समाज की भाग्य विधाता और जीवनदाती है नारीः साध्वी गरिमा

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रुद्रपुर(उद संवाददाता)।दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वाधान में आज सिटी क्लब में नारी सशत्तिफकरण हेतु संगीतमई कार्यक्रम नारी तू नारायणी आयोजित किया गया। जिसका शुभारम्भ विधायक राजकुमार ठुकराल और जिलाधिकारी नीरज खैरवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। जिसके अंतर्गत समाज में नारी की मौजूदा स्थिति और सनातन काल में नारी का सम्मान विषय पर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान से साध्वी गरिमा भारती ने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि जिस नारी का स्वरुप हमारे इतिहास में गौरवशाली रहा, जिसे समाज की भाग्य विधाती व मानव की जीवन दाती कहा गया, आज उसके साथ रत्तफबीज की मांनिद अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। गुरुदेव आशुतोष महाराज ने कहा कि इसका कारण समाज की पुरुष प्रधान मानसिकता है, जो नारी को समान अधिकार प्राप्त नहीं होने देती। पुत्री से अधिक पुत्र को पाने की चाह में समाज पुत्रियों का गर्भ में हत्या कर रहा है। आर्थिक,सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है। समाज के बढ़ते असुंतलन के कारण नारी के प्रति शोषण की घटनाएं बढ़ती चली जा रही है। पुरुष नारी को एक भोग्य वस्तु मानता है। लड़कें लड़कियों से श्रेष्ठ होते हैं, ऐसा मानना समाज में नारी को समान दर्जा प्रदान नहीं करता। साध्वी ने कहा कि मनु स्मृति के अनुसार नारी व नर दोनों उस ईश्वर की रचना है। एक समान अंशी हैं। संस्थान के संचालक और संस्थापक आशुतोष महाराज ने कहा कि समाज में नारी के उत्थान के लिए आवश्यक है पहला समाज में नारी के प्रति पुरुष की मानसिकता को बदलने की और दूसरा नारी की अस्मिता की पुनस्र्थापना हो उसके लिए नारी स्वयं अपने वास्तविक अस्तित्व शत्तिफ रूप का बोध करें। संस्थान की ओर से संतुलन नामक प्रकल्प चलाया जा रहा है जिसका उद्देश्य लिंग समानता लाना व समाज की मानसिकता को ब्रह्म ज्ञान देकर आत्मिक रुप से जागरूक करना हैं। भविष्य वत्तफाओं ने कहा कि इक्सवी सदी में नारी ही क्रांति लेकर आएगी। आशुतोष महाराज उसी कथन को सत्य करने की दिशा में प्रयास रत हैं। नारी वर्ग को ज्ञान देकर आत्मिक शत्तिफ को जगा रहे हैं। जिस बल से बढ़कर कोई बल नहीं है। शास्त्रों में कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता। अर्थात जो समाज नारी की पूजा और सम्मान करता है उस समाज में देवताओं का वास होता है। उस स्त्री की महानता से समाज को परिचित करवाने के उद्देश्य यह नारी तू नारायणी भजन प्रभात समागम को किया गया। साध्वी समाज के द्वारा नारी की महानता और प्रतिष्ठा को समाज जान पाए, कुछ ऐसे ही भजनों का गायन किया गया। डीएम खैरवाल ने कहा कि समाज में कुछ लोग लड़के लड़कियों में फर्क समझते हैं। उन्होंने कहा कि परिवार में यदि एक महिला पढ़ीलिखी होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। महिलाओं की भूमिका संसार में पुरूषों से अधिक है। इस दौरान कृष्णलाल ठुकराल, एड. दिवाकर पांडे,शैलेंद्र रावत, संजय ठुकराल,अजय नारायणआदि मौजूद थे।

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