दाज्यू..मेरा दामन बेदाग है! स्टिंग और डेनिम की दिलायी याद

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रेखा आर्य का पूर्व सीएम हरीश रावत के बयान पर किया तीखा पलटवार
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड में भाजपा सरकार की महिला सशत्तफीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रेखा आर्य ने एक ओर जहां नौकरशाहों की कार्यप्रणाली पर सवाल चाड़े कर अपनी ही सरकार को असहज कर दिया है वहीं उन्होंने विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं के आरोपों पर भी तीखा पलटवार किया है। श्रीमती रेखा आर्य ने आईएएस अधिकारी पर मनमानी करने आरोप मढ़ते हुए उन पर लगाये जा रहे गड़बड़झाले के आरोपों पर खुद को बेदाग बताते हुए खुली बहस की चुनौती तक दे डाली। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में श्रीमती रेखा ने लिखा है कि पूर्व हरीश रावत जी जो कि मेंरे बड़े दाज्यू है वर्तमान में वह प्रदेश के वयोवृ( एवं सेवानिवृत्त राजनेता है तथा वर्तमान में वह राजनैतिक क्षेत्र में विशु( रूप से बेरोजगार है जिस कारण वह बार-बार सोशल मीडिया के माध्यम से स्वयं को रोजगार परक दिखाने के लिए वह कुछ न कुछ लिखते रहते है। कल उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से मेरी कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। मैं दाज्यू से कहना चाहती हूँ कि आप भ्रष्टाचार पर बोलने का नैतिक अधिकार खो चुके है क्योंकि राज्य में आपका मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल भ्रष्टाचार की टाॅप 10 की श्रेणी में मेरी दृष्टि से नंबर 1 पर रहा है। उम्र के इस पड़ाव में सम्भवतः आपकी स्मरण शत्तिफ स्वभाविक रूप से कमजोर हो गयी होगी इसलिए मैं आपको आपके कार्यकाल के कुछ महत्वपूर्ण कारनामे स्मरण करना चाहती हूँ आपका स्टिंग जो समुचे देश ने देखा आप कितने प्यार से अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए कह रहे थे कि यार विभाग से मंत्री जो कमा ले, करोड़ो या अरबो मैं अपनी आंख बन्द कर लूंगा बस किसी तरह मेरी कुर्सी बच जाए। जब आपसे सरकार बचाने की एवज में 20-25 करोड़ देने की बात कही जा रही थी तब अपने प्यार से उत्तर दिया था कि अभी आप देदो और 29 तारीख को सरकार बचने के पश्चात मैं आपको 20-25 करोड़ के साथ टाॅपअप दे दूंगा।आपने जिस जनपद में जन्म लिया, जहाँ से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की उसी जनपद के ग्राम-नैनीसार के लोगो की जमीन बिना उनसे पूछे आपने एक अंतरराष्ट्रीय विद्यालय खोलने के नाम पर भूमाफिया से सांठ-गांठ कर कोड़ियों के भाव देदी, आप यहीं नही रुके बल्कि आपने अपने जनपदवासियों पर राजा बनने के बाद तानाशाह की भूमिका में जब ग्रामवासियो ने आपके निर्णय का विरोध किया तो आपने उन पर पुलिस के लाठी डंडे बरसाने से भी गुरेज नही किया। सम्पूर्ण प्रदेश में एक शराब माफिया का एकाधिकार स्थापित करने के लिए आपने प्रदेश में एक हीएफएल -2 चलाने के लिए आदेश दे दिया,इसमे भी जब अधिकारियो ने आपकी आंखें खोली तो आपने तानाशाही का फरमान देकर अपनी फाइल पर सीधे आदेश दिया कि मेरे निर्देशानुसार प्रदेश में एक ही एफएल-2 चलाने के आदेश दे दिये जो बाद में डेनिस नाम ने विख्यात होकर आज भी प्रदेश के लोगो के जहन में है। आपके तत्कालीन सचिव मो.शाहिद स्टिंग में साफ-साफ कह रहे है कि शराब की नीति बदलने के लिए मुख्यमंत्री जी से बात हो गयी है 20 करोड़ की धनराशि बड़ी रकम है इसको दिल्ली में लेंगे और यह उत्तराखंड छोटा प्रदेश है पहले मैं फाइलों में कागज ठीक कर लूं। आपके कार्यकाल का एनएच घोटाला जिसमे आपने अपने चहीतो को करोड़ो -अरबो रुपये का लाभ गैर-कानूनी रूप से पहुँचा कर जनता के पैसे को पानी की तरह बहाया था,जिसकी जांच आज आपके सामने है। आपदा घोटाले में जब करोड़ो रूपये का खुलासा हुआ तो आपने सम्पूर्ण घोटाले को एक लाइन में रुटंकण त्रुटि कहकर आपने पर्दा डाल दिया।आपके कार्यकाल में आपकी छत्रछाया में तत्कालीन मा.अध्यक्ष विधानसभा द्वारा विधानसभा में नियम कानून ताक पर रख कर अपने परिवारजनों ,अपने करीबियों व अपने प्रियजनों को उच्च पदों पर बिना किसी परीक्षा के नौकरियाँ दे दी गयी। उपरोत्तफ सभी कारनामो का परिणाम रहा कि देवभूमि की प्रबु( जनता ने आपको 2017 विधानसभा में दोनों विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव हराया उसके पश्चात लोकसभा चुनाव ने पुनः जनता ने आपको सन्देश दिया कि आप राजनैतिक क्षेत्र से बाहर होकर उम्र के इस पड़ाव में राम नाम जपै। आदरणीय दाज्यू हरीश रावत जी मेरा दामन बेदाग है। मैने आपके कार्यकाल से सम्बंधित जो यादें आपको आज स्मरण कराई है उनके लिए मैं आपको जिम्मेदारी पूर्वक खुले मंच में बहस के लिए आमंत्रित करती हूँ यदि आपने मेरे ऊपर कोई भी आरोप साबित कर दिया तो मैं राजनैतिक जीवन से सन्यास ले लुंगी साथ ही जो आप पर लगाए गए आरोप जो जनता द्वारा सि( किये जा चुके है उन पर तो मैं आपको सन्यास लेने के लिए भी नही कह सकती क्योंकि जनता ने पहले ही आपको राजनीति से सन्यास करवा दिया है।
बांस उल्टे बरेली को क्यों जा रहे हैं? जांच कराओ,दूध का दूध-पानी का पानी होगा
देहरादून। महिला सशत्तफीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य और आईएएस षणमुगम के बीच सियासी घमासान भी तेज हो गया है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस भी इस मामले में भाजपा सरकार को जवाबदेही तय करने में विफल बता रही है। इधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक बार फिर रेखा आर्य के सवालों का जवाब देते हुए खुली जांच कराने का सुझाव दिया है। हरदा के अनुसार लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वाेच्च है। वर्ष 2017 में उत्तराखण्ड की जनता ने मेरे विरोध में और जिन्हें माननीय न्यायालय ने पापी कहा, उन दल-बदलुओं को महिमा मंडित करने वालों के पक्ष में फैसला दिया। मेरे निर्णयों पर पहले भी काफी बहस हो चुकी है, मेरे फैसले उत्तराखण्ड के हित में थे। वर्तमान सरकार चाहे तो रुहाईकोर्ट की बैंच से एन.एच. घोटाले सहित नैनीताल और उधमसिंनगर में हुये सभी भूमि व अन्य घोटालों की जांच करने का अनुरोध कर सकती है, मगर सरकार तो उल्टे बांस-बरेली के कथानक को सही सि( करने में तुली है, मंत्री की जांच अधिकारी को सौंपी है। आखिर मामले को रफा-दफा करने का मुख्यमंत्री जी के पास शायद कोई दूसरा रास्ता नहीं है। मुझे चुनौती देने के बजाय मंत्री पक्ष को इस प्रकरण की जांच जिला सत्र न्यायाधीश को सौंपने की मांग करनी चाहिये ताकि न्यायाधीश महोदय की देखरेख में एस.आई.टी., दूध का दूध-पानी का पानी कर सके फिर मुझ जैसों को भी इस बात पर मगज खपाने की आवश्यकता नहीं रहेगी कि यह बांस उल्टे बरेली को क्यों जा रहे हैं?

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