भव्य आयोजन की तैयारीः 11 साल बाद होगा हरिद्वार महाकुंभ,11 मार्च को पहला शाही स्नान
महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं को मिल सकती है आस्था की डुबकी लगाने की छूट !
देहरादून(दर्पण ब्यूरो)। देवभूमि उत्तराखंड के हरकी पैड़ी हरिद्वार में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले 2021 का पहला शाही स्नान गुरुवार 11 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन होगा साथ ही अंतिम शाही स्नान मंगलवार 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा के दिन होगा। हरिद्वार महाकुंभ इस बार 12 साल बाद नहीं 11 साल बाद यह विशेष संयोग में आयोजित होगा। जब सूर्य मेष राशि में हों और गुरु कुंभस्थ हों तो हरिद्वार में गंगा नदी में कुंभ के स्नान की परंपरा है। राशियों की परिक्रमा के दौरान बृहस्पति एक राशि में करीब एक साल तक रहते हैं। बारह राशियों की यात्रा पूरी करते-करते बृहस्पति को 4332.5 दिन लगते हैं जो बारह वर्ष से करीब 48 दिन कम होते हैं। चूँकि कुंभ का आयोजन प्रति 12 वर्ष पर होता है तो सातवें और आठवें कुंभ के मध्य करीब एक वर्ष का अंतराल उत्पन्न हो जाता है। आठवें कुंभ तक पहुँचते-पहुँचते 96 वर्ष लग जाते हैं और यही कारण है कि हर आठवाँ कुंभ बारह वर्ष के बजाय 11 वर्ष पर ही आयोजित होता है। अगला कुंभ भी 11 वर्ष बाद ही आयोजित होगा। बीसवीं शताब्दी का तीसरा कुंभ 1927 में आया। सामान्य रूप से इसके बाद अगला कुंभ अवसर 1939 में आना चाहिए था लेकिन बृहस्पति की चाल के कारण अगला कुंभ 11 वर्ष बाद ही 1938 में आ गया था। इस शताब्दी में भी दूसरा कुंभ 11 वर्ष के अंतराल पर 2021 में ही आ रहा है। इस बार हरिद्वार में कुंभ मेले में साढ़े छह करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री हरिगिरि, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने एक साथ बैठकर शाही स्नान की तिथियां घोषित किया था । तय हुआ कि महाकुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर होगा। दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, तीसरा 14 अप्रैल को बैसाखी मेष पूर्णिमा और चैथा और आखिरी शाही स्नान 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर होगा। वहीं, गंगा सभा की ओर से होने वाले मुख्य स्नानों की तिथियां भी इस दौरान घोषित की गईं। इसका सभी संतों और अधिकारियों ने तालियां बजाकर स्वागत किया। मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि मेले को सकुशल और सुरक्षित संपन्न कराने के लिए हरसंभव प्रयास रहेगा। कुंभ के संबंध में समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक बार महर्षि दुर्वासा के शाप की वजह से स्वर्ग श्रीहीन यानी स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वैभव खत्म हो गया था। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। विष्णुजी ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा, अमृत पान से सभी देवता अमर हो जाएंगे। देवताओं ने ये बात असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। इस मंथन में वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा गया था। समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे। इन रत्नों में कालकूट विष, कामधेनु, उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, महालक्ष्मी, वारुणी देवी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, पांचजन्य शंख, भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले थे। जब अमृत कलश निकला तो सभी देवता और असुर उसका पान करना चाहते थे। अमृत के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध होने लगा। इस दौरान कलश से अमृत की बूंदें चार स्थानों हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। ये युद्ध 12 वर्षों तक चला था, इसलिए इन चारों स्थानों पर हर 12-12 वर्ष में एक बार कुंभ मेला लगता है। इस मेले में सभी अखाड़ों के साधु-संत और सभी श्रद्धालु यहां की पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। अगले साल यानी 2021 में हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होनेवाला है। लेकिन उसके पहले कोरोना महामारी की दस्तक के वहां के दृश्य बदल जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। कोरोना के कारण बदली हुई परिस्थितियों को भांपते हुए सरकार हरिद्वार में अगले साल होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर सक्रिय हो गई है। कोरोना महामारी के संकट के कारण अबकी बार कुंभ मेला क्षेत्र का क्षेत्रफल इस साल भी 700 हेक्टेयर ही रहेगा। सरकार ने इस बार कुंभ क्षेत्र का क्षेत्रफल 1700 हेक्टेयर करने की योजना बनाई थी। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से बदली परिस्थितियों में अब कुंभ क्षेत्र का क्षेत्रफल पूर्व की भांति 700 हेक्टेयर ही रखने का फैसला किया गया है।े कुंभ मेले में स्वच्छता पर विशेष फोकस रखने के लिये सालिड वेस्ट मैंनेजमेंट के तहत कूड़ा निस्तारण करने, पार्किंग एवं स्नान घाटों का निर्माण भीड़ के हिसाब से बनाने, आश्रम, अखाड़ों और मंदिर के आस-पास और शहर के भीतर सड़कों की मरम्मत का आकलन तैयार करने के निर्देश दिए गये है। जनता की सुविधाओं के लिये पार्किंग व स्नानघाटों को भीड़ के हिसाब से तैयार करने के लिए दिशानिर्देश दिये है।
महाकुंभ का स्वरूप और गाईडलाईन पर टिकी निगाहें
हरिद्वार में होने जा रहे महाकुंभ मेले के लिए पुलिस मुख्यालय ने सुरक्षा व्यवस्था का खाका तैयार कर लिया है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते महाकुंभ का स्वरूप कैसा रहेगा, इस पर अभी संशय बना हुआ है, लेकिन करोड़ों हिंदुओं की आस्था का सम्मान रखने के लिये भव्य आयोजन का विस्तार होने की दिशा में पुलिस किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। राज्य सरकार और शासन के अधिकारियों की बैठक में कोरोना महामारी की रोकथाम पर विशेष फोकस किया जा रहा है जबकि स्पेशल कोविड अस्पताल में क्षमता के अनुसार व्यवस्थाओं को सुचारू किया जायेगा साथ ही मेला क्षेत्र में चिकित्कसों की टीमो की भी तैनाती की जायेगी। माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण पर रोकथाम के लिये बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं व पर्यटकों को जांच रिपोर्ट समेत उत्तराखंड में प्रवेश की अनुमति लेने के लिये पंजीकरण कराने की व्यवस्था की गई है।जबकि यात्रियों को सोशल डिस्टंेसिंग की गाईडलाईन का पालन करना होगा। प्रत्येक यात्री की स्क्रीनिंग की जायेगी जबकि राज्य में प्रवास की अवधि के लिये निर्धारित गाईडलाईन का पालन करना अनिवार्य किया जा सकता है। बहरहाल साधू संतों के शाही स्नान के लिये व्यवस्थाओं को दुरूस्त किया जा रहा है।
2010 की तर्ज पर शासन को भेजा सुरक्षा व्यवस्थाओं का मास्टर प्लान
पुलिस मुख्यालय ने सुरक्षा व्यवस्थाओं के लिये वर्ष 2010 की तर्ज पर मास्टर प्लान बनाकर सेंटर पैरा मिलिट्री फोर्स की 30 कंपनी और बाहरी राज्यों से पीएसी की 15 कंपनियों के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। कुंभ स्थल व आसपास अंदरूनी क्षेत्रों में सुरक्षा का पूरा जिम्मा कमांडो, राष्ट्रीय सुरक्षा बल एनएसजी, विशेष सुरक्षा समूह एसपीजी व नागरिक पुलिस के पास रहेगा। अगर महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आने पर किसी तरह की कोई बंदिश नहीं होगी तो मुख्यालय की ओर से और भी सुरक्षा कर्मियों की डिमांड की जा सकती है। कुंभ को लेकर पुलिस की ओर से ए, बी और सी तीन प्लान बनाए गए हैं। इसमें 2010 की तर्ज पर हुआ महाकुंभ, कुछ बंधनों के साथ और पूरी तरह से बंधन शामिल हैं। अगर कुंभ मेले के आयोजन में कोई बंदिश नहीं होगी तो और फोर्स की जरूरत पड़ेगी, जबकि कुछ बंदिशों के साथ मेले का आयोजन होता है तो उसके लिए जो फोर्स की डिमांड की गई है, उसी से काम चलाया जा सकता है। अगर अंतिम समय में भी शासन की ओर से कोई निर्णय लिया जाता है या आयोजन में बदलाव किया जाता है, तो इसके लिए भी पुलिस की ओर से पूरी तैयारी की हुई है।
राज्य के पुलिसकर्मियों की तैनाती शुरू
पुलिस महानिदेशक की ओर से पहली लिस्ट में कुंभ के लिए 780 पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। इनमें पौड़ी गढ़वाल, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत व बागेश्वर के उपनिरीक्षकों, मुख्य आरक्षी व आरक्षी शामिल हैं। दूसरी लिस्ट में निरीक्षकों के नाम शामिल हो सकते हैं। पुलिस कर्मचारियों की तैनाती एक दिसंबर से 30 अप्रैल तक रहेगी। महाकुंभ डड्ढूटी के लिए उन कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जा रही है, जोकि 2010 के दौरान भी कुंभ तैनाती कर चुके हैं। पुलिस महानिरीक्षक कुंभ मेला संजय गुंज्याल ने बताया कि महाकुंभ के आयोजन को लेकर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से अलग-अलग प्लान बनाए हैं। जिस स्वरूप में कुंभ मेले का आयोजन होगा, उसी हिसाब से सुरक्षा की डिमांड की जाएगी। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए शासन को सेंटर पैरामिलिट्री व बाहरी राज्यों से पीएसी के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है।