मोदी सरकार की मंशा को पलीता लगा रहे जन औषधि केन्द्र

सस्ती दवाओं की जगह बेची जा रही है बड़ी कम्पनियों की महंगी दवायें,किच्छा स्थित केन्द्र में चल रहा है मुनाफे का बड़ा खेल

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किच्छा। आम जनता को सस्ती जीवन रक्षक दवाईयां उपलब्ध कराने की केन्द्र सरकार की मंशा पर कुछ जन औषधि केन्द्र पलीला लगा रहे हैं।    जिले में खुले कुछ जन औषधि केन्द्रों पर सस्ती दवाईयों की जगह नामी गिरामी कम्पनियों की महंगी दवाईयां खुलेआम बेची जा रही हैं। गौरतलब है कि आम जनता को सस्ती दवाईयां उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार ने देश भर में जन औषधि केन्द्र खोले हैं। इसके पीछे सरकार की मंशा थी कि गरीब तबके के लोगों को भी जीवन रक्षक दवायें कम दामों पर उपलब्ध हों। लेकिन मोटी कमाई के चक्कर में सरकार की इस मंशा पर कई जन औषधि केन्द्र पानी फेरने में लगे हुए हैं। किच्छा स्थित जन औषधि केन्द्र में भी यह खेल पिछले कई महीनों से चल रहा है। किच्छा सरकारी अस्पताल में खुले जन औषधि केन्द्र में जन औषधि वाली सस्ती दवाईयों की जगह दूसरी कम्पनियों की जैनरिक दवाईयां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। इन जैनरिक दवाईयों पर एमआरपी जन औषधि वाली दवाईयों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। इन जैनरिक दवाईयों को आधे रेट में बेचने पर भी जन औषधि की दवाईयों के रेटों से ये दवाईयां कई गुना महंगी पड़ती है। उदाहरण के लिए जन औषधि में कारबोक्सीमिथाइल सेलूलोज नामक आई ड्राप मात्र 13 रूपये में मिलता है। जबकि इसी फार्मूले के जैनरिक कम्पनी के आई ड्राप पर एमआरपी 120 रू0 है। जिसे जन औषधि केन्द्र द्वारा आधे मूल्य पर बेचा जा रहा हैं। इसी तरह कई अन्य फार्मूलों में भी जन औषधि की दवाईयों की जगह जैनरिक दवाईयां बेची जा रही हैं। नियमानुसार जन औषधि केन्द्र में केवल जन औषधि वाली दवाईयों को ही बेचा जा सकता है, इनमें अन्य कंपनियों की दवाईयां नहीं बेची जा सकती। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की शह पर जन औषधि केन्द्र में जेनरिक दवाईयां खुलेआम बिक रही है। जिसका फायदा केन्द्र संचालक जमकर उठा रहे हैं। जब मरीजों द्वारा इस जन औषधि केन्द्र से दवाईयों का बिल मांगा जाता है तो उन्हें प्रिंटर खराब होने का बहाना बनाकर टरका दिया जाता है। सूत्रों से पता चला है कि किच्छा सरकारी अस्पताल के एक चिकित्सक द्वारा एमआर से सैटिंग करके एक नामी गिरामी कम्पनी की जैनरिक दवाईयां इसी जन औषधि केन्द्र में खपाई जा रही हैं। सवाल यह है कि जब जैनरिक दवाईयां बाजार के मेडिकल स्टोरों पर भी एमआरपी से आधे रेट पर मिल जाती हैं तो फिर जन औषधि केन्द्र खोलने का औचित्य क्या हैं। जन औषधि केन्द्र के नाम पर बड़ी कम्पनियों की दवायें बेचकर ये जन औषधि केन्द्र सरकार की मंशा पर खुलेआम पलीता लगा रहे हैं लेकिन प्रशासन इस पर आंख मूंदकर बैठा है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। चूंकि जिले में खुले जन औषधि केन्द्रों में स्वास्थ्य विभाग ने आज तक जांच करने की जहमत नहीं उठाई है। कुल मिलाकर इसे बड़ी विडम्बना ही कहेंगे कि जन औषधि केन्द्र में जन औषधि की दवाईयों की आड़ में बड़ी कम्पनियों को सीधा फायदा पहुंचा जा रहा है और प्रशासन इस पर खामोशी की चादर ओढ़े हुए है।

जांच में पकड़ी गयी थी अनियमिततायें लेकिन अभी तक नहीं हुई कोई कार्रवाई

किच्छा। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्थित जन औषधि केन्द्र में अनियमितताओं की शिकायत जांच में सही पाये जाने के बावजूद अभी तक केन्द्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है। बता दें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में स्थित जन औषधि केन्द्र में अनियमितताओं की शिकायत शहर के कुछ लोगों ने जिलाधिकारी से की थी। शिकायत में कहा गया था, मरीजों को दवाईयों का बिल नहीं दिया जा रहा और औषधि केन्द्र को नियमानुसार चैबीस घंटे नहीं खोला जाता। जिस पर जिलाधिकारी ने मामले की जांच के निर्देश सीएमओ को दिये थे। सीएमओ ने अपर मुख्य चिकितसा अधिाकारी डा0 अविनाश खन्ना को जांच सौंपी। डा0 खन्ना ने करीब दस दिन पूर्व जन औषधि केन्द्र में छापा मारकर जांच की तो शिकायतें सही पायी गयी। निरीक्षण के दौरान पता चला कि मरीजों को बिना बिल के दवायें बेची जा रही हैं। अवकाश के दिन केन्द्र नहीं खोला जा रहा। जबकि अनुबंध के मुताबिक 24 घंटे केन्द्र खुला रहना चाहिए और बिना बिल के दवाईयां नहीं बेची जा सकती। सूत्र बताते हैं कि केन्द्र में अन्य अनियमिततायें भी सामने आयी थी जिसकी जांच रिपोर्ट डा0 खन्ना ने सीएमओ को सौंप दी थी। जिसके बाद केन्द्र के निलंबन की संस्तुति भी की गयी थी लेकिन अभी तक केन्द्र के खिलाफ कोई कार्रवाई न होना प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि केन्द्र के खिलाफ अभी और जांच जारी है। देखना यह है कि जिलाधिकारी इस मामले में कुछ कार्रवाई करते हैं या फिर जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होगी।

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