उत्तराखंड विधानसभा में 228 तदर्थ नियुक्तियां निरस्त,अनियमितताओं के आरोप में विधानसभा सचिव निलंबित
देहरादून।विधानसभा भर्ती प्रकरण की जांच रिपोर्ट आने के बाद उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी ने बड़ा फैसला लेते हुए विधानसभा में 2016, 2020 और 2021 में हुई 228 तदर्थ नियुक्तियों के साथ ही उपनल से हुई 22 नियुक्तियों को भी निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही सचिवालय में विभिन्न पदों के लिए 2021 में हुई भर्ती परीक्षा में अनियमितताएं पाये जाने पर इस परीक्षा को भी निरस्त कर दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने अनियमितताओं के आरोप में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया है। बता दें विधानसभा में तदर्थ नियुक्तियों में धांधली की शिकायत पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष मामले की जांच के लिए कहा था जिस पर विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। जांच समिति में जांच समिति में अध्यक्ष डीके कोटिया , एसएस रावत एवं अवनेंद्र सिंह नयाल शामिल थे। जांच समिति ने 20 दिन में जांच पूरी कर बीती देर रात विधानसभा अध्यक्ष को 2014 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद आज विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी पत्रकारों से मुखातिब हुयी। उन्होंने मीडिया को बताया कि वर्ष 2016 , 2020 और 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां हुई थी उनमें भारी अनियमिततायें थी। नियुक्तियों में नियमों का पालन नहीं हुआ था। जिसके चलते समिति की सिफारिश पर 2016 तक की 150 , 2020 की 6 तथा 20 21 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त कर दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष के मुताबिक जांच समिति को जांच में पता चला कि विधानसभा में नियुक्तियों के लिए नियमानुसार चयन समिति का गठन नहीं किया गया। तदर्थ नियुक्तियां चयन समिति के माध्यम से नहीं की गयी। तदर्थ नियुक्तियों के लिए न ही कोई विज्ञापन दिया गया और न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी। और न ही रोजगार कार्यालय से नाम मंगाये गये। तदर्थ नियुक्तियों के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन नहीं मांगे गये केवल व्यक्तिगत आवेदन पत्रें पर नियुक्ति प्रदान कर दी गयी। इसके अलावा तदर्थ नियुक्ति के लिए कोई प्रतियोगिता या परीक्षा आयोजित नहीं की गयी। इन तदर्थ नियुक्तियों के लिए योग्य व्यक्तियों को समान अवसर नहीं देकर संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियमानुसार श्रेणी ग व घ के पदों पर तदर्थ एवं संविदा आदि की नियुक्तियों पर प्रतिबंध था। इसके बावजूद तदर्थ नियुक्तियां कर दी गयी। जिसके चलते जांच समिति की अनुशंसा पर निरस्तीकरण की कार्रवाई की गयी है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियुक्ति निरस्त करने का निर्णय शासन को है। चूंकि चूंकि इन नियुक्तियों को शासन का अनुमोदन प्राप्त है। इसलिए निरस्तीकरण के लिए शासन का अनुमोदन अनिवार्य है। इसलिए उनकी ओर से नियुक्तियों को निरस्त करने के लिए अनुमोदन हेतु शासन को भेजा गया है। अनुमोदन होते ही नियुक्तियां निरस्त हो जायेंगी। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने कहा उपनल द्वारा की गयी 22 नियुक्तियों को भी तत्काल निरस्त किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सचिवालय में 2021 में विभिन्न 32 पदों के लिए सीधी भर्ती के लिए आवदेन मांगे थे। जिसके लिए इस वर्ष 20 मार्च को लिखित परीक्षा आयोजित की गयी थी। इसका परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ है। इस परीक्षा के लिए लखनऊ की कंपनी मैसर्स आरएस टैक्नोसॉल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड का चयन किया गया था। इस एजेंसी के क्रियाकलाप विवादों में रहे है। इस पर पेपर लीक के गंभीर आरोप लगे हैं। जिसके चलते शासन को पांच भर्तियां निरस्त करनी पड़ी है और कई लोगों की गिरफ्रतारियां हुयी हैं। कंपनी की वित्तीय अनियमिततायें भी पायी गयी है। जांच के दौरान पता चला कि इस एजेंसी को बिल प्राप्त होने के दो दिन के अंदर 59 लाख का भुगतान कर दिया गया था जिसमें विधाानसभा सचिव की भूमिका भी संदेहास्पद है। इन 32 पदों की परीक्षा को निरस्त करने के साथ ही मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। साथ ही सचिव की संदिग्ध भूमिका की जांच की जायेगी। जांच पूरी होने तक विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। मामले में जांच समिति की सिफारिशों की जांच जारी आगे भी जारी रहेगी। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि 2011 से पहले हुई नियुक्तियों की जांच के लिए कानूनी सलाह ली जायेगी क्यों कि 2011 से पहले जो भी नियुक्तियां हुई थी उनमें कर्मचारियों का नियमितीकरण हो चुका है।