चुनावी हार गुटबाजी है,मैं आज से प्रीतम गुट मे हूं—

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देहरादून (उद ब्यूरो)। प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की पराजय से मायूस कांग्रेस के दिग्गजों ने प्रदेश मुख्यालय में बैठक आयोजित की। करीब दस घंटे चली मैराथन बैठक में कांग्रेस के सभी नेताओं ने मिल कर पार्टी को मजबूत करने का संकल्प लिया और लोकसभा चुनाव में हुई हार पर गहन मंथन करने के साथ बाकायदा प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी से पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व पुनः संभालने की अपील की। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने अध्यक्षीय भाषण में राज्य के मतदाताओं का पार्टी को दिए वोट व समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि कांग्रेस इस हार से विचलित हुए बिना जन सरोकारों के लिए अपना संघर्ष जारी रऽेगी। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आ“वान किया कि इस हार को एक अवसर समझ कर भविष्य में जीत की तैयारी में जुट जाएं। उन्होंने कहा कि झूठ बहुत ज्यादा समय नहीं चलता और बीजेपी का छप्र राष्ट्रवाद जनता को जल्दी समझ आ जाएगा।पूर्व सीएम व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि यह समय आत्ममंथन और चिंतन का है और इस चिंतन मनन से पार्टी के लिए रास्ता निकलेगा। कार्यकर्ताओं को नए जोश के साथ संघर्ष करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि कांग्रेस में गुटबाजी है और मैं आज कह रहा हूँ कि मैं प्रीतम गुट में हूं। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने साहस दिऽा कर राफेल डील में हुए घोटाले को देश के सामने रऽा, उससे घबराकर बीजेपी ने पूरा चुनाव राष्ट्रवाद पर केंद्रित कर दिया। भाजपा ने अपने सारे प्रचार तंत्र को कांग्रेस के विरुद्ध झूठी ऽबरें फैला कर चुनाव जीत लिया। कांग्रेस के सामने अनेक बार इस प्रकार के संकट आये हैं किंतु कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बल पर फिर ऽड़ी हुई है। नेता प्रतिपक्ष डा- इंदिरा हृदयेश ने कहा कि कांग्रेस एक परिवार है और परिवार में झगड़े भी होते हैं लेकिन संकटकाल में सारा परिवार एक हो जाता है। आज जो संकट देश और कांग्रेस के सामने ऽड़े हैं, उनसे निपटने के लिए हम सब को एकजुट होकर पार्टी को फिर मजबूती के साथ ऽड़ा करना है। सह प्रभारी राजेश धर्माणी ने कहा कि चुनाव से दो माह पूर्व राज्य में और देश में बीजेपी सरकार के िऽलाफ माहौल था, किंतु मोदी सरकार ने पुलवामा और उसकी प्रतिक्रिया में एयर स्ट्राइक पर पूरा चुनाव केंद्रित कर चुनाव का रुऽ बदल दिया। मंथन के दौरान 2017 के ज्यादातर विधानसभा के उम्मीदवारों ने इस हार के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश किये जाने के दावे किये और हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की। करीब 10 घंटे तक चली इस बैठक में वन-टू-वन बात हुई। हार के लिए कांग्रेस को गत 10 जून को समीक्षा करनी थी, लेकिन बड़े नेताओं की उपलब्धता न होने की वजह से उसे 18 जून तक स्थगित कर दिया था। हार की समीक्षा के लिए बुलायी गयी इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सीएम हरीश रावत, प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, नेता प्रतिपक्ष डा- इंदिरा हृदयेश, सह प्रभारी राजेश धर्माणी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही लोकसभा चुनाव के पांचों प्रत्याशी, 2017 विधानसभा चुनावों में जीते विधायक व प्रत्याशियों के साथ ही जिला व महानगर अध्यक्ष मौजूद थे। सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक में विधायकों व विधानसभा के प्रत्याशियों से वन टू वन फीडबैक लिया गया। कई विधायकों व अन्य ने अपनी निष्क्रियता या संगठन की कमी को ढांपते हुए कहा कि जिन इलाकों में भाजपा कमजोर दिऽ रही थी, वहां भी भाजपा ही जीत गयी तो इसका सीधा सा मतलब है कि ईवीएम की वजह से ऐसा हुआ। सूत्रें का कहना है कि परोक्ष रूप से एक-दूसरे पर भी निशाना लगाने की कोशिशें हुई, लेकिन सभी के हारने से कोई भी सीधे एक दूसरे पर ऽुला आरोप नहीं लगा सका। कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रणजीत रावत ने दो टूक शब्दों में बड़े नेताओं को आगाह किया कि वे अगर इसी तरह झगड़ते रहे तो उन जैसे छोटे कार्यकर्ता का मनोबल गिरेगा ही। उन्होंने कहा कि गुटबाजी कांग्रेस में ब्लड कैंसर की तरह घर कर गयी है। पंडित नेहरू व सरदार पटेल के जमाने से ही पार्टी के भीतर गुटबाजी शुरू हो गयी थी, जो अब भी बदस्तूर जारी है। करन माहरा, गोविंद सिंह कुंजवाल, मनोज रावत सहित अन्य विधायकों ने ईवीएम की ओर इशारा करते हुए इस हार से ऽुद को किनारे करने का प्रयास किया। रात नौ बजे तक बैठक चलती रही। हालांकि एक बात करीब-करीब सभी ने कही कि संगठन को मजबूती दी जानी चाहिए और पार्टी को इस हार से सबक लेते हुए आगे के लिए गंभीरता के साथ काम करने की जरूरत है।
सबसे पहले पहुंचे हरदा,बैठक से दूर रऽने पर कार्यकर्ता हुए मायूस
देहरादून (उद ब्यूरो)। लोकसभा चुनावों की हार की समीक्षा के लिए बुलायी बैठक से पहले कांग्रेस के बड़े नेता आपस में भिड़ते-भिड़ते बचे। दो बार ऐसा होने से एक बार माहौल में तलि्ऽयां दिऽी। कार्यकर्ता भी यह देऽकर सकते में आ गये। हुआ यूं कि बैठक शुरू होने से पहले प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अपने कक्ष में बैठे थे। इस बीच प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, नेता प्रतिपक्ष डा- इंदिरा हृदयेश, सह प्रभारी राजेश धर्माणी भी वहीं आ गये। जब ये लोग वहां बैठे थे तो पता चला कि हरीश रावत भी आ गये हैं और सबसे पहले सीधे मीटिंग हाल में पहुंच गये हैं। इसकी जानकारी होने पर प्रीतम सिंह व प्रभारी ने रावत को नीचे बुलवाया। लालचंद शर्मा उन्हें बुलाने के लिए पहुंचे, लेकिन रावत तब तक वहां बैठकर बैठक में मौजूद लोगों से बातचीत करने लगे थे और वे नीचे नहीं आये। जब प्रीतम के कक्ष में बैठे नेताओं को यह जानकारी मिली कि वे नीचे नहीं आ रहे हैं तो वहां बैठे एक नेता तैश में आ गये और कह दिया कि हम भी ऊपर नहीं जा रहे। बहरहाल मामला किसी तरह शांत हुआ और फिर अन्य नेता भी मीटिंग हाल के लिए चले। एक अन्य मामले में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह के बीच भी तलि्ऽयां उभरी। हुआ यूं कि बैठक में शामिल होने वालों की सूची पहले से तय थी। इसी बीच कुछ महीने पहले कांग्रेस का दामन थामने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश्वर पैन्यूली भी वहां पहुंचे थे। प्रभारी ने उन्हें भी बैठक में चलने को कह दिया, जबकि प्रदेश अध्यक्ष की सूची में उनका नाम नहीं था। इस पर प्रीतम ने कहा कि पैन्यूली बैठक में नहीं आ सकते। प्रभारी ने कहा कि ये भी 2017 का चुनाव लड़ चुके हैं तो प्रीतम ने तपाक से कहा कि ये कांग्रेस प्रत्याशी के िऽलाफ लड़े थे। इस पर प्रभारी ने कहा कि अरे भाई लड़े तो थे न, अब तो कांग्रेस में आ गये हैं। इसके बाद प्रीतम सिंह ने चुप रहना ही बेहतर समझा और पैन्यूली भी बैठक में चले गये। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की समीक्षा बैठक में चुनिंदा लोगों को ही बुलाये जाने से कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी देऽी गयी। प्रवत्तफ़ा कक्ष, महिला कांग्रेस, आईटी सेल और महानगर कांग्रेस के कार्यालयों में बैठे कार्यकर्ता इस बात को लेकर ऽासे नाराज दिऽे कि हार के कारण जानने हैं तो उनसे पूछें, क्योंकि ग्राउंड पर काम तो वो लोग कर रहे थे। बैठक के लिए बहुत से कार्यकर्ता जमीनी हकीकत से बड़े नेताओं को रूबरू कराने का मन बनाये हुए थे, लेकिन उन्हें मीटिंग में आने की अनुमति तक नहीं थी।

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