दिनेशपुर नगर पंचायत क्षेत्र की सड़कें हैं बदहाल

टूटी सड़कों पर चोट खाने को मजबूर हैं नगरवासी, नौ में से एक भी वार्ड की सड़क नहीं है महफूज, नयी बन रही टाइल्स रोड़ भी तोड़ रही हैं दम, सभासद, चेयरमैन सहित विधायक-मंत्री तक हैं उदासीन

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रूपेश कुमार सिंह
दिनेशपुर। नगर को मुख्यालय से जोड़ने वाली दिनेशपुर-मटकोटा सड़क तो बुरी तरह क्षतिग्रस्त है ही, नगर पंचायत क्षेत्र की तमाम सड़कें भी बदहाल हैं। नौ में से एक भी वार्ड की सड़क लोगों के चलने को महफूज नहीं है। आलम यह है कि रोज छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं हो रही हैं। जल भराव के कारण स्थिति और भी दयनीय है। कई मार्ग तो गîóों में तब्दील हो चुके हैं। आवागमन जोिखम भरा है। वर्षों से क्षतिग्रस्त सड़कें अपनेे पुनर्निर्माण की राह देख रही हैं। नगर के सभासद, चेयरमैन सहित विधायक-मंत्री तक उदासीन बने हुए हैं। जनता ने टूटी सड़कों को ही अपनी नियति मान लिया है। रूद्रपुर मुख्यालय से 15 किमी दूर दिनेशपुर एक उभरता हुआ कस्बा है। लगभग दस हजार मतदाताओं वाले इस नगर पंचायत क्षेख में बीस हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। यहां के नौ वार्डों में सफर करना खतरे से खाली नहीं है। दिनेशपुर की सड़कों को दुरूस्त करने में भाजपा सरकार का हर इंजन फेल है। सारे दावे खोखले हैं। लिंक मार्ग तो छोड़िये नगर के मुख्य मार्ग भी गîóों में गोंते लगा रहे हैं। हालांकि कई मार्ग लोक निर्माण विभाग के तहत आते हैं, लेकिन उन तक बात कौन पहुंचायेगा? नेता खामोश हैं, सभासद अपने में मस्त हैं, चेयरमैन के अपने वार्ड की सड़कें बदहाल हैं, विधायक और मंत्री ऊपरी काम में व्यस्त हैं। तो ऐसी स्थिति में नगर की खस्ताहाल सड़कों को कौन पूछे? जो छोटी सड़कें नगर पंचायत से बन रही हैं, उनमें भी घोर अनियमितता बरती जा रही है। कुछ नयी सड़कें तो पहली बरसात भी नहीं झेल पायी हैं। टाइल्स सड़कों की दशा तो और भी दयनीय है। डामर रोड़ को खत्म करके टाइल्स बिछाने में भी झोल है। बताया जा रहा है कि एक भाजपा नेता को फायदा पहुंचाने के लिए टाइल्स रोड बनायी जा रही हैं। खैर, आज हम यहां दिनेशपुर क्षेत्र के नौ वार्डों की सेर करेंगे। वार्ड न0 एक नगर पंचायत की अध्यक्ष सीमा सरकार का वार्ड है। चेयरमैन पति हिमांशु सरकार भाजपा के मण्डल अध्यक्ष हैं। इस वार्ड के सभासद हैं सुकुमार सरकार। तीन बार से लगातार सुकुमार ही इस वार्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। गांधी नगर को जाने वाली मुख्य सड़क पूरी तरह से टूटी हुई है। जगह-जगह बड़े-बड़े गîóे हैं। दो साल से यह सड़क क्षतिग्रस्त है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। यह मार्ग चन्दननगर गांव को भी जोड़ता है। हजारों लोग प्रतिदिन इससे आवागमन करते हैं और चोट खाते हैं। चेयरमैन सीमा सरकार के आवास के बगल से गुजरने वाली होली कृष्णा कॉलेज की रोड के हाल भी अच्छे नहीं हैं। वर्षों से यह सड़क अपने पुनर्निर्माण को ताक रही है। हालांकि वार्ड की कई सड़कें लोनिवि की हैं, लेकिन उन तक मांग पहुंचाना भी जनप्रतिनिधियों का काम है। वार्ड न0 दो के सभासद सुकुमार सरकार हैं। इससे पहले इनकी पत्नी सभासद थीं। इनके वार्ड की लिंक सड़कें भी बदहाल हैं। वार्ड तीन के दो बार के सभासद प्रशान्त मालाकार भी सड़कों के मामले में पीछे हैं। हरि मंदिर रोड पूरी तरह से खराब है। गुरूद्वारा मार्ग के हाल भी बुरे हैं। पानी भरने से लोगों का चलना मुश्किल हो रहा है। वार्ड चार में तीन बार से प्रोजीत मण्डल और उनकी पत्नी सभासद हैं। लेकिन नहर पार की सड़क आज भी चलने लायक नहीं हो पायी है। मैन बाजार को जुड़ने वाली सड़क भी ठीक नहीं हैं। वार्ड पांच में सुनीता मिस्त्री पहली बार स्भासद बनी हैं। मछली बाजार, पंडित पाडा सहित कई मार्गों का काम होना बाकी है। वार्ड छः में कानुप्रिया शाह सभासद हैं। नहर पार, आई टी आई के पीछे कई मार्ग ठीक होने बाकी हैं। वार्ड सात और आठ में भी सड़क के हालात ठीेक नहीं हैं। वार्ड आठ के सभासद सत्यजीत विश्वास को भी अपनी वार्ड की सड़क की ओर ध्यान देने की जरूरत है। वार्ड नौ में गोविन्द मण्डल पहली बार सभासद बने हैं। सुन्दरपुर रोड बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। इसके अलावा लिंक मार्ग मरम्मत मांग रहे हैं। कुल मिलाकर एक भी वार्ड ऐसा नहीं है जिसकी सड़क को देखकर संतोष किया जा सके। मटाकोटा-दिनेशपुर सड़क निर्माण संघर्ष समिति के संयोजक विकास स्वर्णकार कहते हैं कि नगर और आस-पास के गांव की सड़कें बुरी तरह टूट चुकी हैं। जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सड़क चलने के लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं। सरकार वाहन चालकों से टैक्स तो लेती है, लेकिन अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करती। जान-माल का नुकसान लगातार हो रहा है। जिस पर सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए। षिक्षक विजय सिंह का कहना है कि टूटी सड़कों से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को उठानी पड़ती है। पैदल आने वाले बच्चे कीचड़ में अक्सर गिरते हैं। जो बच्चे साइकिल से आते हैं, वो आये दिन चोटिल होते हैं। पूरे नगर की सड़कें बदहाल हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन का उदासीन रवैया कायम है। सड़क पर होने वाली दुर्घटना के लिए सरकार और प्रशासन ही जिम्मेदार है। सड़क एक बुनियादी जरूरत है और आम लोगों का अधिकार भी, लेकिन मौजूदा व्यवस्था इस मामले में फेल है। कांग्रेस नेता डॉ जे एन सरकार कहते हैं कि दिनेशपुर में भाजपा का बोर्ड है। इस लिहाज से ट्रिपल इजन की सरकार है, लेकिन सड़क सहित कोई भी बुनियादी सुविधा सरकार लोगों को उपलब्ध नहीं करा पा रही है। पुरानी सड़क मौत और दुर्घटना का पर्याय बन चुकी हैं। जो नयी बन रही हैं वो भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रही हैं। नगर की सभी सड़क पुनः बननी चाहिए। साथ ही दिनेशपुर-मटकोटा मार्ग का भी पुनर्निर्माण होना चाहिए। षिक्षिका गीता पानू कहती हैं कि न सिर्फ नगर क्षेत्र की बल्कि गांव की सड़कों का भी बुरा हाल है। महिलाओं और बुजुर्गों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पता नहीं क्यों सरकार और प्रशासन में बैठे लोगों को जनता की दिक्कत समझ नहीं आती? सड़क बनती बाद में है और टूटना पहले शुरू हो जाती है। जनता को जगरूक होने की आवश्यकता है। सवाल उठता है कि जहां सरकार यातायात को सुधारने के नाम पर बड़े और भारी भरकम जुर्माना लागू कर रही है, वहीं वो सड़क पर दी जाने वाली सुविधाओं से क्यों मुंह मोड़ लेती है? टूटी सड़क के कारण हादसे में अकाल मौत मरने वालों का जिम्मेदार कौन है? क्यों नहीं सरकार सड़क को समय रहते ठीक करती है?

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