पंजाबी महासभा से आज भी अछूते हैं सैकड़ों पंजाबी परिवार

गुटबाजी के कारण हो रही जमकर किरकिरी, संगठन में फाड़, समाज के उत्थान की बजाय सेंकी जा रही राजनीतिक रोटियां

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मनोज श्रीवास्तव
काशीपुर। पंजाबी महासभा के गठन को लेकर लोगों में तमाम तरह की भ्रांतियां पनपने लगी हंै। महासभा के जिम्मेदार पदाधिकारी भी इस मामले में कारगर कदम उठाने से गुरेज करते देखे जा रहे हैं । वहीं दूसरी ओर आज जब इस मुद्दे पर केजीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष वह पंजाबी महासभा से जुड़े राजीव घई से बातचीत का प्रयास किया तो उन्होंने व्यस्तता दर्शाते हुए बड़ी ही सफाई से पल्ला झाड़ लिया। जानकारों की मानंे तो प्रदेश में पंजाबी महासभा दो फाड़ हो चुकी है। वैचारिक भिन्नता के चलते गुटबाजी का दंश झेल रही पंजाबी महासभा को एक प्लेटफार्म पर लाने का अब तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा सका। प्रदेश में रहने वाले पंजाबी समाज के एक बड़े तबके ने पूर्व विधायक तिलकराज बेहड़ को पंजाबी महासभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनके दिशा निर्देश पर संगठन के लिए कार्य करने लगा है तो वहीं कुछ पंजाबी समाज के लोग के जीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राजीव घई को पंजाबी महासभा का आज भी अध्यक्ष मानते हैं। पंजाबी समाज की एकजुटता के लिए दोनों गुटों में से किसी एक ने भी अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की। पंजाबी समाज की गुटबाजी का प्रदेश में खासा असर देखा जा रहा है। मजे की बात तो यह है कि अधिकांश पंजाबी समाज के लोग ही नहीं समझ पा रहे हैं कि असली संगठन कौन है और किसके साथ मिलकर काम करना चाहिए। इन्हीं तमाम मुद्दों पर बातचीत करने के लिए आज जब सुबह मोबाइल फोन पर राजीव घई से संपर्क साधा तो उन्होंने सधे अंदाज में व्यस्तता जताते हुए मामले से खुद का पल्ला झाड़ लिया। इसी तरह पंजाबी समाज से जुड़े हजारों परिवार महासभा के गठन व उसकी गतिविधियों को लेकर खासे नाराज हैं। सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले पंजाबी परिवारों का मानना है कि पंजाबी महासभा का गठन कर कतिपय लोग पंजाबी समाज की दिशा व दशा सुधारने की बजाए अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज भी हजारों पंजाबी परिवार ऐसे हैं जो पंजाबी महासभा से अछूते हैं जिनसे कभी किसी मुद्दे पर कोई रायशुमारी नहीं की जाती।

पंजाबी समाज के नेता व कांग्रेस के पीसीसी सदस्य सरदार महेंद्र सिंह ने कहा कि जब सर्वसम्मति से पंजाबी समाज का अध्यक्ष तिलक राज बेहड़ को चुन लिया गया था तो उनका कार्यकाल समाप्त होने तक राजीव घई को इंतजार करना चाहिए था और पंजाबी समाज के सभी सदस्यों की राय से अपने आप को प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहिए था। अगर पंजाबी समाज के हितैषी राजीव घई होते तो पंजाबी समाज के दो फाड़ ना करते। तिलकराज बेहड़ प्रदेश अध्यक्ष हैं तो उनके कार्यकाल को पूर्ण होने तक इंतजार करते। आज चंद सत्ता पार्टी के नेताओं के हाथों की कठपुतली बनकर राजीव गई पंजाबी समाज की आड़ में अपनी राजनीति चमकाने का कार्य कर रहे हैं और कहीं ना कहीं पंजाबी समाज को दो भागों में बांट कर पंजाबी समाज को कमजोर कर रहे हैं।
महेंद्र सिंह, पीसीसी सदस्य कांग्रेस

पंजाबी समाज के मान व सम्मान को हाशिए पर रखकर अपनी सस्ती लोकप्रियता के लिए कुछ लोग अपने आपको पंजाबी समाज के सरपरस्त बनाकर पंजाबी समाज के साथ धोखा कर रहे हैं। किसी भी समाज का नेतृत्व करने के लिए उस समाज के सभी लोगों की भागीदारी आवश्यक होती है लेकिन जिस प्रकार से उत्तराखंड में पंजाबी समुदाय को दो भागों में बांटा जा रहा है वह बेहद शर्मनाक सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का चंद लोगों का अपना निजी स्वार्थ है।
रवि छाबड़ा

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