हार से कांग्रेस में हाहाकार,किया मंथन

वर्किंग कमेटी की बैठक में हुई हार की समीक्षा,फिलहाल राहुल रहेंगे अध्यक्ष

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नई दिल्ली। मोदी की सुनामी में कांग्रेस की जो गत हुई, उससे हर कोई हैरान है। हार पर मंथन करने के लिए आज कांग्रेस के दिग्गज इकट्टा हुए हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित तमाम दिग्गज नेताओं ने हार पर मंथन किया। सूत्र बताते हैं कि बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहुल को समझाया कि इस्तीफे की जरूरत नहीं है। हार जीत लगी रहती है। राहुल की पेशकश के बाद सभी सदस्यों ने कहा कि आप इस्तीफा न दें। सूत्रों की मानें तो बैठक के दौरान पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी हार की जिम्मेदारी स्वीकारते हुए इस्तीफे की पेशकश की जिसे सदस्यों ने ठुकरा दिया। सत्ता के गलियारों में चर्चा यह भी है कि अगर राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़े रहते हैं तो कांग्रेस की कमान कौन संभालेगा। कुछ नेताओं का मानना है कि कांग्रेस का वजूद गांधी परिवार से ही है। अगर बागडोर किसी अन्य को दी जाती है तो हो सकता है कि पार्टी बिखर जाए। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही इस्तीफा देना चाहते थे। उन्होंने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के सामने इसकी पेशकश भी की थी। लेकिन सोनिया ने उनसे कहा कि वह जो भी कहना चाहते हैं कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में कहें। इस पर राहुल मान गए। अब सबकी नजरें सीडब्ल्यूसी की बैठक पर टिकी हैं, जिसके बाद ही तस्वीर साफ होगी। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में इस बार मोदी की सुनामी में कांग्रेस की दुर्गति हुई है, 18 राज्यों में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई। पार्टी लक्षद्वीप, दमन एवं दीव, चंडीगढ़, राजस्थान, दादर एवं नगर हवेली, सिक्किम, मिजोरम, दिल्ली, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, मणिपुर और नगालैंड में एक सीट भी नहीं जीत पाई। कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों ने राज्यों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा पहले ही राहुल गांधी को भेज दिया है। जिससे कांग्रेस के दिग्गजों की एक तरह से नींद उड़ गयी है। कांग्रेस का जो हश्र चुनाव में हुआ है उससे कांग्रेस को लोकसभा में विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिलेगा। इसके लिए भी 54 का आंकड़ा चाहिए। राहुल गांधी भले ही वायनाड से बंपर वोटों से जीत गए हों। लेकिन कांग्रेस के गढ़ अमेठी पर अब भगवा लहरा रहा है। स्मृति ईरानी ने राहुल को 55 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी। कांग्रेस की जो हार इस चुनाव में हुई है इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। इसी को लेकर आज कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में व्यापक मंथन किया गया। हालांकि बैठक को लेकर कोई एजेंडा तय नहीं किया गया था। कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी इस बैठक में इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं लेकिन इससे पहले ही उन्हें वरिष्ठ नेताओं इस्तीफा न देने के लिए समझा दिया। तय किया गया कि पार्टी उनके नेतृत्व में ही काम करेगी। कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की करारी हार के कारणों की भी समीक्षा की गयी। समाचार लिखने तक बैठक जारी थी। बैठक में कांग्रेस नेता एके एंटनी, कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत,अशोक गहलोत, आरपीएन सिंह, पीएल पुनिया और मोतीलाल वोरा।, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया,भी मुख्यालय पहुंच हैं।
राज बब्बर ने भी दिया इस्तीफा
नई दिल्ली। राहुल गांधी के इस्तीफे की बात सामने आने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने भी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है। यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर जैसे नेताओं ने अचानक सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश में मिली बड़ी हार की बात को स्वीकारते हुए खुद को इसके लिए जिम्मेदार बताया। बब्बर ने ट्वीट किया, जनता का विश्वास हासिल करने के लिए विजेताओं को बधाई। यूपी कांग्रेस के लिए परिणाम निराशाजनक हैं। अपनी जिम्मेदारी को सफल तरीके से नहीं निभा पाने के लिए खुद को दोषी पाता हूं। नेतृत्व से मिलकर अपनी बात रखूंगा। ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा। उन्होंने कहा, मैंने राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा है। राज्य में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, वहीं दिग्गज नेताओं ने अपनी सीट भी गंवा दी।

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