उत्तरांचल दर्पण ब्यूरो
रुद्रपुर। सूबे में सत्ता परिवर्तन तो होते रहे पर व्यवस्थाएं आज तक नहीं बदली। प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में सड़कों का जर्जर हाल यही बयां कर रहा है। वैसे तो किच्छा क्षेत्र की तमाम सड़कें अपनी बदहाली स्वयं ही बयां कर रही हैं,किंतु शहर के मुख्य बाजार से होकर जाने वाली एक सड़क पिछले 20 वर्षों से टूटी हुई है। इसे बनाना तो दूर इस सड़क की आज तक मरम्मत भी नहीं की गई। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि नेता लोग चुनाव के समय आकर इस सड़क को तैयार करने का वायदा कर जाते हैं पर चुनाव जीतने के बाद इसकी सुध नहीं लेते। बता दें कि मुख्य बाजार से होकर पुराना बरेली मार्ग गुजरता है। यह मार्ग सिरौली और पुलभट्टे के गांव को सीधा बाजार से जोड़ता है। इस मार्ग को शहर का सबसे पुराना मार्ग बताया जाता है। पहले इस मार्ग को बरेली मार्ग का रूप दिया गया था। किच्छा से होकर गुजरने वाले लोग इसी मार्ग से बरेली जाते थे बाद मे शहर के बाहर बाईपास बना तो मार्ग को बदल दिया गया। वर्तमान मेे लोग किच्छा के दरऊ चैराहे से होकर सड़क मार्ग से बरेली जाते है। मार्ग बदलने के बाद नेताओं ने मानो पुराने बरेली मार्ग की सुध लेनी ही बंद कर दी। यह और बात है कि वर्तमान में इस मार्ग से होकर कोई बरेली नहीं जाता है किंतु इस मार्ग पर आवाजाही आज भी जारी है। यह सड़क सिरौली कला एवं पुलभट्टðा गांव को सीधे किच्छा शहर से जोड़ती है। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य अलग बन गया जिस कारण यह सड़क दोनों प्रदेशों की सीमा बन गई है। हैरानी की बात है कि आज तक इस सड़क को तैयार करना तो दूर इसकी मरम्मत भी नहीं की गई। हाथीखाना पुलभट्टा की क्षेत्रीय सभासद शशि बाला का आरोप है कि पिछले 20 वर्षों से इस सड़क को लेकर सिर्फ राजनीति की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जनप्रतिनिधि चुनाव के समय सड़क को तैयार करने का वायदा तो कर जाते हैं,किंतु चुनाव जीतने के बाद इस मामले पर चुप्पी साध लेते हैं। गौर हो कि प्रदेश सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र रावत प्रदेश की सड़कों को लेकर चिंता की बात करते है। सरकार की ओर से दावा किया जाता रहा है कि सूबे की बदहाल सड़कों को तत्काल दुरूस्त कर दिया जायेगा। मैदानी क्षेत्र हो या फिर पर्वतीय सड़क मार्ग चारो ओर बदहाल सड़को का बोलबाला है। बीते रोज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सितारगंज विधानसभा क्षेत्र के गऊघाट से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गऊघाट पहुंचे कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़, पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल, प्रेमानंद महाजन आदि ने सरकार के खिलाफ किलेबंदी करने की घोषणा कर दी। कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि डबल इंजन की सरकार होने का हवाला दे रहे भाजपाई विधायक अपने क्षेत्रों की बदहाल सड़कों की मरम्मत तक नहीं करवा पा रहे है। किच्छा विधायक राजेश शुक्ला दूसरी बार विधायक बने है। विधायकी के पहले कार्यकाल के दौरान भी सड़के बदहाल थी और दूसरी बार के अब तक के कार्यकाल में भी सड़कों का बुरा हाल है। बल्कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है होने के बावजूद भी किच्छा विधान सभा क्षेत्र भी विकास से कोसो दूर नजर आ रहा है। किच्छा के पुराना बरेली मार्ग की बदहाली विधायक श्री शुक्ला को आईना दिखाने का काम कर रही है। तमाम विकास के दावों के बीच पुराना बरेली मार्ग क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि के कागजी घोड़े दौड़ाने की हकीकत को बयां करता हुआ नजर आ रहा है।
उत्तराखंड राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। यह सड़क राज्य गठन से पूर्व ही टूट गई थी। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि जनप्रतिनिधि चुनाव के समय सड़क को तैयार करने का वायदा कर जाते है। पर चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेता। मैने लिखित रूप से इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों को कर दी है। अगर शीघ्र ही सड़क को दुरूस्त नहीं किया गया तो आंदोलन होगा।
– राजेश कुमार रज्जी,सभासद प्रतिनिधि, वार्ड 17