नहीं होंगे आनलाईन दर्शन..केदारनाथ धाम के रावल भीमा शंकर लिंग होमक्वारंटाईन!
चारधाम यात्रा पर कोरोना का संकट, 29 को खाुंले कपाट, 22 से तैनात रहेगी पुलिस
उत्तरांचल दर्पण ब्यूरो
देहरादून। लाॅकडाउन में फंसे केदारनाथ धाम के रावल श्री 1008 भीमा शंकर लिंग रविवार सुबह ऊखीमठ लौट आये है। अब जिला प्रशासन की मौजूदगी में वह एकान्तवास में रहेंगे। वहीं, बदरीनाथ के रावल, नायब रावल के रविवार रात तक मथुरा पहुंचेंगे सिके बाद उन्हें उत्तराखांड के लिये वाना किया जायेगा। बता दें कि केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खोले जाने हैं। कपाट खुलने के मौके पर रावल की मौजूदगी में ही समस्त धार्मिक परंपराओं का निर्वहन होता है। शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से पंचमुखी उत्सव डोली के साथ रावल केदारनाथ पहुंचते हैं। कोरोना महामारी के बीच ऊखीमठ से भगवान केदारनाथ की डोली यात्रा के दौरान शारीरिक दूरी का पूरी तरह पालन कराया जाएगा। इसके लिए तहसीलदार ऊखीमठ जयराम बधानी के नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने केदारघाटी के विभिन्न कस्बों में व्यापारियों से मुलाकात की और उनसे शारीरिक दूरी बनाए रखने में सहयोग की अपील की। टीम ने गौरीकुंड, सोनप्रयाग, रामपुर व फाटा में व्यापारियों व ग्रामीणों से भेंट की और इन स्थानों पर बाबा की डोली के आगमन के दौरान शारीरिक दूरी के नियम का शत-प्रतिशत अनुपालन करने की अपील की। भगवान केदारनाथ की उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से प्रस्थान कर 26 अप्रैल को फाटा, 27 को गौरीकुंड और 28 अप्रैल की शाम केदारनाथ पहुंचेगी। 29 अप्रैल को सुबह 6.15 बजे पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। तहसीलदार बधानी ने बताया कि शुरुआत में किसी भी यात्री को केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं होगी। गौरीकुंड व केदारनाथ के मधय यात्राकालीन दुकानों को खोलने के बारे में भी अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अलबत्ता, केदारनाथ तक पैदल मार्ग के साथ ही बिजली-पानी की लाइनों की मरम्मत का कार्य भी पूरा हो चुका है। यात्रा के सफल संचालन के लिए 22 अप्रैल से गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच स्थापित चैकियों पर पुलिस की तैनाती की जाएगी। पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने बताया कि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टðी, भीमबली व लिनचोली में स्थापित चैकियों पर पुलिस दल 22 अप्रैल को पहुंच जाएगा। इन पड़ावों पर पुलिस की ओर से यात्रियों की मदद के साथ सुरक्षा की व्यवस्था भी की जाएगी।
दो सौ साल पुरानी परंपरा अनुसार ही कपाट खोले जायें कपाट: हरीश रावत
देश में कोरोना वायरस की महामारी के बीच आगामी 30 अप्रैल को बद्रीनाथ और फिर केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथी करीब आ गई है। वहीं कोरोना के प्रकोप के चलते सरकार के साथ इस जंग में शामिल पूर्व सीएम हरीश रावत की एक पोस्ट से उत्तराखंड की सियासत में गरमाहट आ गई है। जबकि दूसरी तरफ तीन मई तक लाॅक डाउन के चलते श्री केदारनाथ धाम के रावल की गैरमौजूदगी को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया था। बता दें कि केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट 200 साल पुरानी परंपरा अनुसार निर्धारित तिथि और मुहूर्त पर रावल जी ही खोलते हैं लेकिन लाॅक डाउन लागू होने के बाद देशाटन यात्रा पर निकले बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के रावल जी महाराष्ट्र और केरल में फंस गए हैं। ऐसे में उत्तराखंड समेत देश विदेश के तमाम श्र(ालुओं की निगाहे सरकार के निर्णय पर टिकी हुई थी कि आखिर कपाट कैसे खोले जाएंगे और सरकार रावल जी को यहां लाने के लिए क्या कर रही है। क्योंकि अगर रावल जी को यहां लाने की व्यवस्था नहीं की गई और समय पर रावल जी यहां नहीं पहुंचे तो कपाट खुलने की 200 साल पुरानी परंपरा टूट जाएगी और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। उत्तराखंड के लोगों ने परंपरा के अनुसार ही कपाट खोलने की अपील सरकार से की है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुखयमंत्री हरीश रावत ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट खाोलने से पूर्व रावल जी की सकुशल वापस लाने की मांग सोशल मीडिया के जरिये की थी। पूर्व सीएम हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार पर वार करते हुए पोस्ट शेयर की और कहा कि हम भाजपा के तरीके से सत्ता में आस्था नहीं रखते हैं। साथ ही रावल जी द्वारा ही बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की मांग की। हरीश रावत ने कहा कि चाहे इसके लिए चार्टर्ड प्लेन ही क्यों न भेजना पड़े, लेकिन रावल जी को यहां बुलाइए।
गर्भगृह की फोटो या वीडियो दिखाना वर्जित: सतपाल महाराज
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने को लेकर उन्होंने कहा कि कपाट पूरे विधि-विधान से खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि परंपराओं को जीवंत रखने के लिए कपाट खोले जाने अनिवार्य हैं और उन्हीं प्राचीन परंपराओं के अनुरूप खोले जाएंगे। उन्होंने जनता से अपली कि है कि वो भीड़ ना लगाएं। रावलों के उत्तराखंड पहुंचने के बाद दोनों रावल को 14 दिन के लिए क्वारंटीन किए जाने के सवाल पर सतपाल महाराज ने कहा कि उनको क्वारंटीन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रावलों के टेस्ट कराए जाएंगे। जिसके बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आने पर कपाट खोल सकेंगे। उनका कहना है कि जब हमने इन बातों की प्लानिंग शुरू की थी, तब जांच के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं थी। अब हम सक्षम हैं स्थितियां अब बदल गई हैं। सरकार इस बात पर भी जल्द निर्णय लेगी। आॅनलाईन दर्शन कराए जाने को लेकर सतपाल महाराज ने कहा कि इस पर चर्चा जरूरी हुई है, लेकिन अब तक अंतिम निर्णय नहीं हो पाए हैं। नियम यह है कि गर्भगृह की फोटो या वीडियो दिखाना वर्जित है। ऐसे में आॅनलाइन दर्शन संभव नहीं है। इतना जरूर है कि धाम की वीडियो को बाहर से दिखाया जा सकता है। साथ ही आसपास के सौंदर्य के भी लाइव दिखाया जा सकता है।