लाॅक डाउन पार्ट 3 पर टिकी सबकी निगाहें
मनोज श्रीवास्तव
काशीपुर। कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच समूचे देश की निगाहें अब लाॅक डाउन पार्ट 3 पर टिक चुकी है। हर किसी के जेहन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या 3 मई के बाद एक बार फिर से लाॅकडाउन बढ़ाया जाएगा या फिर किसी और विकल्प के सहारे कोरोना से जारी जंग को फतेह करने की तैयारी है। ज्ञातव्य है कि कोविड-19 के खतरनाक संक्रमण ने दुनिया के तमाम देशों में जब मौत के रूप में कहर बरपाना शुरू किया तो केंद्र सरकार ने 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लिए समूचे देश में तालाबंदी का ऐलान कर दिया। सरकार के इस कदम से संक्रमण की रफ्तार स्लो पड़ गई लेकिन घरों में कैद जनजीवन बिलबिला उठा। महामारी के संकट से उबरने के लिए 14 अप्रैल से 3 मई के बीच लाॅकडाउन-2 का फरमान जारी किया गया। लेकिन अब जबकि देश के हालात बेहद भयावह होते जा रहे हैं। कोरोना की चपेट में आकर करीब 1000 जिंदगियां मौत के मुंह में चली गई हैं। संक्रमितों की तादाद 32 हजार का आंकड़ा पार कर रही है ऐसे में देशवासियों की निगाहें अब लाॅकडाउन पार्ट 3 पर आकर टिक चुकी है। हर किसी के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि कोरोना का यह खतरा आखिर कब तक बरकरार रहेगा? फिलहाल देश के जिन 9 राज्यों में कोरोना के कारण हालात नाजुक हो रहे हैं यहां तमाम एहतियात के बीच लाॅक डाउन बढ़ाने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन जो राज्य अब तक संक्रमण से अछूते हैं अथवा जहां संक्रमण का खतरा रंच मात्र है उन्हें भी तालाबंदी का सामना करना होगा। छुआछूत की इस भयंकर बीमारी से बचने का एकमात्र विकल्प सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लाॅक डाउन का पूर्णतया पालन करना है यदि इसमें चूक होती है तो हालात कल्पना से परे होंगें। जानकार बताते हैं कि खतरे का यह खेल अभी लंबा चलेगा। गौरतलब है कि विश्व के लगभग 200 देशों में कोरोना के संक्रमण ने महज एक माह के भीतर कहर बरपाते हुए दो लाख से भी अधिक जिंदगियों को मौत की नींद सुला दिया। भारत में अन्य देशों की अपेक्षा हालात अब भी बेहतर है लेकिन कब तक बेहतर रहेंगे यह सवाल यक्ष प्रश्न बना है।
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