मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला धारा 370 हटाने का ऐलान
35 ए भी हटाया गया,जम्मू-कश्मीर से अलग हुआ लद्दाख ,राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा
नई दिल्ली (उद ब्यूरो)। जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस सिलसिले में गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बड़ा ऐलान करते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। इसके साथ ही आर्टिकल 35-ए को भी हटा दिया गया है। राष्ट्रपति ने 35ए हटाने की मंजूरी भी दे दी है। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी सदन में पेश किया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर का दो भागों में बंटवारा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश होगा। लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्रशासित प्रदेश होगा। इस तरह केंद्र सरकार ने 1954 के कानून में कई संशोधन किए हैं। उनके बयान के बाद विपक्ष ने हंगामा करना शुरू दिया। नतीजतन राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्ज दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें। अब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है, लेकिन यहां विधानसभा नहीं होगी। उनके प्रस्ताव पेश करते ही सदन में विपक्षी नेता हंगामा करने लगे। अमित शाह की इस घोषणा के बाद ही राज्यसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा होने लगा। पीडीपी सांसद इस घोषणा के बाद ही कपड़े फाड़कर बैठ गए और हंगामा करने लगे। यही नहीं कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके के सांसदों ने भी सरकार की इस घोषणा पर खूब हंगामा किया। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि बीजेपी ने संविधान की हत्या की है संसद में अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में ये गलत धारणा है कि अनुच्छेद-370 की वजह से कश्मीर भारत के साथ है। अमित शाह ने कहा कि कश्मीर भारत के विलय पत्र की वजह से है जिसपर 1947 में हस्ताक्षर किया गया था। वोट बैंक की वजह से विगत दिनों में इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया, लेकिन हमारे पास इच्छा शक्ति है और हम वोट बैंक की परवाह नहीं करते हैं। अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद-370 को हटाने में अब एक सेकेंड की भी देरी नहीं करनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि वे इस मुद्दे पर डिबेट और बहस के लिए तैयार हैं। इससे पहले जम्मू कश्मीर के पेचिदा मसले को लेकर आज सुबह 9-30 बजे प्रधानमंत्री के आवास पर बैठक शुरू हुई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर कैबिनेट की बैठक से पहले सुरक्षा समिति की बैठक हुई। इस बैठक में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री मौजूद रहे।इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कश्मीर के हालात पर जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक उससे पहले सुबह गृह मंत्री की कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ चर्चा भी हुई थी।इसके बाद अब हर किसी की नजर संसद पर टिक गई। सूत्रों के मुताबिक इस तरह की खबरें भी आ रही हैं कि इस मुद्दे पर पीएम मोदी सात अगस्त को देश को संबोधित कर सकते हैं। इस लिहाज से कश्मीर पर आजाद भारत का यह सबसे बड़ा फैसला है। इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में खुशी की लहर दौड़ गई। विपक्षी दलों की तरफ से समाजवादी पार्टी और बसपा अनुच्छेद 370 हटाने के समर्थन में हैं। वहीं कांग्रेस, पीडीपी और टीएमसी इसके विरोध में हैं। इससे पहले राज्यसभा की आज की सभी नियमित कार्यवाही को स्थगित किया गया। सिर्फ और सिर्फ जम्मू- कश्मीर के मसले पर ही चर्चा मुकर्रर की गई। प्रश्न काल या जीरो ऑवर भी स्थगित कर दिया गया। नियम 267 के तहत राज्यसभा के सभापति ने एक बड़े फैसले के तहत आज सदन में अन्य सारी कार्यवाहियां रद्द कर दी हैं। इस बीच केंद्र ने कई राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य हाई अलर्ट पर हैं। इस बीच कश्मीर में हर तरीके का कम्युनिकेशन बंद है। सुरक्षाबलों को स्पेशल सैटेलाइट फोन दिए गए हैं। जम्मू में सीआरपीएफ की 40 कंपनियां तैनात हैं। कश्मीर में 100 कंपनियां पहले पहले से ही तैनात हैं।
भारतीय सेना और एयर फोर्स भी हाई अलर्ट पर
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। सरकार ने आठ हजार अतिरिक्त सुरक्षा बलों को यूपी, असम एवं ओडिशा समेत अन्य भागों से जम्मू-कश्मीर भेजने का फैसला किया है। इन्हें विमान के जरिए जम्मू-कश्मीर ले जाया जा रहा है। भारतीय सेना और एयर फोस को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को उनके घरों में नजरबंद कर लिया गया है। कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है। घाटी में इंटरनेट सेवाओं बंद करने के साथ ही जम्मू और श्रीनगर में आर्टिकल-144 लगा दी गई है। लेह में सामान्य जन जीवन बिल्कुल सामान्य है। उधर डलझील में शिकारे खाली है और चारों ओर सन्नाटा है। राज्यपाल ने मुख्य सचिव को घटना पर नजर रखते हुए हर घंटे रिपोर्ट देने के लिए कहा है। चूंकि मोबाइल सेवाएं बाधित हैं इसलिए अधिकारियों को संपर्क के लिए सेटेलाइट फोन दिए गए हैं। उधर पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि आज भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है। साल 1947 में जम्मू कश्मीर के नेतृत्व ने दो राष्ट्र की थ्योरी को खारिज करके भारत में शामिल होने का निर्णय लिया था जो उल्टा साबित हुआ है। सरकार का अनुच्छेद-370को हटाने का फैसला असंवैधानिक और अवैध है।
केन्द्र सरकार ने राज्यों को किया अलर्ट
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी की है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। साथ ही हिंसा को रोकने के लिए पुलिस से मॉक ड्रिल चलाने का निर्देश भी जारी किया गया है। जम्मू-कश्मीर में हलचल तेज है और पाकिस्तान में भी हड़कंप मचा हुआ है। पाकिस्तानी सरकार में मंत्री फवाद चैधरी ने सोमवार सुबह ट्वीट किया कि भारत अधिकृत कश्मीर में नेताओं को हाउस अरेस्ट किया जा रहा है, हुर्रियत से लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी हिरासत में लिया गया है। देशभर में हर तरफ चर्चायें तेज हो गई थी कि कश्मीर में क्या हो रहा है? कश्मीर पर क्या
मोदी सरकार कोई बड़ा फैसला लेने वाली है? ये सब सवाल हर किसी के मन में उठ रहे थे। लेकिन आज जब संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्र सरकार से घाटी में धारा 370 हटाने की शिफारिश कर दी है। जिसके बाद जहां पूरे देश में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया हैं। इस फैसले को मोदी सरकार के सबसे ऐतिहासिक फैसलों में एक माना जा रहा है। इतना ही नहीं गृह मंत्री अमित शाह की कुशल राजनैतिक कार्यशैली की वजह से आज इतने वर्षों पुराने पेचिदा मसले का हल निकालने के लिये में सरकार आगे बढ़ी है। वहीं घाटी में हजारों की संख्या में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है, साथ ही साथ कई राजनेताओं को नजरबंद भी कर दिया गया है। फोन बंद कर दिए गए हैं, धारा 144 लागू है ऐसे में घाटी पर हर किसी की नजर है। जम्मू-कश्मीर में इस तरह के हालात करगिल के बाद पहली बार बन रहे हैं। करगिल के वक्त में भी लैंडलाइन बंद नहीं किए गए थे, लेकिन इस बार इनपर भी पाबंदी है।
धारा 370 पर विवाद क्यों?
-जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता, झंडा भी अलग
-जम्मू कश्मीर में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है
-देश के सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं
– संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है
– रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर केंद्र के कानून जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होते
– केंद्र का कानून लागू करने के लिये जम्मू कश्मीर विधानसभा से सहमति जरूरी
– वित्तीय आपातकाल के लिये संविधान की धारा 360 जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं
– धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति राज्य का संविधान बखार्स्त नहीं कर सकते
– कश्मीर में हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों को 16» आरक्षण नहीं मिलता
– जम्मू कश्मीर में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है।
– धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और आरटीई लागू नहीं होता।
– जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष नहीं, 6 वर्ष होता है।
केंद्र के बड़े फैसले की खास बातें
– जम्मू-कश्मीर अब राज्य नहीं रहेगा।
– जम्मू-कश्मीर की जगह अब दो केंद्र शासित प्रदेश होंगे।
– एक का ना होगा जम्मू-कश्मीर, दूसरे का नाम होगा लद्दाख।
– दोनों केंद्र शासित प्रदेशों का शासन लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथ में होगा।
– जम्मू-कश्मीर की विधायिका होगी जबकि लद्दाख में कोई विधायिका नहीं होगी।
– अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के आदेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं।
– अनुच्छेद 370 का केवल एक खंड बाकी रखा गया है जिसके तहत राष्ट्रपति किसी बदलाव का आदेश जारी कर सकते हैं।
– गृहमंत्री ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने का प्रस्ताव वहाँ की सुरक्षा की स्थिति और सीमा-पार से आतंकवाद की स्थिति को देखते हुए लिया गया।
– लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा