डाॅ. गिल ने बेसहारा वृद्धा को दिया नया जीवन

पेशाब की थैली से निकाली अण्डे के आकार की पथरी, निःशुल्क आप्रेशन के साथ अस्पताल से दवाएं भी दी

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रूद्रपुर,(उद संवाददाता)। काशीपुर मार्ग स्थित अमृत अस्पताल के प्रबन्धक निदेशक और प्रमुख चिकित्सक डा- रणजीत सिंह गिल ने लगभग 70 वर्षीय वृद्धा की पेशाब की थैली से अण्डे के आकार की पथरी को दूरबीन विधि से तोड़कर निकाल कर उसे नया जीवन प्रदान किया। वृद्धा आपरेशन के पश्चात काफी स्वस्थ महसूस कर रही है और वह डा- गिल को निरंतर शुभाशीष देते नहीं थक रही है। डा- गिल द्वारा महिला का न सिर्फ निःशुल्क पूर्ण उपचार किया जा रहा है वरन चिकित्सालय से समस्त आवश्यक दवाएं भी निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही हैं। डा- गिल ने बताया कि सुभाष कालोनी निवासी करीब 70 वर्षीय वृद्धा माया देवी पत्नी स्व- जिला लाल बीते दिनों उनके पास अपने परिचितों के साथ आयी थी। उसका कहना था कि उसके पेट मे पिछले काफी से समय से तेज दर्द उठता है जो असहनीय हो जाता है। माया का कहना था कि उसकी कोई सन्तान नहीं है और वह अकेले अपना भरण पोषण करती है। डा- गिल ने वृद्धा माया का एक्सरे करवाया जिसमें स्पष्ट हुआ कि माया के गुर्दे एवं पेशाब की थैली में पथरी मौजूद है। पेशाब की थैली में करीब अण्डे के आकार की पथरी मौजूद थी जिससे प्राथमिकता से निकाला जाना आवश्यक हो गया था। माया की कोई संतान न होने एवं नगर में करीबी रिस्तेदार न होने के कारण माया के गुरूभाई शारदा कालोनी निवासी अशोक भटनागर व उसकी पत्नी सावित्री ने माया की सेवा करने की जिम्मेदारी उठायी। डा- गिल ने बताया कि 13 फरवरी को माया को अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां उसकी पेशाब की पथरी का दूरबीन विधि से आपरेशन हुआ जिसमें अण्डे के आकार की पथरी के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसे पेशाब के रास्ते बाहर निकाला गया। डा- गिल ने बताया कि पथरी के करीब 30 से 40 टुकड़े निकाले गये। इसके पश्चात माया को अस्पताल में निःशुल्क दवाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। अब उसका स्वास्थ्य पहले से काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि पेशाब की थैली से पथरी निकाल देने के पश्चात यदि माया को भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी होती है तो उसके कहने पर गुर्दे में मौजूद पथरी को भी निकाल दिया जायेगा। इधर माया ने बताया कि आपरेशन के पश्चात उसे दर्द की शिकायत बिल्कुल नहीं हुई है। उसका कहना था कि करीब 4 वर्ष पूर्व उसके पति जिला लाल का निधन हुआ था। उसकी कोई संतान नहीं है। एक महिला रिश्तेदार ने कुछ वर्ष पूर्व उसके घर आकर झगड़ा कर उसे धक्का दे दिया था जिससे उसका कूल्हा टूट गया था जिस कारण वह अच्छी तरह से चल फिर भी नहीं सकती है। उसका कहना है कि सरकार द्वारा उसे एक हजार रूपये प्रतिमाह वृद्धा अवस्था पेंशन मिलती है। वह भवन के एक कमरे से 12 सौ रूपये किराया मिलता है जिससे वह अपना गुजर बसर कर रही है। माया ने डा- गिल व डा- जसविन्दर सिंह गिल दोनों का आभार जताते हुए कहा कि उनके सहयोग से ही उपचार सम्भव हो सका है।

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