पंचायतों ने तोड़ दिये भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड
दोषी पाये जाने के बाद भी लगा दिये गांवों में खुले में शौच मुक्त के बोर्ड
नरेश जोशी
रुद्रपुर। जिले की ग्राम पंचायतों ने भ्रष्टाचार के मामले में अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिछले पांच सालों में अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों ने मिलकर सरकारी धन की जो बंदरबांट की उससे पूरा सरकारी सिस्टम सवालों के घेरे में आ गया है। उधम सिंह नगर जनपद के स्वजल विभाग ने जनपद के सारे गावों को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया था। जिसके बाद पूरे जिले में बवाल खड़ा हो गया। हालात बिगड़ते देख शासन ने इस मामले पर जांच बिठा दी और दोषी पाए जाने पर स्वजल विभाग के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक का स्थानांतरण करा दिया गया। साथ ही कुछ एक ग्राम पंचायतों के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भी जांच की जद में आए थे किंतु हैरानी की बात यह है कि कुछ माह पहले अधिकारियों ने गांव में जाकर सरकारी बोर्ड लगा दिए जिसमें गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित दिखाया गया है। अब जब पंचायत चुनाव चल रहे हैं तो ग्रामीण इस बात पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। वोट मांगने जा रहे तत्कालीन पंचायत प्रतिनिधियों को जनता के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार ही सत्ता में आने के बाद देश को खुले में शौच से मुक्त करने का बीड़ा उठाया। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनाने को दी जा रही धनराशि को कई गुना बढ़ाते हुए 12हजार कर दिया। बड़ी रकम को देख सरकारी सिस्टम में बैठे कुछ अधिकारियों ने गांव के कुछ जनप्रतिनिधियों को साथ में लेकर भ्रष्टाचार का नया खेल खेला। शौचालयों का कोई सर्वे नहीं कराया गया। यही बड़ा कारण है कि पहले से बने शौचालयों को दिखाकर उनका भुगतान करा लिया गया और सरकारी रिकॉर्ड में पूरे गांव को शौच मुक्त घोषित कर दिया गया। जब यह बात लोगों तक पहुंची तो बवाल खड़ा हुआ। देखा गया कि गांव के लोग खुले में शौच कर रहे हैं। उसके बाद जांच बैठा दी गई और एक बार फिर जनपद उधम सिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शौचालयों के निर्माण को लेकर फिर से धनराशि जारी कर दी गई। हद तो तब हो गई जब कुछ माह पूर्व विभागीय अधिकारियों ने गांव में जाकर बोर्ड लगा दिए जिसमें लिखा था कि यह गांव 2016 में खुले में शौच मुक्त घोषित करा दिया गया है जबकि आज भी न जाने कितने गांव में लोग खुले में शौच कर रहे हैं। अब सवाल खड़ा होता है कि भ्रष्टाचार मुक्त का नारा देने वाली केंद्र की मोदी सरकार को भी जिले के सरकारी सिस्टम ने अंधेरे में कैसे रख दिया। बता दें कि मौजूदा त्रिवेंद्र रावत सरकार ने एनएच घोटाले में बड़ा कदम उठाते हुए कई पीसीएस अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया था किंतु केंद्र सरकार की इस योजना के तहत हुए इतने बड़े भ्रष्टाचार पर अब तक कोई बड़ी कार्यवाही न होने के कारण सरकारी सिस्टम मैं काम कर रहे लोगों ने सरकार में बैठे नुमाइंदों को चेतावनी देते हुए गांव में खुले में शौच मुक्त नामक बोर्ड लगाने की हिम्मत कर दी और इस पूरे मामले में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका इसलिए सवालों के घेरे में आती है क्योंकि अब तक किसी भी पंचायत प्रतिनिधि ने इस मामले में कोई शिकायत नहीं की। जिले के किसी भी ग्राम प्रधान या अन्य किसी पंचायत प्रतिनिधि ने अब तक खुले में शौच मुक्त घोषित बोर्ड लगाने को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई है।