हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक,रातों-रात 50 हजार लोगों को नहीं उजाड़ा जा सकता

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सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कौल ने कहा कि इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए
नई दिल्ली/हल्द्वानी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में करीब 50 हजार लोगों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कौल ने कहा कि इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि मामले में समाधान की जरूरत है। मामले में अगली सुनवाई अब 7 फरवरी को होगी। बता दें उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि रातों-रात 50 हजार लोगों को नहीं उजाड़ा जा सकता है। रेलवे को विकास के साथ साथ इन लोगों के पुनर्वास और अधिकारों के लिए योजना तैयार की जानी चाहिए।जस्टिस कौल ने कहा, सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि जहां लोगों ने 1947 के बाद नीलामी में जमीन खरीदी है, वहां आप उस परिदृश्य से कैसे निपटेंगे। उन्होंने कहा कि आप निश्चित रूप से लाइन का विस्तार कर सकते हैं। लेकिन वहां जो लोग 40, 50 और 60 सालों से रह रहे हैं, उनके लिए पहले पुनर्वास योजना लानी चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि यह एक मूलभूत मानवीय मुद्दा है। आपका विचार भूमि पर विकास करना है। किसी को निष्पक्ष रूप से इसमें शामिल होना होगा और प्रक्रिया को छोटा करना होगा। कुछ पुनर्वास के हकदार हो सकते हैं। कुछ नहीं हो सकते हैं। इन सबकी जांच करने की जरूरत है। साथ ही आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आगे कोई अतिक्रमण या आगे का निर्माण न हो। बता दें उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को रेलवे को निर्देश दिया कि एक हफ्ते का नोटिस देकर भूमि से अवैध अतिक्रमणकारियों को तत्काल हटाया जाए। इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ कांग्रेस विधायक सुमित ”दयेश की अगुवाई में वहां के रहने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद प्रशांत भूषण ने भी एक याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा है। क्षेत्र के कुल 4,365 अतिक्रमण हटाए जाने हैं। रेलवे की ओर से 2.2 किलोमीटर लंबी पट्टðी पर बने मकानों और अन्य ढांचों को गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। जिस जगह से अतिक्रमण हटाया जाना है, वहां करीब 20 मस्जिदें, 9 मंदिर और स्कूल हैं।अनधिकृत कॉलोनियों को हटाने के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. रेलवे की इस जमीन पर अवैध कब्जा हटाने के विरोध में 4 हजार से ज्यादा परिवार हैं। इनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। कई परिवार जो दशकों से इन घरों में रह रहे हैं, वे इस आदेश का कड़ा विरोध कर रहे हैं। इसके साथ ही दुआओं का दौर भी जारी है। उधर राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। धामी ने कहा कि वो रेलवे की भूमि है। रेल विभाग का हाईकोर्ट और उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा था। हमने पहले ही कहा है कि जो भी अदालत का आदेश होगा हम उसके अनुरूप आगे कार्रवाई करेंगे।

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