आखिर रूद्रपुर की बदहाल स्थिति का जिम्मेदार कौन?
पिछले सात वर्षों से मेयर, विधायक और सांसद भाजपा के, राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार
सुनील राणा
रूद्रपुर। पिछले लगभग सात वर्षों से रूद्रपुर शहर में मेयर, विधायक और सांसद भाजपा के हैं तथा पिछले दो वर्षों से राज्य और दूसरी बार केंद्र में भाजपा की सरकार है। आखिर क्या कारण है कि बावजूद इसके रूद्रपुर शहर की हालत बेहद दयनीय हो चुकी है। जगह-जगह टूटी सड़कें, जर्जर हो चुकी अन्य व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रहीं। क्या यह भाजपा की अंदरखाने चल रही गुटबाजी है अथवा मुख्यमंत्री को शहर के विकास से कोई लेना देना नहीं है। शहर के हर कोने से लम्बे अरसे से जर्जर सड़कों, नालों, सफाई व्यवस्था को लेकर आवाजें उठती रही हैं। लेकिन शहर के जनप्रतिनिधियों की आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो रही है। जनपद में रूद्रपुर शहर सबसे विकसित शहरों में गिना जाता है। क्योंकि सिडकुल के बाद इस शहर की गिनती महानगरों की तर्ज पर की जाने लगी थी कि जहां तमाम उद्योग और कारखाने चल रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में लोग यहां रोजगार कर रहे हैं। शहर भी तेजी से विकसित होता जा रहा है। नगर के आसपास क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में कालोनियां बन चुकी हैं जो शहर पहले नगर पालिका हुआ करता था अब वह विकसित होकर नगर निगम बन चुका है। 20 वार्डों की नगर पालिका अब 40वार्डों में तबदील होकर नगर निगम का रूप ले चुकी है। अगर हम नगर निगम की बात करें तो पहले नगर निगम के चुनाव में भाजपा की ओर से सोनी कोली प्रथम मेयर बनी थीं। वहीं विधानसभा चुनाव में राजकुमार ठुकराल पहली बार रूद्रपुर के विधायक बने थे। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता तिलकराज बेहड़ को विषम परिस्थितियों में पराजित किया था। उस समय भाजपा के सांसद भगत सिंह कोश्यारी थे। तो शहरवासियों को आस हुई थी कि अब नगर का स्वरूप बदला जायेगा और महानगरों की तर्ज पर रूद्रपुर का विकास होगा। लेकिन ‘क्षेत्र का सर्वांगीण विकास किया जायेगा’ का गीत गाते हुए सभी जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया। पुनः चुनाव की तैयारियां शुरू हो गयीं और विकास के रथ पर बैठकर जनप्रतिनिधियों का गीत गाना पुनः शुरू हो गया। नगर निगम, विधानसभा और लोकसभा के चुनाव सम्पन्न हो गये तो रूद्रपुर में दोबारा तीनों स्थानों पर भाजपा के जनप्रतिनिधि विराजमान हो गये। साथ ही राज्य और केंद्र में भी भाजपा की सरकार बन गयी। लेकिन समय बीतता गया और विकास का पहिया रूद्रपुर की टूटी फूटी जर्जर सड़कों में जो अटका हुआ था वह निकल ही नहीं पाया है। अगर हम ट्रांजिट कैंप की बात करें तो सबसे बदहाल स्थिति में इन दिनों ट्रांजिट कैंप के वाशिंदे जीवनयापन कर रहे हैं। वहां की जर्जर सड़क पता नहीं कब एक अच्छी सड़क का स्वरूप लेगी लेकिन काम शुरू होने से पहले ही भाजपा नेताओं ने विकास के गीत पुनः गाने शुरू कर दिये हैं। हर कोई इस सड़क के बनने का श्रेय अपने आपको दे रहा है। विधायक राजकुमार ठुकराल का कहना है कि उन्होंने 900मीटर सड़क स्वीकृत करा ली है और कई बार मुख्यमंत्री के सामने ट्रांजिट कैंप की सड़क का मुद्दा उठाया है। मुख्यमंत्री स्वयं भी ट्रांजिट कैंप की सड़क के निर्माण की घोषणा कर चुके हैं लेकिन आखिर क्या कारण है कि यह बदहाल सड़क बनने का नाम नहीं ले रही। या फिर सीएम विधायक राजकुमार ठुकराल को सिर्फ झुनझुना थमा रहे हैं। विधायक ठुकराल का यह दूसरा कार्यकाल है और वह क्षेत्र की समस्याओं को भली भांति जानते हैं। बावजूद इसके क्षेत्र का विकास कोसों दूर है। सांसद अजय भट्ट और मेयर रामपाल सिंह का यह पहला कार्यकाल है। हालांकि मेयर रूद्रपुरवासी हैं और वह भी क्षेत्र की समस्याओं से भली भांति अवगत हैं। वह समस्याओं के निदान के लिए प्रयासरत तो रहते हैं लेकिन अभी उन्हें भी खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। वैसे भी इन दिनों विधायक ठुकराल और मेयर ट्रंचिंग ग्राउण्ड मुद्दे को लेकर आमने सामने हो चुके हैं। हल्द्वानी में इंदिरा हृदयेश कांग्रेस की विधायक हैं और वह नेता प्रतिपक्ष भी हैं। विपक्ष में रहने के बावजूद हल्द्वानी में विकास कार्य द्रुत गति से हो रहे हैं। बाजपुर में काबीना मंत्री यशपाल आर्य बैठे हुए हैं और बाजपुर क्षेत्र में भी विकास कार्यों में कोई कोताही नहीं बरती जा रही। इसके अलावा जनपद के अन्य क्षेत्रों में भी विधायक अपने अपने स्तर से क्षेत्र के विकास के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन सर्वाधिक उपेक्षा का शिकार रूद्रपुर शहर हो रहा है। अगर शहर की सड़कों का आंकलन किया जाये तो लगभग 10 से 12किलोमीटर सड़कें रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में आती हैं जिनका निर्माण कार्य किया जाना है जो अनुमानतः 10 से 12करोड़ रूपए में ही बन जायेंगी। लेकिन क्या कारण है कि विकास कार्यों के नाम पर ढोल पीटने वाली भाजपा सरकार रूद्रपुर की ओर ध्यान नहीं दे पा रही। क्या इसे सीएम द्वारा रूद्रपुर की उपेक्षा समझी जाये या फिर विधायक ठुकराल को हाशिये पर रखने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि अंदरखाने संगठन के लोग विधायक की कार्यशैली से अक्सर नाखुश नजर आते हैं और यह बात जगजाहिर हो भी चुकी है। लेकिन इन सबका खामियाजा रूद्रपुर की जनता को भुगतना पड़ रहा है।