भारतीय मध्यम वर्ग को केन्द्र सरकार द्वारा विशेष आर्थिक पैकेज की सख्त जरूरत

मध्यमवर्ग को होम लोन की किस्तों, वर्किंग कैपिटल, दुकान किराये व वेतन देने हेतु चाहिये आर्थिक मदद

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क्या केन्द्र सरकार को मध्यमवर्गीय परिवारों का भी ध्यान रखना चाहिये? यह सवाल अब बहुत तेजी से उठनें लगा है। केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना के अर्थव्यवस्था पर पड़नें वाले प्रभावों का अध्यनन करनें हेतु हाई लेवल मंत्री समूह का गठन, प्रमुख विपक्षी नेता सोनिया गांधी से वार्ता की गयी। केन्द्र सरकार नें कारखाना मालिक से लेकर गरीब मजदूरों तक के लिये कार्ययोजना बनानें, प्रोडक्शन प्रारम्भ करानें से लेकर गरीब मजदूरों को खाना, कोटे का राशन, निःशुल्क पहुंचानें के लिये 1.70 लाख करोड़ रूपये के पैकेज के साथ कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। यह बेहतर है, लेकिन अब समय आ गया है कि केन्द्र सरकार मध्यम वर्ग की चिंताओं पर भी ध्यान दें।
हमारे देश का मध्यमवर्ग को क्या वाकई मदद की जरूरत है? आईये बात करतें है। दरअसल देश में नब्बे के दशक में प्रारम्भ हुये आर्थिक सुधारों के बाद लगातार सही दिशा में चल रहे मध्यम वर्ग के व्यापार पर नोटबंदी नें आर्थिक चक्र पर गहरा प्रभाव डाला। भारत जैसा देश जहां पर 80 प्रतिशत व्यापार अनौपचारिक क्षेत्र के माध्यम से हो रहा था, उसके आर्थिक चक्र के धीमे पड़नें से छोटे व मध्यम कारोबार बंद हुये। बेरोजगारी बढ़ी और उपभोग कम होनें से हर क्षेत्र में मंदी की आहट दिखी । होम लोन, कार लोन मंहगी शिक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थय सुविधाओं, दुकानों के किराये व व्यवसायिक बैंक ऋणों से मध्यम वर्ग के सामने पूंजी का संकट खड़ा हो गया।
कोरोना संकट से चीजे कैसे बिगड़ गयी, यह देखते हैं। दरअसल राशन व अति आवश्यक दुकानो को छोड़कर सभी दुकानें यथा कपड़ा, ट्रांसपोर्ट, ट्रेवल, षेयर मार्केट, टूरिज्म, कंस्ट्रक्शन, परंपरागत रिटेल, गिफट, प्रिंटिंग, मीडिया, फर्नीचर, होम फर्निशिंग, वेंचर कैपिटल, सीमेंट, कंक्रीट, जूता-चप्पल, बिजली आदि की दुकानें पूरी तरह से बंद हैं। दुकान बंद तो कारोबार बंद। यानि की आमदनी बंद, लेकिन होम लोन, कार लोन, बिजनेस लोन,दुकान किराये, स्टाफ की सैलरी से लेकर परिवारिक खर्चे बंद नहीं हुए। मध्यमवर्ग नें अपनी वर्किंग कैपिटल यानि की चलता पूंजी यानि कि उपलब्ध नगदी को खर्च करना प्रारम्भ कर दिया। यही सबसे बड़ी मुसीबत बनने वाली है। लाॅकडाउन मध्यमवर्ग की कमर तोड़ रहा है।
केन्द्र सरकार से मध्यम वर्ग की उम्मीद- 26 करोड़ की आबादी वाले मध्यम वर्ग को अब केन्द्र सरकार से सीधे तौर पर आर्थिक पैकेज की उम्मीद ही नहीं बल्कि सख्त जरूरत भी है। सरकार द्वारा किसानों को कृषि ऋण माफी की भांति सीधे तौर पर होम लोन की कम से कम 6 किस्तों की माफी, प्रत्येक दुकानदार के बिजनेस लोन पर ब्याज की छूट व भुगतान अवधि की छूट की आवश्यक्ता है। इसी के साथ ही वर्किंग कैपिटल अथवा नगदी के संकट से बचाने के लिये हर दुकानदार को ब्याज मुक्त ऋण देना होगा, तभी दुकान किराये,कर्मचारियों के वेतन आदि की भरपाई संभव है। यदि सरकार नें मनरेगा, कृषि ऋण माफी की तर्ज पर इस बार मध्यमवर्ग के लिये मध्यम वर्ग को विशेष आर्थिक पैकेज नहीं दिया, तो पहले से संकट में चल रहे मध्यमवर्ग की कमर टूट गयी, इससे पूरे आर्थिक चक्र में भीषण मंदी आना तय है। केन्द्र सरकार को हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था में 26 करोड़ मध्यम वर्ग के योगदान को ध्यान मंे रखना होगा।

-सुुशील गाबा, सामाजिक कार्यकर्ता

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