दिवाली पर बन रहा महायोग, लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 6-43 से 8-15 तक

दीपावाली के लिए जोरदार तैयारियां, लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 6-43 से 8-15 तक

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रूद्रपुर। दीपावली को लेकर घर घर तैयारियां चल रही है। दीपों का पर्व इस बार खास होगा। क्यों कि लगभग पचास साल बाद दिवाली पर लक्ष्मी योग बन रहे है। दीपावली पर विद्या बुद्धि विवेक, धन धान्य सुख शांति और समृद्धि के मंगलयेाग के बीच देवी भगवती का आगमन होगा। हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। दीपावली पर विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन करने की परंपरा है। मां लक्ष्मी के साथ गणोश, कुबेर और बही-खाता पूजन किया जाता है। आज दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6-43 से 8-15 बजे तक है। दीपावली पर 5-41 बजे से 8-15 प्रदोष काल रहेगा। यह दीवाली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त के रूप में होता है। वृषभ काल 6-43 से 8-39 बजे तक है। यह समय व्यापारी वर्ग के लिए शुभ रहेगा। आज 12-23 बजे से अमावस्या तिथि प्रारंभ हो चुकी है और 28 अक्टूबर की सुबह 9-08 बजे समाप्त हो जाएगी। दीपावली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी का पूजन करने से इस बार विशेष फल प्राप्त होंगे। दीवाली पर भगवान गणेश, लक्ष्मी व कुबेर आदि का पूजन भी शुभ फलदायी होता है। दिवाली लक्ष्मी जी का प्राकट्य दिवस है। वह श्री नारायण के साथ पृथ्वी पर आती है। उनके साथ उनका पूरा कुल होता है यानि समस्त देवी देवता, ग्रह नक्षत्र। यही ऐसा पर्व है जब त्रिदेवियां और त्रिदेव अपने कुल के साथ पृथ्वी पर आते हैं। सबसे अंत में महानिशाकाल में काली कुल आता है इसलिए इसको सबसे बड़े पर्व की संज्ञा दी गयी हैं पांच पर्वों की श्रृंखला का यह तीसरा पर्व है। इस अमावस्या को सबसे बड़ी अहोरात्रि कहा गया है। धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति ऽरीदकर दिवाली की रात उसका पूजन किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि विधि-विधाान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुऽ-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है। दिवाली रोशनी और ऽुशियों का त्योहार है। सभी लोग बड़ी ही बेसब्री से इस पर्व का इंतजार करते हैं। दिवाली पर पूरे शर की साफ सफाई कर इसे सजाया जाता है। साथ ही पूरे घर को दीयों की रोशनी से भर दिया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह ऽुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक है। रोशनी का यह त्योहार बताता है कि चाहे कुछ भी हो जाए असत्य पर सत्य की जीत अवश्य होती है। मान्यता है कि रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर इस दिन भगवान राम अपने घर लौटे थे। इसी ऽुशी में पूरी प्रजा ने नगर में अपने राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया था। राम के भत्तफ़ों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था। दिवाली के दिन को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। वहीं, यह भी माना जाता है कि दिवाली की रात को ही मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से शादी की थी। इस दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुऽ-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
पूजा मुहूर्त- 06ः43 से 08ः15 सांय
अवधि- 01 घण्टा 32 मिनट
प्रदोष काल-शाम 05ः41 से 08ः15 बजे
वृषभ काल- शाम 06ः43 से 08ः39 बजे
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- दोपहर को 12ः23 बजे
अमावस्या समाप्त- 28 अक्टूबर को प्रातः 9ः08 बजे

दिवाली पूजन की सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग,अगरबत्ती, हल्दी, अर्य पात्र,फूलों की माला और ऽुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टðे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया, ऽील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध,लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा),रोली,लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ।

लक्ष्मी पूजन की विधि
माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति ऽरीदकर दिवाली की रात उसका पूजन किया जाता है।मूर्ति स्थापनाः सबसे पहले एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रऽें। अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें। ‘अपवित्रः पवित्रे वा सर्वावस्थां गतोपि वा । यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सः वाह्याभंतरः शुचिः ।।’ इसके बाद गंगा जल से आचमन करें। मां लक्ष्मी का ध्यान करें। मां लक्ष्मी का आवाह्न करें। हाथ में पांच पुष्प अंजलि में लेकर
अर्पित करें। मां लक्ष्मी का स्वागत करें। मां लक्ष्मी को अघर््य दें। मां लक्ष्मी की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। फिर दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण यानी कि पंचामृत से स्नान कराएं। आिऽर में शुद्ध जल से स्नान कराएं। मां लक्ष्मी को मोली के रूप में वस्त्र अर्पित करें। मां लक्ष्मी को आभूषण चढ़ाएं। मां लक्ष्मी को सिंदूर चढ़ाएं। कुमकुम समर्पित करें।अब अक्षत चढ़ाएं।

दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ क्यों होती है भगवान गणेश की पूजा?
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था। भगवान गणेश बुद्धि के प्रतीक हैं और मां लक्ष्मी धन- समृद्धि की। दिवाली पर घरों में इन मूर्तियों को स्थापित कर पूजन करने से धन और सद्बुद्धि दोनों प्राप्त होती है। दिवाली रोशनी और ऽुशियों का त्योहार है। सभी लोग बड़ी ही बेसब्री से इस पर्व का इंतजार करते हैं। दिवाली पर पूरे घर की साफ सफाई कर इसे सजाया जाता है। साथ ही पूरे घर को दीयों की रोशनी से भर दिया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी इस दिन घर में प्रवेश करती हैं। इस दिन धन-संपदा और शांति के लिए ही लक्ष्मी मां की पूजा-अर्चना की जाती है।

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