नरेश जोशी
रूद्रपुर। कांग्रेस के अंदर सियासी हालात बनने की जगह और बिगड़ते जा रहे हैं। कांग्रेसी विधायक हरीश धामी की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के िखलाफ खुली बगावत ने सीधे तौर पर यह मैसेज दे दिया है कि अब कांग्रेस के भीतर चल रहे इस सियासी संग्राम का नतीजा कुछ भी हो सकता है। इधर दूसरी और उक्रांद के एक बड़े नेता ने बताया कि विधायक हरीश धामी उनके संपर्क में है। इस मामले को लेकर विधायक हरीश धामी से बात करने की कोशिश की लेकिन श्री धामी से बातचीत नही हो पाई। वही धामी समर्थकों का लगातार सोशल मीडिया पर धामी की उपेक्षा का पलटवार जारी है। बता दें कि 2017 के विधान सभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बावजूद भी कांग्रेस के भीतर गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला धारचूला के विधायक हरीश धामी को लेकर सुिखर्यों में है। हरीश धामी सार्वजनिक रूप से नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के ऊपर गंभीर आरोप लगा चुके हैं। विधायक धामी ने मीडिया के सामने खुलकर यह कह दिया कि नेता प्रतिपक्ष सदन में किसी भी समस्या को गंभीरता से नहीं उठा रही हैं और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को हटाने के लिए कांग्रेस के विधायकों का एक खेमा कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात करने जा रहा है। सही मायने में देखा जाए तो कांग्रेस के भीतर हरीश रावत को लेकर सियासी लड़ाई 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले से ही चली आ रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के 13 विधायकों का भाजपा में शामिल हो जाना पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ही वजह माना जा रहा है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मौजूदा मंत्री हरक सिंह रावत भी यह बात कह चुके हैं कि उनकी नाराजगी कांग्रेस से नहीं बल्कि हरीश रावत से थी। 2017 के चुनाव में भी प्रचार के दौरान हरीश रावत के चेहरे को ही आगे रखा गया जिसके बाद विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद विरोधी खेमा हरदा के ऊपर पूरी तरह हावी हो गया। हरदा के उस विरोधी खेमे ने कांग्रेस आलाकमान को यह बता दिया था कि उत्तराखंड प्रदेश में हुई कांग्रेस की यह दुर्गति का कारण पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की नीतियां है। वहीं दूसरी ओर हरीश रावत खेमे के कांग्रेसियों का कहना था कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि और प्रदेशों में भी भाजपा के विपक्षी दलों की हार हुई है जिसका कारण देश में मोदी लहर है। हरदा समर्थकों का कहना था कि उत्तराखंड में हार का जिम्मा हरीश रावत को ठहराना गलत है। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तराखंड राज्य की पांचों लोकसभा सीट हार गई। हरीश रावत खेमे के लोगों का आरोप था कि हल्द्वानी में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने हरदा को चुनाव हराने की पूरी योजना बनाई थी जबकि इन्दिरा खेमा इस बात को सिरे से खारिज करता रहा जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और हरीश रावत खेमे के बीच जुबानी जंग मीडिया के सामने शुरू हो गई। लोकसभा चुनाव में हुई हरीश रावत की करारी हार ने इस गुटबाजी को और बढ़ावा दे दिया। इधर दूसरी ओर हरीश धामी और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के बीच जारी जुबानी जंग के बीच उत्तराखंड क्रांति दल के एक बड़े नेता का यह कहना कि हरीश धामी उनके संपर्क में है और धामी अगर क्षेत्रीय दल में शामिल होते हैं तो उनका स्वागत है। उत्तराखंड क्रांति दल के इस नेता ने बताया कि बीते रोज भी उनकी विधायक हरीश धामी से बात हुई थी। धामी अगर अपने समर्थकों के साथ उत्तराखंड क्रांति दल में शामिल होते हैं तो इससे क्षेत्रीय दल को और मजबूती मिलेगी। इस मामले को लेकर कई बार विधायक हरीश धामी के मोबाइल पर बात करने की कोशिश की गई पर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
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