उत्तराखंड में गुलदारों पर रेडियो काॅलर लगाए जाएंगे

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गुलदारों ने 99 की जान ली, जबकि बाघ, हाथी, भालू, सूअर के हमलों में 159 व्यत्तिफ मारे गए
देहरादून। उत्तराखंड में वन सीमा से सटे आबादी वाले क्षेत्रों में खौफ का पर्याय बने गुलदारों की बढ़ते दखल ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। लगातार गहराते गुलदार-मानव संघर्ष को थामने के मद्देनजर अब भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों की मदद से इनके व्यवहार का अध्ययन कराया जा रहा है, ताकि इसके अनुरूप कदम उठाए जा सकें। इस कड़ी में राज्य में पहली बार राजाजी टाइगर रिजर्व और इससे लगे देहरादून व हरिद्वार वन प्रभागों में 15 गुलदारों पर रेडियो काॅलर लगाए जाएंगे। इस सिलसिले में संस्थान ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मागी है। रेडियो काॅलर लगाए जाने के बाद मूवमेंट पर नजर रखने के साथ ही गुलदारों के व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा।71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में गुलदारों ने सबसे ज्यादा नींद उड़ाई हुई है। ये घर-आगन से लेकर खेत-खलिहानों तक ऐसे धमक रहे हैं, मानो पालतू जानवर हों। नतीजतन गुलदार के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले पाच सालों के आकड़े देखें तो इस अवधि में अकेले गुलदारों ने 99 व्यत्तिफयों की जान ले ली, जबकि बाघ, हाथी, भालू, सूअर समेत दूसरे वन्यजीवों के हमलों में 159 व्यत्तिफ मारे गए। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने गुलदारों के व्यवहार पर अध्ययन कराने की ठानी है, ताकि इनके हमलों पर अंकुश लगाया जा सके। इस कड़ी में जर्मन फंडिंग एजेंसी जीआइजेड के सहयोग से मानव- वन्यजीव संघर्ष थामने के लिए वन महकमा तमाम उपायों को लेकर कसरत में जुटा है। इसी के तहत राजाजी टाइगर रिजर्व और इससे सटे देहरादून व हरिद्वार वन प्रभागों में गुलदार के साथ टकराव को रोकने के लिए उपाय तलाशे जा रहे हैं। यहा अकेले देहरादून-हरिद्वार राजमार्ग से लगे इलाकों में ही 40 गुलदारों के सक्रिय होने का अनुमान है और आए दिन गुलदार के हमले की घटनाएं सुद्दखया बन रही हैं। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार इन परिस्थितियों को देखते हुए यहा 15 गुलदारों पर रेडियो काॅलर लगाने का निर्णय लिया गया है, ताकि इनके व्यवहार का अध्ययन कर इसके अनुरूप प्रभावी कार्ययोजना तैयार की जा सके। उन्होंने बताया कि जीआइजेड ने रेडियो काॅलर व अन्य उपकरण मुहैया कराए हैं। रेडियो काॅलर लगाने का कार्य भारतीय वन्यजीव संस्थान करेगा। भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डाॅ. धनंजय मोहन ने बताया कि केंद्र से अनुमति मिलने के बाद गुलदारों पर रेडियो काॅलर लगाए जाएंगे। रेडियो काॅलर लगने के बाद गुलदारों के मूवमेंट पर नजर रहेगी। साथ ही पता चल सकेगा कि ये किस वत्तफ, किस क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इससे ये भी जानकारी मिलेगी कि गुलदार कहीं आबादी के नजदीक तो नहीं है। यानी, यह एक प्रकार का अर्ली वाड्डनग सिस्टम भी होगा। उन्होंने बताया कि इस मुहिम के तहत गुलदारों के व्यवहार का पता चलने के बाद इसके आधार पर सुरक्षात्मक कदम उठाने को आधार मिल सकेगा।

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