नहीं रहे भाजपा के भीष्म पितामह सुभाष चतुर्वेदी

मुख्यमंत्री,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष समेत तमाम लोगों ने जताया शोक, कल होगा अंतिम संस्कार

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रूद्रपुर। रूद्रपुर भारतीय जनता पार्टी के  पुरोधा, स्तम्भ और भीष्म पितामह कहे जाने वाले वयोवृद्ध भाजपा नेता सुभाष चतुर्वेदी का आज प्रातः निधन हो गया। उनके निधन का समाचार पाते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट समेत तमाम आला नेताओं ने दूरभाष के जरिए उनके निधन पर शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं और उनके आवास पर भी शोक व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा। उनका अन्तिम संस्कार कल प्रातः किया जायेगा। खेड़ा निवासी 84वर्षीय सुभाष चतुर्वेदी उसूलों, आदर्शों और सिद्धांतों के प्रहरी थे जो मृत्युपर्यन्त तक उनके साथ जुड़े रहे। वर्ष 1971 में जब रूद्रपुर में नगर पालिका का गठन हुआ तो वह उस नगर पालिका के प्रथम चेयरमैन बने। 25जून 1975 में आपात काल लगने पर भाजपा से जुड़े तमाम नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया जिनमें सुभाष चतुर्वेदी समेत चिमनलाल बाम्बा, प्रभु दयाल चिलाना, बनारसी दास राणा, रामकुमार आर्या शामिल थे जिन्हें आपातकाल के दौरान यातनाएं देकर जेलों में रखा गया और 19माह तक वह विभिन्न जेलों में बंद रहे। इसके उपरान्त वर्ष 1988 में श्री चतुर्वेदी दोबारा नगर पालिका के चेयरमैन बने। अपने कार्यकाल में श्री चतुर्वेदी ने सैकड़ों फड़ें और लघु दुकानें गरीब लोगों को आवंटित कीं जो आज भी उन्हीं फड़ों और दुकानों में रोजगार चला रहे हैं और दशकों से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। यह सब श्री चतुर्वेदी की देन थी। श्री चतुर्वेदी ने उस समय के रूद्रपुर को विकसित करने का प्रयास किया था तथा शहर के कई खड़ंजे और सड़कों का भी निर्माण कराया था। सीमित संसाधनों के बावजूद श्री चतुर्वेदी हार मानने वालों में से नहीं थे और वह निरन्तर समाज के उस वर्ग के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे जिनके विकास और उत्थान के लिए उस समय कोई सोचता नहीं था। श्री चतुर्वेदी जनसंघ के संस्थापकों में रहे और 6 अप्र्रैल 1980 को जनसंघ जब भाजपा में परिवर्तित हो गया तो उन्होंने भाजपा नामक पौधे को रूद्रपुर में अपने साथियों के साथ सींचना शुरू किया जो आज इतना विशाल वटवृक्ष का रूप ले चुका है कि जिसकी छाया में आज तमाम भाजपा नेता शामिल हैं। श्री चतुर्वेदी मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी के कार्यकाल के दौरान राज्य मंत्री रहे तथा भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश अनुशासन समिति के कई वर्षों तक अध्यक्ष भी बने रहे। श्री चतुर्वेदी भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भी सदस्य रहे। उनकी वाक्पटुता और सम्बोधन की कला के भी सभी कायल थे। उन्हें सभी विषयों का गूढ़ ज्ञान था। वह जीवन में किसी भी गलत बात का समर्थन नहीं करते थे चाहे उसके लिए उन्हें कितना भी बड़ा नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े। श्री चतुर्वेदी ने दशकों तक पत्रकारिता भी की और कई नामीगिरामी पत्र व पत्रिकाओं में वह लेखन कार्य करते रहे। उनकी लेखन शैली की विधा के भी सभी कायल थे कि किस प्रकार समसामयिक विषयों को लेकर लेखनी के जरिये समाज को जागृत करते थे। श्री चतुर्वेदी ने लम्बे अरसे तक स्वतंत्र पत्रकारिता भी की और कई समाचार पत्रें में उनके लेख प्रकाशित होते रहे। राजनीतिक परिवेश में उन्होंने लम्बा सफर तय किया। उनकी छत्रछाया में राजनीति का ककहरा सीखे युवा पार्टी में विभिन्न बड़े पदों पर आसीन भी रहे लेकिन उन्होंने कभी भी पद की लालसा नहीं की। अपने जीवनकाल में उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने निकट परिजनों को खोते हुए देखा कि जब एक के बाद एक उनकी पत्नी, उनके बड़े बेटे सुनील और उनके सबसे छोटे बेटे सलिल (बब्बू)का निधन हो गया जो उनके ऊपर एक गहरा आघात था। बावजूद इसके वह सक्रिय रहे। अपने अन्तिम समय में वह काफी बीमार हो गये थे और उनका शहर के एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा था और उनकी सेवा सुश्रुषा उनके मझले पुत्र समीर चतुर्वेदी कर रहे थे। समीर ने बताया कि गत 5 मार्च को उन्हें ंअस्पताल भर्ती कराया गया था जहां से 9मार्च को उन्हें घर ले आये थे और उनके स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार हो गया था लेकिन गतरात्रि पुनः उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां आज प्रातः लगभग 5-30बजे उनका निधन हो गया। श्री चतुर्वेदी के निधन से रूद्रपुर में जनसंघ से जुड़े उस अन्तिम अध्याय का अन्त हुआ है जिसकी रिक्तता को कभी भी पूर्ण  नहीं किया जा सकता। उनका अन्तिम संस्कार कल बुधवार को प्रातः 10बजे किया जायेगा। उनकी अन्तिम यात्रा उनके निवास स्थान खेड़ा से प्रारम्भ होगी। उनके निधन पर विधायक राजकुमार ठुकराल, भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा, पूर्व स्वास्थ्यमंत्री तिलकराज बेहड़, मेयर रामपाल सिंह, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष उत्तम दत्ता, वेद ठुकराल, पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना शर्मा, हिमांशु गाबा, अनिल शर्मा, पुरूषोत्तम अरोरा, विजय फुटेला, यशपाल घई, नेत्रपाल मौर्य, विरमा कोली, ललित मिगलानी,  परवेज खां, बंटी कोली, केके दास, रजनीश अग्निहोत्री, संजीव कालड़ा, संजय हस्तीर, मालती कांडपाल, राकेश सिंह, कौशल सक्सेना, कौशल पांडे समेत तमाम लोगों ने उनके आवास पहुंचकर शोक व्यक्त किया।

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