हर किसी के मन में लगी है आस, कब बनेगा गदरपुर का बाईपास

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गदरपुर(उद संवाददाता)। एनएच-74 पर प्रस्तावित बाईपास मार्ग का निर्माण अधर में लटकने से गदरपुर कस्बे का विकास बाधित होकर रह गया है। वर्ष 2012 में सितारगंज से बाजपुर-दोराहा तक एनएच-74 के चैड़ीकरण के कार्य को तेजी से आरंभ किया गया। एनएचएआई द्वारा दोराहा एवं केलाखेड़ा में बाईपास मार्ग के निर्माण को पूर्ण कर दिया गया परंतु गदरपुर में करीब 8 किलोमीटर लंबे बाईपास मार्ग के निर्माण को अधर में ही छोड़ दिया है, जो नासूर बनकर गदरपुर के विकास में सबसे बड़ी बाधा बन चुका है। अधिग्रहण की गई भूमि का कई किसानों को समुचित मुआवजा नहीं मिल सका है। वर्ष 2017 में मुख्य बाजार से अतिक्रमण हटाए जाने के बाद बाजार की स्थिति बदतर होकर रह गई। बाईपास न बन पाने की स्थिति में सिडकुल सहित अन्य क्षेत्रें से आने जाने वाले भारी वाहनों आवाजाही से जहां यातायात व्यवस्था चरमरा चुकी है, वहीं कारोबार दम तोडता जा रहा है। जाम की स्थित पूर्ववत बनी हुई है। आये दिन दुर्घटनाओं का ग्राफ बढता जा रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय जनता, व्यापारी और किसान बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, जिनके जेहन में एक ही सवाल बना हुआ है कि आखिर गदरपुर की लाइफ लाइन कहलाने वाला बाईपास कब बनेगा। वर्तमान में बाईपास मार्ग का निर्माण ठप्प होने से स्थिति जस की तस बनी हुई है, जिसका खामियाजा क्षेत्रीय जनता को भुगतना पड रहा है।
बाईपास में देरी से भाजपा की भी हो रही फजीहत
गदरपुर। गदरपुर के लिए लाइफलाइन समझे जाने वाले बाईपास मार्ग का निर्माण न होना कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे के लिए भी किरकिरी बना हुआ है, क्योंकि उनके द्वारा कई बार एनएचएआई एवं गल्फार के अधिकारियों के साथ बैठक कर बाईपास के कार्य को जल्द पूरा किए जाने के लिए कहा है लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा है। कांग्रेस सरकार के शासनकाल में भाजपा द्वारा केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने का रोना रोकर बाईपास मार्ग के निर्माण पर काफी बयानबाजी की जाती थी, लेकिन आज जब प्रदेश एवं केंद्र में भाजपा की सरकार सत्ता में है तो बाईपास मार्ग के निर्माण में हो रही देरी से भाजपा की भी फजीहत हो रही है।
जिम्मेदारी से बचना चाह रहे हैं एनएचएआई और गल्फारः फुटेला
गदरपुर(उद संवाददाता)। बाईपास मार्ग के निर्माण के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले व्यापार मंडल महामंत्री मनीष फुटेला का कहना है कि न तो शासन और न ही प्रशासन इस समस्या के निराकरण में दिलचस्पी दिखा रहा है। आरटीआई से मांगी गई सूचना में एनएचएआई ने 31-12-2018 को उपलब्ध कराई जानकारी में पहले मिट्टी की कमी तो उसके बाद 23-09-2019 को भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित अवरोध बताकर बाईपास निर्माण के कार्य में देरी होना बताया था। उनका कहना है एनएचएआई और कार्यदायी संस्था गल्फार एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं, और उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना कर रहे हैं। उल्लेखनीय हो कि व्यापार मंडल महामंत्री मनीष फुटेला द्वारा 29 अप्रैल 2019 को रूके पडे बाईपास मार्ग के निर्माण कार्य को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसके अनुपालन में न्यायालय द्वारा 15 मई 2019 को पारित आदेष में एनएचएआई को दिसम्बर 2019 या जनवरी 2020 तक निर्माण कार्य को पूर्ण कराने को कहा गया था लेकिन निर्माण कार्य पूर्ण होना तो दूर वहां एक दिन भी कार्य नहीं हो सका।

0- बाईपास न बनने से बद से बदतर होती जा रही है। मंत्रियों का जब दौरा होता है तो व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाती हैं। जनता के दर्द को यह लोग नही समझ पाते। दर्द उसी को होता है, जिसने अपने घरों के चिराग खोए हैं।
-गीता पपोला, आंगनबाडी कार्यकत्री
0- बाईपास के निर्माण में देरी होने की मुख्य बजह प्रशासन द्वारा एनएचएआई और उसकी कार्यदायी संस्था को बताया जा रहा है, लेकिन जनता को बाईपास की जरूरत है। मुख्य बाजार में यातायात का दबाव कम होगा तभी कारोबार पटरी पर लौटता नजर आयेगा।
-संजीव डोडा, संरक्षक प्रेस क्लब गदरपुर
0- भूमि अधिग्रहण के बाद भी किसानों को उसका सही मुआवजा नहीं मिला। किसानों ने भूमि खोई। करोडों रूप्ये खर्च होने के बाद भी उसका सही उपयोग नहीं हो पाया है, ऐसे में कैसे लाभ मिल सकेगा।
-राजेन्द्र सिंह मक्कड, ब्लॉकध्यक्ष भाकियू गदरपुर
मुख्य बाजार की दुर्दशा के पीछे बाई पास का निर्माण न होना है। समय रहते बाईपास को बन जाना था, लेकिन व्यापारियों एवं कारोबारियों के लिए बाईपास का न बन पाना कारोबार पर विपरीत असर डाल रहा है।
– राकेश गुम्बर, अध्यक्ष मिष्ठान विक्रेता संघ गदरपुर
0- बाईपास का निर्माण न होना सबसे बडी समस्या बनकर रह गया है। जनता की सबसे पुरानी मांग को सिरे से तिलाजंलि देकर अपने रहमोकरम पर छोड दिया गया है। हर र्कोइ परेशान है, जिसका समाधान नहीं हो पा रहा है।
– सतीश घीक, अध्यक्ष आढती एसोसिएशन

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