की सेवा के लिये चाय एवं लंगर प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी। जो प्रातः से प्रारंभ हुई और लोगों के वापिस लौटने तक जारी रही। गांधी पार्क परिसर में अटूट लगर बरता गया वहीं परिसर के भीतर एवं बाहर चाय प्रसाद के कई स्टाल भी लगाये गये थे। जहां लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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